संयुक्त राष्ट्र की वित्तीय स्थिति में सुधार: भारत ने बार-बार विलंब पर जताई चिंता
भारत ने कहा कि भुगतान में बार-बार विलंब के कारण सैन्यबल में योगदान देने वाले देशों (टीसीसी) को संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना के डी फैक्टो फाइनेंसर्स देश के रूप में बदल दिया है।
संयुक्त राष्ट्र, प्रेट्र। भारत ने संयुक्त राष्ट्र के अभियानों के लिए शांतिरक्षक और पुलिस बल मुहैया कराने वाले देशों को भुगतान में 'अनुचित और अकथनीय' देरी पर चिंता जताई। गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र पर भारत का 3.8 करोड़ रुपये (38 मिलियन डालर) बकाया है।
भारत ने कहा कि भुगतान में बार-बार विलंब के कारण सैन्यबल में योगदान देने वाले देशों (टीसीसी) को संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना के 'डी फैक्टो फाइनेंसर्स' देश के रूप में बदल दिया है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन के प्रथम सचिव महेश कुमार ने 'संयुक्त राष्ट्र की वित्तीय स्थिति में सुधार' विषय पर आयोजित एक सत्र में कहा, 'शांति रक्षा के लिए समय पर भुगतान की उम्मीद वाजिब है।'
कुमार ने कहा कि कुल बकाया 3.6 अरब डॉलर हो गया है जो संयुक्त राष्ट्र के वार्षिक आकलन का लगभग एक तिहाई है। उन्होंने कहा कि भुगतान में देरी से संयुक्त राष्ट्र के शांति रक्षा अभियान पर भी असर पड़ रहा है। इसके अलावा शांति अभियानों में योगदान देने वाले देशों को एक अरब डॉलर की प्रतिपूर्ति के साथ मृत्यु एवं विकलांगता के दावे के आठ मिलियन अमेरिकी डॉलर भी बाकी हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, 31 मार्च 2019 तक, सक्रिय शांति अभियानों में सेना और पुलिस का योगदान देने वाले देशों के लिए कुल देय राशि 265 मिलियन अमेरिकी डालर थी। बता दें कि यूएन महासचिव एंटानियो गुतेरस ने भी संस्था की वित्तीय हालत पर चिंता जताई थी। उन्होंने यूएन की वित्तीय हालत सुधारने के लिए कुछ प्रस्ताव भी तैयार किए हैं। कुमार ने कहा कि भारत उनके प्रस्तावों का सावधानीपूर्वक अध्ययन करेगा।
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