कोविड-19 की आड़ में नकली सामान बेचकर भरी जा रही हैं जेब, यूएन की रिपोर्ट में हुआ खुलासा
कोरोना काल में कुछ कंपनियां लोगों के डर का नाजायज फायदा उठाने में लगी हैं। यूएन की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस दौरान फर्जी सामान की सप्लाई बढ़ी है जो हर किसी के लिए खतरा है।
न्यूयॉर्क (यूएन)। एक तरफ जहां पूरी दुनिया कोविड-19 के प्रकोप से ग्रसित है तो दूसरी ओर इसकी आड़ में कुछ लोग अपने निजी फायदे के लिए सेफ्टी इक्यूपमेंट्स के नाम पर खराब सामान बनाकर बेच रहे हैं। ये खुलासा संयुक्त राष्ट्र के एक ताजा अध्ययन की एक रिपोर्ट से हुआ है। इसमें कहा गया है कि दुनिया भर में कोविड-19 महामारी का मुकाबला करने के लिये जैसे-जैसे चिकित्सा उपकरणों की मांग बढ़ी है वैसे-वैसे इनको लेकर होने वाले धोखाधड़ी के भी मामले बढ़े हैं। इस रिसर्च में ये भी पाया गया है इस दौरान नकली और खराब क्वालिटी वाले सामान को बेचने की कई कोशिशें हुई हैं।
यूएन ऑफिस ऑफ ड्रग्स एंड क्राइम (UN Office on Drugs and Crime/UNODC) की कार्यकारी निदेशक घाडा वेली ने साफतौर पर उन लोगों पर निशाना लगाया है जो लोग इस तरह का गंदा काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आपराधिक तत्व कोविड-19 महामारी से उत्पन्न स्थिति का गैर-वाजिब फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं जिससे लोगों का स्वास्थ्य और जिंदगियां खतरें में पड़ रही हैं। ऐसे लोग लोगों के डर और उनकी चिंताओं के बीच पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्यूपमेंट्स की बढ़ती मांग को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। इसमें ये भी कहा गया है कि इस महामारी ने इन उत्पादों के उत्पादन और बिक्री के लिये बनाए गए नियामक व अन्य कानूनी ढांचे में मौजूद कमियों को उजागर कर दिया है।
संयुक्त राष्ट्र के इस शोध में पाया गया है कि दुनियाभर में कई आपराधिक गुट इस जानलेवा वायरस से जुड़ी अनिश्चितताओं और विभिन्न देशों के नियम कानूनों में मौजूद खामियों का फायदा उठाकर अपनी जेब भरने का काम कर रहे हैं। इस रिपोर्ट में ऐसी महामारी के दौरान खराब और नकली उत्पादों की मौजूदगी पर गहरी चिंता जताई गई है। इसमें कहा गया है कि ऐसे लोग अपने निजी स्वार्थ के लिए लोगों की जिंदगी से खेल रहे हैं। ऐसे मेडिकल इक्यूपमेंट्स लोगों के स्वास्थ्य के लिये गंभीर खतरा पैदा कर सकते हैं क्योंकि ये उपकरण बीमारी का सही इलाज नहीं कर सकते और दवाओं के असर को भी कम करने की स्थिति पैदा कर सकते हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक अध्ययन में पता चला है कि नकली और खराब चिकित्सा उपकरण बनाने और उनकी बिक्री व आपूर्ति करने वाली कंपनियों ने ऐसी धोखाधड़ी व घोटाले वायरस के फैलाव के साथ-साथ तेज किए हैं।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जर्मनी के स्वास्थ्य अधिकारियों ने डेढ़ करोड़ यूरो की कीमत वाले फेस मास्क खरीदने का एक ठेका स्विटजरलैंड और जर्मनी की दो कंपनियों को दिया था। बाद में पता चला कि ये ठेका एक ऐसी फर्जी वेबसाइट के जरिए लिया गया जो स्पेन की एक कंपनी की नकल करके बनाई गई थी। वेली ने इस तरह की धोखाधड़ी उजागर होने पर लोगों को सुरक्षित रखने के लिए उनमें जागरूकता बढ़ाने के लिए अभियान चलाने पर बल दिया है। उन्होंने कहा कि इसके लिए खामियों को दूर करने, कानून लागू करने और आपराधिक न्याय की क्षमता बढ़ाने के लिये देशों को आपस में और ज्यादा सहयोग करने के लिये प्रोत्साहित करना होगा।
यूएन की रिपोर्ट में कहा गया है कि खरीददारों को मूर्ख बनाने के लिए कॉरपोरेट वेबसाइटों की नकल तैयार करने के भी बहुत से मामले दर्ज किये गए हैं। इस शोध की रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के बदलते स्वरूप के साथ-साथ संगठित आपराधिक गुटों के बर्ताव में भी बदलाव आ सकता है। इतना ही नहीं इस रिपोर्ट में इस बात की आशंका जताई गई है कि जो लोग अभी नकली सामान बेचकर मुनाफा कमाने की कोशिश कर रहे हैं वो लोग इसकी वैक्सीन बन जाने के बाद उसकी तस्करी में लग सकते हैं।
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