COVID-19: आंसू गैस बन सकता है संक्रमण फैलाने का कारण, विशेषज्ञों ने दी चेतावनी
इमोरी यूनिवर्सिटी (Emory University) के संक्रामक बीमारियों के विशेषज्ञ ने प्रदर्शनकारियों पर इस्तेमाल किए जाने वाले आंसू गैस पर गंभीर चिंता व्यक्त की
अटलांटा, एपी। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले आंसू गैस के कारण नॉवेल कोरोना वायरस के संक्रमण फैलने की संभावना बढ़ जाती है। इमोरी यूनिवर्सिटी (Emory University) के संक्रामक बीमारियों के विशेषज्ञ ने प्रदर्शनकारियों पर इस्तेमाल किए जाने वाले आंसू गैस पर गंभीर चिंता व्यक्त की। डॉक्टर जे वार्के ने शुक्रवार को बताया कि आंसू गैस जहां छोड़ा जाता है वहां के लोग अपने आंखों को रगड़ने के लिए मजबूर हो जाते हैं और इससे खतरा बढ़ सकता है।
आंसू गैस के इस्तेमाल से खतरा
डॉ. वार्के ने कहा, 'जब मैं आंसू गैस जैसी चीजों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता देखता हूं जिनके कारण व्यक्ति को तुरंत आंखें मलनी पड़ती है तो मुझे वैश्विक महामारी के दौर में संक्रमण के फैलने का खतरा नजर आता है। पता नहीं कानून प्रवर्तन एजेंसियां इनके अलावा किसी और चीजों के इस्तेमाल के बारे में विचार कर रही हैं या नहीं। उन्हें इनके विकल्पों के बारे में निश्चित ही कुछ सोचना चाहिए।'
दुनिया भर में होता है इस्तेमाल
डॉक्टर वार्के ने बताया,'व्यापक तौर पर आंसू गैस या इस तरह के अन्य हमले जैसे काली मिर्च का छिड़काव के इस्तेमाल की प्रकृति को देखते हुए मुझे आशंका है कि यह संक्रमण को अधिक फैला सकता है।' आंसू गैस में ओ-क्लोरोबेंजिलिडीन मैलोनीट्राइल (सीएस), डिबेंजोक्साजेपाइन (सीआर) और फेनासिल क्लोराइड (सीएन) होते हैं। इसका इस्तेमाल दुनिया भर में किया जाता है।
पहली बार 1928 में हुआ था इस्तेमाल
यह गैस क्रिस्टल की तरह का पाउडर होता है जिसे स्प्रे में बदलकर विस्फोटक के साथ ग्रेनेड में भरा जाता है। इसे फेंकने पर गैस बाहर निकलती है। पहली बार इसका इस्तेमाल 1928 में वियतनाम युद्ध के दौरान किया गया था। इस गैस का असर आंखों व त्वचा पर होता है। इससे घुटन भी होती है और सांस नली में जलन के कारण खांसी और उल्टी आती है। चीन से निकले घातक वायरस के कारण पूरी दुनिया महामारी के संकट का सामना कर रही है।