चीन की बढ़ती सरगर्मी के बीच फाइटर जेट ट्रेनिंग में भारत को भी शामिल करने की मांग
चीन की आक्रामक गतिविधियों को देखते हुए राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण अधिनियम में भारत जापान और ऑस्ट्रेलिया को भी फाइटर जेट की ट्रेनिंग देने की मांग की गई है।
वाशिंगटन, पीटीआइ। चीन की आक्रामक गतिविधियों को देखते हुए वित्तीय वर्ष 2021 के राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण अधिनियम (National Defense Authorization Act) में भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया को भी फाइटर जेट की ट्रेनिंग देने की मांग की गई है। ये ट्रेनिंग अमेरिका के पास समुद्री इलाके गुआम में दी जाएगी। यह कदम अमेरिकी रक्षा मंत्री मार्क एस्पर और सिंगापुर के रक्षा मंत्री एंग इंग हेन के बीच छह महीने पहले एक एमओयू पर हुए हस्ताक्षर के बाद उठाया गया है। इस समझौते के तहत सिंगापुर को गुआम में फाइजर जेट ट्रेनिंग के स्थान का निर्माण करना था।
एक अक्टूबर से शुरू हो रहे वित्तीय वर्ष को देखते हुए एनडीएए-2021 को गुरुवार को सीनेट में पेश किया गया। दरअसल, अमेरिका और सिंगापुर के बीच जो समझौता हुआ था, उसमें अब भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान को भी शामिल किया जाएगा। इसका मकसद यह है कि अमेरिका ना केवल अपने मित्र देशों की सहायता कर सके बल्कि उन्हें आने वाली चुनौतियों के लिए तैयार कर सके। इस अधिनियम के तहत 48 लंबी दूरी की एंटी शिप मिसाइलें खरीदने का प्रस्ताव है, जिन्हें भारतीय-प्रशांत क्षेत्र में तैनात किया जाएगा।
इसके अलावा अमेरिका इस इलाके में फारवर्ड पोस्ट भी बनाएगा, जहां किसी भी स्थिति में तैयारी की जा सके। बता दें कि अमेरिकी संसद में इस विषय को उसी दिन रखा गया है, जिस दिन अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने बयान दिया है कि अमेरिका अब यूरोप से अपनी सेना कम करके एशिया में मौजूदगी बढ़ाएगा। पोंपियो ने इस बात पर जोर दिया है कि स्वतंत्रता और अधिनायकवाद के बीच किसी तरह का समझौता नहीं हो सकता है। उन्होंने इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि चीन के साथ बढ़ते तनाव को कम करना चाहिए और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी को स्वीकार कर लेना चाहिए।
पोंपियो ने कहा हम कभी नहीं चाहते हैं कि हमारा भविष्य कैसा हो, यह तय करने का अधिकार सीसीपी के पास हो। मैं इस बात पर शर्त लगा सकता हूं कि कोई देश यह नहीं चाहेगा। पोंपियो ने आरोप लगाया कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) उकसाने वाली सैन्य गतिविधियां संचालित कर रही है। इसमें दक्षिणी चीनी सागर में आक्रामक गतिविधियां बरकरार रखना, भारत के साथ हुआ सीमा विवाद, अपारदर्शी परमाणु कार्यक्रम और शांतिपूर्ण पड़ोसियों के खिलाफ चेतावनी शामिल है।