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वैक्सीन को नाकाम करने में वायरस को लगेंगे बरसों, नई स्‍ट्रेन से चिंता के बीच जानें विशेषज्ञों ने क्‍या कहा

ब्रिटेन समेत यूरोप के कई देशों में कोरोना के नए रूप (वैरिएंट) से बढ़ रहे संक्रमण ने लोगों की चिंताएं बढ़ा दी हैं। विशेषज्ञों का कहना है इसके आसार कम हैं किसी वैक्सीन को नाकाम बनाने में वायरस को अभी बरसों लग जाएंगे। पढ़ें द न्यूयार्क टाइम्स की यह रिपोर्ट...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 21 Dec 2020 09:10 PM (IST)Updated: Tue, 22 Dec 2020 01:23 AM (IST)
विशेषज्ञों का कहना है इसके आसार कम हैं किसी वैक्सीन को नाकाम बनाने में वायरस को अभी बरसों लग जाएंगे।

न्यूयार्क [द न्यूयार्क टाइम्स]। ब्रिटेन समेत यूरोप के कई देशों में कोरोना के नए रूप (वैरिएंट) ने लोगों के होश उड़ा दिए हैं। लोगों के मन में इस बात को लेकर आशंका है कि इसके आगे कोई वैक्सीन आखिर कितनी कारगर होगी। कहीं ये वैरिएंट अब तक ईजाद की गई सभी को नाकाम तो नहीं कर देगा। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है इसके आसार बहुत कम हैं किसी वैक्सीन को नाकाम बनाने में वायरस को अभी बरसों लग जाएंगे। विशेषज्ञ कोरोना वायरस के म्यूटेशन से चिंतित जरूर हैं लेकिन हैरान नहीं।

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बहुत आम हैं वैरिएंट

शोधकर्ताओं ने कोरोना के दुनिया भर में फैलने के बाद उसके जेनेटिक मैटीरियल में हजारों परिवर्तन दर्ज किए हैं। किस्मत से बड़ी आबादी में कुछ वैरिएंट बहुत आम रहे। इसके चलते वायरस ने खतरनाक रूप नहीं लिया। वैक्सीनेशन शुरू होने और मनुष्यों में इम्युनिटी बढ़ने से कोरोना के पैथोजेन का जीवित रहना कठिन होने से शोधकर्ता मान रहे हैं कि इससे वायरस, इम्यून सिस्टम की पकड़ में आए बिना म्यूटेट हो सकता है।

यह गंभीर चेतावनी

सिएटल के फ्रेड हचिंसन कैंसर रिसर्च सेंटर के बायोलाजिस्ट डा. जेसी ब्लूम ने कहा कि यह गंभीर चेतावनी है जिस पर बहुत ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से इन म्यूटेशन का फैलाव होगा। विज्ञानियों को इन म्यूटेशन पर नजर रखनी होगी और इसका पता करना होगा कि कौन कितना प्रभावकारी है। ब्रिटेन के वैरिएंट के करीब 20 म्यूटेशन हैं। मानव कोशिकाओं को यह किस तरह संक्रमित कर रहे हैं यह भी एक रिपोर्ट में बताया गया है।

अभी अध्‍ययन की दरकार

स्काटलैंड की एंड्रूज यूनिवर्सिटी की संक्रामक रोग विशेषज्ञ म्यूग सेविक ने बताया कि ये म्यूटेशन कोरोना के वैरिएंट को अपनी प्रतिकृति बनाकर सुगमता से फैलने में मदद कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि संक्रमण के विस्तार की अनुमानित दर एक मॉडल पर आधारित है। अभी इसको किसी लैब परीक्षण से पुष्ट नहीं किया गया है। हम इस तथ्य को अभी खारिज नहीं कर सकते कि संक्रमण विस्तार का पैटर्न लोगों के व्यवहार से जुड़ा नहीं हो सकता।

मानव व्यवहार ज्‍यादा जिम्‍मेदार

दक्षिण अफ्रीका के विज्ञानियों का मानना है कि मानव व्यवहार संक्रमण फैलाने के लिए ज्यादा जिम्मेदार है। म्यूटेशन की इसमें कितनी भूमिका है इसका आकलन होना बाकी है। डॉ. ब्लूम का कहना है कि लोगों को इस बात को लेकर चिंतित नहीं होना चाहिए कि वायरस का कोई ऐसा म्यूटेशन भी हो सकता है जो इम्यूनिटी और एंटीबाडीज को पूरी तरह नाकाम कर सके। इस तरह म्यूटेशन को विकसित होने में बरसों लग जाते हैं। यह प्रक्रिया स्विच के आन आफ जैसी नहीं है।

कई बार म्यूटेट हो चुका है वायरस

विज्ञानियों का मानना है कि लाखों लोगों के वैक्सीनेशन के बाद यह वायरस लोगों के इम्यून सिस्टम से लड़कर नए म्यूटेशन में बदल सकता है। दुनिया भर में पहले ही यह वायरस कई बार म्यूटेट हो चुका है। इस तरह का म्यूटेशन पैथोजेन के लिए मददगार होता है जिनसे रोग फैलता है।

बढ़ सकते हैं म्यूटेशन के मामले

लंदन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी की महामारी विशेषज्ञ डॉ. दीप्ति गुरदासानी ने बताया कि पहले यह माना गया कि कोरोना के वायरस में बदलाव संभव नहीं है और यह किसी वैक्सीन से होने वाली इम्यूनिटी से बच नहीं सकता। लेकिन पिछले कुछ महीनों के शोध से यह साफ हो गया है कि इसका म्यूटेशन हो सकता है। एक बार बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन होने के बाद म्यूटेशन के मामले और बढ़ सकते हैं।  


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