Move to Jagran APP

जलवायु परिवर्तन के कारण विकराल होगा खाद्यान्‍न संकट तब जेनेटिक बदलाव से बढ़ेगी पैदावार

अमेरिका के वैज्ञानिकों ने पौधों को ज्यादा समय तक जीवित रखने में पाई सफलता पा ली है जिससे जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले खाद्यान्‍न संकट से उबरने में मदद मिलेगी।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Tue, 16 Jul 2019 09:43 AM (IST)Updated: Tue, 16 Jul 2019 09:49 AM (IST)
जलवायु परिवर्तन के कारण विकराल होगा खाद्यान्‍न संकट तब जेनेटिक बदलाव से बढ़ेगी पैदावार
जलवायु परिवर्तन के कारण विकराल होगा खाद्यान्‍न संकट तब जेनेटिक बदलाव से बढ़ेगी पैदावार

वाशिंगटन, प्रेट्र। जलवायु परिवर्तन हमारे जीवन पर भविष्य में बड़ा व्यापक असर डालने वाला है। विश्व भर के वैज्ञानिक जहां एक ओर इस परिवर्तन में कमी लाने के लिए लोगों को जागरूक कर रहे हैं, वहीं इससे निपटने के लिए नए तरीके भी ईजाद कर रहे हैं। वैज्ञानिकों ने चिंता जताई थी कि जलवायु परिवर्तन से भविष्य में अनाज के उत्पादन में कमी आएगी और खाद्य संकट उत्पन्न होगा।

loksabha election banner

पौधे के सूखने के समय को बढ़ाने में पाई सफलता 
अब वैज्ञानिकों ने इस संकट से बचने के लिए एक बड़ी खोज की है। उन्होंने पौधे के सूखने के समय को और बढ़ाने में मदद हासिल की है। इससे पौधों का जीवन बढ़ाया जा सकेगा। प्लांट सेल जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया कि जीवों और पौधों में एक विशेष प्रकार का आनुवंशिक गुण होता है, जिसमें हम उन कोशिकाओं को खत्म कर देते हैं जिनकी हमें जरूरत नहीं होती है। पौधे भी अपनी कोशिकाओं को खत्म कर देते हैं।

जीन एडिटिंग कर नए प्रजाति विकसित की
अमेरिका की क्लेमसन यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर राजन सेखों ने बताया कि मौसम के अनुसार पेड़ों का रंग बदल जाता है। जब मौसम अनुकूल नहीं होता तो पेड़ अपनी पत्तियां भी गिरा देते हैं। यह एक प्रकार से ऊर्जा की अर्थव्यवस्था के बारे में है। वह अपने तने में इतनी उर्जा संग्रहीत रखते हैं कि अगले वसंत में नई पत्तियों को जन्म दे सकें। अब वैज्ञानिकों ने अनाज वाले पौधों के जीन में एडिटिंग कर नए प्रजाति विकसित की है।

कोशिका के खत्म होने का समय बढ़ाया
वैज्ञानिकों ने बताया पौधों में कोशिका के खत्म होने की प्रक्रिया एक जटिल लक्षण है। यह आंतरिक और बाहरी कारकों से प्रभावित होता है। यह प्रक्रिया एक साथ काम करने वाले कई जीनों के माध्यम से होती है। वैज्ञानिकों ने पौधों में जेनेटिक बदलाव करके उनके कोशिका खत्म करने के समय को बढ़ा दिया है। इससे पौधे पर्यावरण की जटिलताओं से निपटने में ज्यादा सक्षम होते हैं।

इस तरह बढ़ेगा उत्पादन
वैज्ञानिकों ने बताया कि अनाजों (मक्का, चावल और गेहूं) की नई प्रजाति ‘स्टे ग्रीन’ विकसित की गई है। ये अपने नाम के ही अनुरूप होते हैं और लंबे समय तक जीवित रहते हैं। इससे अनाज का उत्पादन भी बढ़ाया जा सकता है। अभी कल ही भारत में जारी संसद सत्र में बताया गया कि देश के डेढ़ सौ जिलों पर जलवायु परिवर्तन की पहली मार पड़ने वाली है। इसका सबसे बुरा असर कृषि क्षेत्र पर पड़ेगा। ऐसे में नई आधुनिक प्रौद्योगिकी से ही समस्‍या का समाधान होगा। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.