इजरायल में बना कोरोना की वैक्सीन का नमूना, वायरस की संरचना पर करता है सीधी चोट
इजरायल से कोरोना की काट के सिलसिले में एक बड़ी खबर आई है। तेल अवीव विश्वविद्यालय में कोरोना फैमिली के वायरस से बचाव वाली वैक्सीन का नमूना तैयार किया गया है।
तेल अवीव, पीटीआइ। कोविड-19 के प्रकोप से दुनिया में मचे हाहाकार के बीच एक इजरायली वैज्ञानिक ने महत्वपूर्ण खोज की है। तेल अवीव विश्वविद्यालय में कोरोना फैमिली के वायरस से बचाव वाली वैक्सीन का नमूना तैयार किया गया है। अमेरिका ने इस वैक्सीन के नमूने के पेटेंट को स्वीकृति दे दी है। वैक्सीन का नमूना विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ मॉलिकुलर सेल बायोलॉजी एंड बायो टेक्नोलॉजी में प्रोफेसर जोनाथन गरशोनी की टीम ने तैयार किया है। यह वैक्सीन कोरोना वायरस की संरचना पर सीधी चोट कर उसे निष्क्रिय करती है। क्लिनिकल ट्रायल के लिए जाने में अभी इस प्रस्तावित वैक्सीन को कई महीने लंबी प्रक्रिया का इंतजार करना होगा।
गरशोनी ने बताया है कि शोध से पता चला है कि वायरस पहले मानव शरीर की कोशिका के प्रोटीन के साथ संबंध स्थापित करता है और इसके बाद कोशिका की बाहरी परत को भेदकर उसके भीतर दाखिल हो जाता है। इसके बाद वह कोशिका को संक्रमित करना शुरू कर देता है। ऐसा शरीर की लाखों कोशिकाओं में होता है। नतीजतन, वायरस के प्रभाव में आया व्यक्ति बीमार हो जाता है और संक्रमित कोशिकाओं की संख्या बढ़ती जाती है। गरशोनी कोरोना फैमिली के वायरसों पर पिछले 15 साल से काम कर रहे हैं। सार्स और मर्स वायरस पर भी उन्होंने काम किया है।
वहीं दूसरी ओर WHO ने आशंका जताई है कि हाल-फिलहाल में जानलेवा कोरोना वायरस के इलाज के लिए किसी कारगर वैक्सीन के विकसित होने की कोई संभावना नहीं है। वैश्विक संगठन के विशेष दूत डेविड नैबैरो ने चेताया है, 'इस बात की कोई गांरटी नहीं कि आने वाले महीनों में जानलेवा वायरस को खत्म करने वाली कोई वैक्सीन सफलतापूर्वक विकसित कर ली जाए।' नामचीन संक्रामक रोग विशेषज्ञ का मानना है कि लोगों को वायरस के खतरे के साथ जीने की आदत डालनी होगी। बचाव के उपायों को हर हाल में अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाना होगा।
'द आब्जर्वर' को दिए साक्षात्कार में डब्ल्यूएचओ के विशेष दूत ने उपरोक्त आशंका जाहिर की है। बकौल नैबैरो, 'लोगों को यह नहीं मान लेना चाहिए कि कोरोना के खिलाफ निश्चित रूप से एक वैक्सीन जल्द ही विकसित कर ली जाएगी। प्रत्येक वायरस के खिलाफ एक सुरक्षित एवं प्रभावी वैक्सीन विकसित कर लेना हमेशा संभव नहीं होता। कुछ वायरस बेहद जटिल होते हैं, उनके खिलाफ जल्द टीका विकसित करना आसान नहीं होता। हमें इस वायरस के लगातार खतरे के साथ जीने के रास्ते तलाशने होंगे।'
विशेष दूत के अनुसार, 'कहने का मतलब है कि जिन लोगों में संक्रमण के लक्षण दिखाई दें, उन्हें और उनके संपर्कों को फौरन आइसोलेट कर दिया जाए। बुजुर्गों की हर हाल में हिफाजत की जाए। रोग से लड़ने के लिए अस्पतालों की क्षमता बढ़ाई जाए। फिलहाल हम सब के लिए रोग से बचाव का यही रास्ता है।' डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, वर्तमान में कोरोना वायरस से निपटने के लिए विभिन्न स्तर पर 44 वैक्सीन विकसित करने का काम चल रहा है। टीका विकसित करने के काम में जुटे वैज्ञानिकों का कहना है कि एक सुरक्षित एवं प्रभावी वैक्सीन विकसित करने में अभी एक से डेढ़ साल का वक्त लग सकता है।