जब व्हाइट हाउस के बाहर एक सुर में बोले भारतीय, 'We Support Trump'
व्हाइट हाउस के बाहर भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिकों ने मेरिट-आधारित आव्रजन का समर्थन करने के लिए रैली का आयोजन किया।
वॉशिंगटन (पीटीआइ)। भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिकों ने मेरिट-आधारित आव्रजन का समर्थन करने के लिए रैली का आयोजन किया। लंबे वक्त से ग्रीन कार्ड के इंतजार में परेशान भारतीयों ने अपने बच्चों और जीवन साथी के साथ व्हाइट हाउस के सामने राष्ट्रपति ट्रंप के समर्थन में रैली की।
ग्रीन कार्ड बैकलॉग को खत्म करने की मांग
अमेरिका के कैलिफोर्निया, टेक्सास और शिकागो तक उड़ान भरने और फ्लोरिडा, न्यूयॉर्क और मैसाचुसेट्स जैसी जगहों से कई सौ मील की दूरी पर उड़ने वाले ये अति कुशल भारतीय हैं, जो पिछले कई सालों से अमेरिका में रह रहे हैं। इन भारतीयों ने कई मामलों पर ट्रम्प से आग्रह किया गया कि कानूनी स्थायी निवास पर हर देश की सीमा को समाप्त किया जाए, ताकि अत्यधिक कुशल भारतीयों के लिए ग्रीन कार्ड बैकलॉग को खत्म किया जा सके।
मेरिट-आधारित आव्रजन को समर्थन
राष्ट्रीय नीति और रिपब्लिकन हिंदू गठबंधन के राजनीतिक निदेशक कृष्ण बंसल ने अत्यधिक कुशल भारतीयों की रैली में कहा, 'हमारी नजर मेरिट-आधारित आव्रजन पर है। इससे अमेरिका के आर्थिक विकास में तेजी आएगी। हम भारतीय अमेरिका को अपना स्थायी घर बनाना चाहते हैं।' बंसल ने कहा, 'हम मेरिट-आधारित आव्रजन प्रणाली के लिए पहल लेने के लिए राष्ट्रपति ट्रंप के साथ हैं।' उन्होंने कहा, उनका समूह व्हाइट हाउस और सांसदों के साथ मिलकर व्यापक आव्रजन बिल पर काम कर रहा है, जिसमें इन सभी चीजों को शामिल करना है। उनका कहना है कि भारत के हजारों अत्यधिक कुशल प्रोफेशनल्स को ग्रीन कार्ड देते से उन्हें अपनी पूरी क्षमता का एहसास होगा और देश के विकास- समृद्धि को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
कल की रैली में भाग लेने वालों में से कई सॉफ्टवेयर इंजीनियरों के हाथों में 'कट ग्रीन कार्ड बैकलॉग' जैसे नारे वाले बैनर और पोस्टर थे। बैनर्स में लिखा था, 'वी सपोर्ट ट्रंप', 'इन्ड कंट्री लिमिट'। आव्रजन को लेकर ट्रंप के समर्थन में शायद यह पहली ऐसी रैली हुई है।
एच 4 को लेकर स्टूडेंट्स को झेलनी होती है परेशानी
13 साल की एक छात्र अक्षता रमेश ने कहा, भारत के उच्च कुशल प्रवासी के लिए ग्रीन कार्ड की प्रतीक्षा की उम्मीद 12 साल से लेकर 70+ सालों तक होने की संभावना है, जबकि दुनिया के अधिकांश लोग 2 वर्षों से कम समय में अपने ग्रीन कार्ड प्राप्त कर सकते हैं।' तमिलनाडु के तंजावुर में जन्मी अक्षता एक साल की थी जब वह अपने पिता रमेश रणनाथन के साथ अमेरिका में आई थी, जो आईटी पेशे में है और एच -1 बी वीजा धारक हैं। खुद को कानूनी एच -4 ड्रीमर्स के तौर पर देखने वालों के रूप में वर्णित करते हुए, अक्षता ने कहा कि भारतीयों के लिए वर्तमान ग्रीन कार्ड की प्रतीक्षा अवधि का मतलब है कि उसके माता-पिता अगले कुछ दशकों तक कानूनी स्थायी निवास पाने की संभावना नहीं रख सकते। उसने कहा, मैं हमेशा से जानती हूं कि मेरा जन्म भारत में हुआ था अमेरिका आने के लिए मुझे एच 4 वीजा की जरूरत पड़ी जबकि मेरे पिताजी के पास ग्रीन कार्ड के लिए आवेदन करने के लिए एक अनुमोदित याचिका थी। मुझे नहीं पता था कि एच 4 पर होने का मतलब यह हो सकता है कि कॉलेजों के लिए मुझे स्वीकार करना बहुत मुश्किल होगा, चाहे मेरे ग्रेड कितने अच्छे भी क्यों न हो।
रिपब्लिकन हिंदू गठबंधन के मुताबिक, भारत में कानूनी आबादी वाले लगभग 200,000 बच्चे हैं, जिन्होंने कभी कानून को नहीं तोड़ा, लेकिन इसके बावजूद 21 साल की उम्र में ही उन्हें वापस जाना पड़ा, क्योंकि उनके माता-पिता को उनके लिए ग्रीन कार्ड प्राप्त करने के लिए 60 साल का इंतजार करना होगा। संगठन का कहना है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था यदि हर साल चार प्रतिशत बढ़ती है तो प्रत्येक वर्ष 400,000 उच्च कुशल श्रमिकों को कार्यबल में जोड़ा जाएगा। इमिग्रेशन सुधार के लिए इस मुद्दे को भी संबोधित करने की जरूरत है
ट्रंप का मेरिट बेस्ड इमिग्रेशन सिस्टम पर जोर
गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी पहली स्टेट ऑफ द यूनियन स्पीच में आतंकवाद पर सख्ती से लेकर मजबूत इमिग्रेशन प्रणाली बनाने के संकेत दिए थे। ट्रंप ने कहा था, 'हम मेरिट पर आधारित इमिग्रेशन सिस्टम की ओर बढ़ें।' उन्होंने कहा कि वह व्यक्ति जो हमारे समाज में अपना योगदान दे सके, जो हमारे देश की इज्जत करे और इससे प्यार करे, उसे मौका मिले। ट्रंप ने वीजा और शरणार्थी नीति में बदलाव के लिए देश की दोनों बड़ी राजनीतिक पार्टियों साथ आने की भी बात कही। अपने भाषण में ट्रंप ने यह स्पष्ट संकेत दिए कि अब लॉटरी सिस्टम से वीजा मिलने की प्रक्रिया को बंद किया जाएगा।