क्या डोनाल्ड ट्रंप को जीत दिलाने के लिए रूस हैकर्स ने की थी कोशिश?
पिछले साल अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में बड़े पैमाने पर रूसी हस्तक्षेप के आरोप लगे थे। डेमोक्रेट प्रत्याशी हिलेरी क्लिंटन अपनी हार के लिए रूसी दखल को कारण बता चुकी हैं।
वाशिंगटन, एपी। क्या रूस ने डोनाल्ड ट्रंप को अमेरिकी राष्ट्रपति पद तक पहुंचाने में मदद की थी? क्या अमेरिकी चुनाव को रूसी हैकरों ने प्रभावित करने की कोशिश की थी? खबरें तो कुछ ऐसी ही सुनने को मिल रही हैं। अमेरिका के 21 राज्यों की ओर से कहा गया है कि अमेरिका में 2016 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में रूस ने डोनाल्ड ट्रंप को जीत दिलवाने की कोशिश की थी।
दावा किया जा रहा है कि रूसी सरकार के हैकर्स ने डोनाल्ड ट्रंप के समर्थन में वोटों को बदलने की कोशिश की थी, जिसमें वे सफल नहीं हो पाए। लेकिन रूस अमेरिकी चुनाव में किसी भी तरह के हस्तक्षेप की बात से इनकार कर चुका है। इधर डोनाल्ड ट्रंप भी रूस के साथ इस तरह की किसी डील की बात को नकार चुके हैं।
खबर के मुताबिक, जिन राज्यों ने हैकिंग का दावा किया उसमें फ्लोरिडा, पेनसिल्वेनिया, वर्जीनिया, विस्कनसिनस, ओहियो, अलबामा, कनेक्टिकट, मिनेसोटा, टेक्सास और वाशिंगटन जैसे महत्वपूर्ण राज्य शामिल हैं। लेकिन इस बात का कोई सबूत नहीं है कि कथित रूसी हैकर्स वोटों को अपने मन मुताबिक बदल भी पाए। कोलोराडो के सेक्रेटरी ऑफ स्टेट वेन विलियम्स ने कहा 2016 चुनाव से लगभग एक हफ्ते पहले सिस्टम्स को स्कैन किया गया था। उन्होंने कहा कि यह ऐसा था कि चोर दरवाजे के आपसपास चक्कर काट रहा हो लेकिन दरवाजे को लॉक देखकर वहां से वापस चला जाए।
हुई थी एक गिरफ्तारी
अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए हुए चुनाव के दौरान कथित रूप से हैकिंग को लेकर एक रूसी कंप्यूटर विशेषज्ञ को स्पेन में गिरफ्तार किया गया था। सूत्रों के अनुसार, पिओट्र लेवचोप नामक रूसी विशेषज्ञ को संदेह के आधार पर पकड़ा गया। उसके प्रत्यर्पण के लिए अमेरिका की तरफ से आग्रह किया गया। गौरतलब है कि पिछले साल अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में बड़े पैमाने पर रूसी हस्तक्षेप के आरोप लगे थे। डेमोक्रेट प्रत्याशी हिलेरी क्लिंटन अपनी हार के लिए रूसी दखल को कारण बता चुकी हैं। तत्कालीन ओबामा प्रशासन ने भी आरोप लगाया था कि रूस ने हिलेरी के चुनाव अभियान को प्रभावित कर रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप को लाभ पहुंचाया था। हालांकि ट्रंप ने इन आरोपों से इनकारर किया था। इस मामले की जांच सीनेट की समिति और एफबीआइ कर रही है।
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