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दिमाग की बीमारियों से मिलेगा छुटकारा, मस्तिष्क को समझने के लिए वैज्ञानिकों ने बनाई कृत्रिम खोपड़ी

मस्तिष्क में होने वाली बीमारियों को समझने के लिए वैज्ञानिकों ने 3 D प्रिटेंड पारदर्शी कृत्रिम खोपड़ी बनाई है। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने इसका सफल परीक्षण चूहे की खोपड़ी में किया है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Thu, 04 Apr 2019 12:42 PM (IST)Updated: Thu, 04 Apr 2019 12:50 PM (IST)
दिमाग की बीमारियों से मिलेगा छुटकारा, मस्तिष्क को समझने के लिए वैज्ञानिकों ने बनाई कृत्रिम खोपड़ी
दिमाग की बीमारियों से मिलेगा छुटकारा, मस्तिष्क को समझने के लिए वैज्ञानिकों ने बनाई कृत्रिम खोपड़ी

वाशिंगटन, पीटीआइ। वैज्ञानिकों ने एक ऐसा 3डी प्रिंटेट स्कल (खोपड़ी) विकसित किया है जो कि पारदर्शी है। उन्होंने इसको चूहे पर इंप्लांट भी कर दिया है जिससे उनको वास्तविक समय में चूहे के मस्तिष्क की गतिविधि को देखने का अवसर मिलता है। अमेरिका की मिनेसोटा यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने बताया कि इस डिवाइस को सी-शेल नाम दिया गया है।

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इसके माध्यम से एक नई दृष्टि से मानव मस्तिष्क की स्थितियों को देखने में मदद मिलेगी। साथ ही कई बीमारियों जैसे- मस्तिष्क का आघात, पार्किंसन और अल्जाइमर को भी बेहतर तरीके से समझा जा सकेगा। वैज्ञानिकों ने बताया अभी वह यह कोशिश कर रहे हैं कि लंबे समय तक चूहे के मस्तिष्क यानी कार्टेक्स के ज्यादा से ज्यादा भाग को काम करके देख सकें और उससे संपर्क बना सके।

इसके माध्यम से हमे यह जानकारी मिलेगी कि कैसे मानव मस्तिष्क काम करता है। मिनेसोटा यूनिवर्सिटी की असिसटेंट प्रोफेसर सुहासा कोंदडारमैया ने बताया कि यह तकनीक अभूतपूर्व नियंत्रण और सटीकता के साथ मस्तिष्क के कार्टेक्स का ज्यादा से ज्यादा हिस्सा काम करते हुए देखने में मदद करती है। पहले के अध्ययनों में वैज्ञानिक दिमाग का बहुत छोटा सा हिस्सा देखकर इसे विस्तार से समझने की कोशिश करते रहे हैं। हालांकि, शोधकर्ता अब यह जान रहे हैं कि मस्तिष्क के एक हिस्से में एसा क्या होता है, जिससे वह दूसरे हिस्से को प्रभावित करता है।

सुहासा ने बताया कि क्योंकि चूहे का मस्तिष्क कई तरीकों से मानव मस्तिष्क से मेल खाता है और इस डिवाइस से चूहों के मस्तिष्क में होने वाली अपक्षयी बीमारियों को देखने में मदद मिलती है। जिनको मनुष्य में अल्जाइमर या पार्किंसन कहा जाता है। प्रोफेसर टिमोथी जे एबनर ने बताया कि हम इस तरह के प्रयोगों को मानव मस्तिष्क पर नहीं कर सकते हैं, लेकिन फिर भी यह समझना जरूरी है कि मस्तिष्क किस तरह से काम करता है ताकि इससे जुड़ी बीमारियों को दूर किया जा सके।

इस तरह बनाई डिवाइस :

सी-शेल डिवाइस बनाने के लिए वैज्ञानिकों ने सबसे पहले चूहे की खोपड़ी को डिजिटल स्कैन किया। फिर उसी तरह की 3डी प्रिंटेड कृत्रिम खोपड़ी बनाई। सर्जरी के दौरान उन्होंने चूहे की खोपड़ी के ऊपरी हिस्से को 3डी प्रिटेंड पारदर्शी डिवाइस से बदल दिया।


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