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अमेरिका: भारतवंशी कारोबारी थानेदार ने जीता प्राइमरी चुनाव, डेमोक्रेटिक पाटी का गढ़ है डेट्राइट

कर्नाटक के बेलागावी निवासी थानेदार ने 2 अगस्त को मिशिगन के 13वें कांग्रेसनल डिस्ट्रिक्ट में अपनी पार्टी के 8 अन्य हाईप्रोफाइल उम्मीदवारों को पराजित कर पार्टी का टिकट हासिल किया है। चुनावी विश्लेषकों ने संसदीय चुनाव में उनके जीत की संभावना जताई क्योंकि डेट्राइट डेमोक्रेटिक पार्टी का गढ़ है।

By Monika MinalEdited By: Published: Thu, 11 Aug 2022 03:57 PM (IST)Updated: Thu, 11 Aug 2022 03:57 PM (IST)
अमेरिका: भारतवंशी कारोबारी  थानेदार ने जीता प्राइमरी चुनाव, डेमोक्रेटिक पाटी का गढ़ है डेट्राइट
अमेरिका में भारतवंशी कारोबारी थानेदार ने जीता प्राइमरी चुनाव

वाशिंगटन, प्रेट्र। अमेरिका की राजनीति में भारतीयों का डंका बजने लगा है। इस क्रम में डेमोक्रेटिक के गढ़ डेट्रोइट में  भारतीय अमेरिकी कारोबारी थानेदार (Thanedar) ने जीत हासिल की है। अमेरिका में डेट्रोइट (Detroit) के कांग्रेसनल डिस्ट्रिक्ट  डेमोक्रेटिक पार्टी का प्राइमरी चुनाव जीत लिया है। अब नवंबर के मध्यावधि चुनाव में उनका सामना रिपब्लिकन पार्टी के मार्टेल बिविंग्स से होगा।

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कर्नाटक के बेलाागावी निवासी हैं थानेदार

कर्नाटक के बेलागावी निवासी 67 वर्षीय थानेदार ने 2 अगस्त को मिशिगन के 13वें कांग्रेसनल डिस्ट्रिक्ट में अपनी पार्टी के 8 अन्य हाईप्रोफाइल उम्मीदवारों को पराजित कर पार्टी का टिकट हासिल किया है। चुनावी विश्लेषकों ने संसदीय चुनाव में उनके जीत की संभावना जताई, क्योंकि डेट्राइट डेमोक्रेटिक पार्टी का गढ़ है। बता दें कि अमेरिका में पार्टी का प्रत्याशी बनने के लिए पहले अपनी पार्टी में ही चुनाव होता है।

रो खन्ना ने पीटीआई को बताया, 'एक नया (भारतीय अमेरिकी) सदस्य डेट्राइट में निर्वाचित होने जा रहा है।' खन्ना हाउस आफ रिप्रेजेंटेटिव्स में सिलिकान वैली का प्रतिनिधत्व करते हैं। उनके साथ तीन सांसद हैं राजा कृष्णमूर्ति, एमी बेरा और प्रमीला जयपाल भी हैं।

अपने धन का बड़ा हिस्सा चुनावी अभियान में करेंगे खर्च 

Detroit न्यूज के अनुसार, डेमोक्रेट थानेदार ने अपने धन का 5 मिलियन डालर चुनावी अभियान में खर्च करने के लिए प्रतिबद्धता जाहिर की है। उन्होंने कहा, 'यह रेस मेरे बारे में नहीं था। देश के गरीब जिलों में से एक मिशिगन का 13वां कांग्रेसनल जिला है और मैं कांग्रेस में आर्थिक व नस्लवाद में न्याय के लिए लडूंगा।'

1979 में ही कर्नाटक से आ गए थे अमेरिका 

साल 1979 में ही थानेदार कर्नाटक के बेलागावी से निकल अमेरिका आ गए थे। यूनिवर्सिटी आफ बांबे से 1977 में मास्टर्स की डिग्री लेने के बाद अमेरिका में आगे की पढ़ाई के लिए उनका आना हुआ। यहां वे यूनिवर्सिटी आफ एक्रन से पालीमर केमिस्ट्री में PhD की डिग्री हासिल करने आए थे।


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