G-77 Summit : चीन का नाम लिए बगैर कड़ा संदेश, कर्ज देकर सहयोगी को मुश्किल में नहीं फंसाता भारत
यह बात संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस त्रिमूर्ति ने ग्रुप 77 के विदेश मंत्रियों की 44 वीं वार्षिक बैठक में कही। भारत का यह वक्तव्य चीन की कर्ज देकर जाल में फंसाने की साजिश के मद्देनजर आया है।
संयुक्त राष्ट्र, प्रेट्र। भारत की किसी देश को दी गई आर्थिक सहायता से उसके लिए कभी मुश्किल पैदा नहीं हुई। भारत की सहायता बिना शर्त होती है जिससे मुश्किल पैदा होने की कोई आशंका नहीं होती। यह बात संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस त्रिमूर्ति ने ग्रुप 77 के विदेश मंत्रियों की 44 वीं वार्षिक बैठक में कही। भारत का यह वक्तव्य चीन की कर्ज देकर जाल में फंसाने की साजिश के मद्देनजर आया है।
भारतीय राजनयिक ने कहा, भारत की सहयोगी देश को दी गई सहायता में विकास को प्राथमिकता दी जाती है। खासकर सहयोगी देश के विकास को प्रमुखता दी जाती है। बैठक में कोविड-19 से पैदा हालात में विकासशील देशों में तालमेल बनाकर कार्य करने की संभावनाओं पर विचार किया गया। त्रिमूर्ति ने कहा, भारत का विकास को लेकर सहयोग उसके सहयोगी देश की जरूरत के मुताबिक होता है। इससे पहले भारतीय विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने पिछले हफ्ते चीन का नाम लिए बगैर दुनिया के देशों को आगाह किया था कि वे विश्वसनीय, सुरक्षित और निरंतर कार्य करने वाली आपूर्ति व्यवस्था पर ध्यान दें। वे वन बेल्ट-वन रोड जैसी किसी नियंत्रित व्यवस्था के जाल में न फंसें।
भारत बुनियादी जरूरतों वाली परियोजनाओं जैसी कार्य कर सहयोगी देश की क्षमता को है बढ़ाता
लंदन में पॉलिसी एक्सचेंज थिंक टैंक के कार्यक्रम में श्रृंगला ने कहा कि भारत बुनियादी जरूरतों वाली परियोजनाओं, संपर्क मार्गो, आर्थिक परियोजनाओं और आपूर्ति व्यवस्था के विकास जैसे कार्य कर सहयोगी देश की क्षमता को बढ़ाता है। कोविड-19 महामारी से विकासशील देशों के दशकों पीछे चले जाने का खतरा है। उनके करोड़ों लोग फिर से गरीबी रेखा के नीचे जा सकते हैं और गरीब ज्यादा गरीब हो सकते हैं। लेकिन जी-77 में हम ऐसा नहीं होने देंगे। हम हालात को सुधारने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। मिल-जुलकर कार्य करेंगे और एक-दूसरे को संकट से उबारेंगे।