कश्मीर में आतंकी मासूम बच्चों को बना रहे अपना हथियार, UN की रिपोर्ट में खुलासा
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे संगठन जम्मू-कश्मीर में अपनी लड़ाई को जारी रखने के लिए बच्चों की भर्ती कर रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र, पीटीआइ। पाकिस्तान में मौजूद प्रतिबंधित आंतकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन अब मासूम बच्चों को अपनी नापाक साजिशों में शामिल कर रहे हैं। ये खुलासा संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में किया गया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि आतंकी संगठन जम्मू-कश्मीर में अपने मंसूबों को अंजाम देने के लिए बच्चों का इस्तेमाल कर रहे हैं। हाल ही में भारतीय सेना के जवानों ने एक 9 साल के पाकिस्तानी बच्चे को एलओसी के नजदीक से हिरासत में लिया था। इस बच्चे ने बताया था कि उसे पाकिस्तान से एक बड़े बाल वाले शख्स ने भेजा था।
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे संगठन जम्मू-कश्मीर में अपनी लड़ाई को जारी रखने के लिए बच्चों की भर्ती कर रहे हैं। यूएन महासचिव की वैश्विक स्तर पर जनवरी-दिसंबर 2017 की अवधि के दौरान बच्चों और सशस्त्र संघर्ष पर जारी इस वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया कि पिछले साल संघर्ष में 10,000 से ज्यादा बच्चे मारे गए या घायल हुए थे। इस दौरान 8,000 से ज्यादा बच्चों को किया गया या युद्ध में शामिल किया गया था।
यूएन की ये इस रिपोर्ट 20 देशों पर आधारित है, जिसमें युद्ध से ध्वस्त देश सीरिया भी शामिल है। इसके अलावा रिपोर्ट में अफगानिस्तान, यमन, फिलिपीन, नाइजीरिया और भारत समेत कुछ अन्य देशों को शामिल किया गया है। भारत की स्थिति पर, यूएनएसजी एंटोनियो गुटेरेस की रिपोर्ट में कहा गया है कि सशस्त्र समूहों और सरकारी सुरक्षा बलों के बीच हिंसा की घटनाओं में विशेष रूप से छत्तीसगढ़, झारखंड और जम्मू-कश्मीर में बच्चे काफी प्रभावित हो रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों के संघर्ष के दौरान दो आतंकवादी संगठनों द्वारा बच्चों को भर्ती और इस्तेमाल करने की तीन घटनाओं की सूचना मिली थी। रिपोर्ट में कहा गया है, 'एक मामले के लिए जैश-ए-मोहम्मद और दो के लिए हिजबुल मुजाहिदीन को जिम्मेदार ठहराया गया था।' रिपोर्ट में कहा गया है कि सुरक्षा बलों की 'असत्यापित' रिपोर्ट भी इस ओर इशारा करती है कि आंतकी जासूसों के रूप में बच्चों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
साथ ही इसमें यह भी कहा गया है कि 'असत्यापित' रिपोर्टों में सुरक्षा बलों द्वारा भी बच्चों को मुखबिर या जासूसों के तौर पर इस्तेमाल करने के संकेत मिलते हैं। यूएन ने कहा कि नक्सलियों द्वारा खासकर छत्तीसगढ़ और झारखंड में बच्चों की भर्ती और उनके इस्तेमाल के बारे में उसे लगातार खबर मिल रही है। उसने कहा कि खबरों के मुताबिक, झारखंड में नक्सलियों द्वारा बच्चों की जबरन भर्ती के लिए लॉटरी प्रक्रिया अपनाने का काम जारी है।