बर्फीले मंगल पर भी कभी बहा करता था पानी
अमेरिका की ब्राउन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के नेतृत्व में किए गए इस अध्ययन में यह समझाने की कोशिश की गई कि मंगल के ठंडे और बर्फीले होने के बावजूद वहां पानी का बहाव किस तरह हुआ होगा।
वाशिंगटन (प्रेट्र)। एक अध्ययन से पता चला है कि प्राचीन मंगल के बर्फीले और ठंडे होने के बावजूद वहां गर्मियों के मौसम में पानी बहता था। वैज्ञानिक यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि प्राचीन मंगल वास्तव में कैसा रहा होगा। इस अध्ययन में उन्हें लाल ग्रह के बारे में मिले-जुले संकेत मिले हैं। पानी के प्रवाह और झीलों के तल को देखकर इस बात में कोई संदेह नहीं है कि वहां कभी पानी का बहाव था, लेकिन प्रारंभिक मंगल के जलवायु मॉडलों से संकेत मिलता है कि ग्रह पर औसत तापमान जमाव बिंदु से नीचे ही रहता था। अमेरिका की ब्राउन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के नेतृत्व में किए गए इस अध्ययन में यह समझाने की कोशिश की गई कि मंगल के ठंडे और बर्फीले होने के बावजूद वहां पानी का बहाव किस तरह हुआ होगा।
इकारस पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि यह बहुत मुमकिन है कि पूरे ग्रह के बर्फ के आवरण में लिपटे होने के बावजूद गर्मियों में तापमान का चरम स्तर ग्लेशियरों के किनारे पर बर्फ पिघलाने के लिए पर्याप्त था। रिसर्चरों ने निष्कर्ष निकाला है कि बर्फ के पिघलने से बने पानी की मात्रा तुलनामत्क दृष्टि से हालांकि बहुत कम थी, लेकिन हर साल इस प्रक्रिया के जारी रहने से उत्पन्न पानी मंगल की सतह पर आज दिखने वाली भौगोलिक संरचनाएं निर्मित करने के लिए पर्याप्त था। ब्राउन यूनिवर्सिटी के पीएचडी छात्र एशले प्लंबो का कहना है कि अंटार्कटिक ड्राई वैलीज में हमें इस तरह की चीजें दिखाई देती हैं जहां तापमान में मौसमी उतार-चढ़ाव झीलें निर्मित करने के लिए पर्याप्त है-भले ही वहां औसत सालाना तापमान जमाव बिंदु से बहुत नीचे चला जाता है। प्लंबो ने कहा, हम यह देखना चाहते थे कि क्या प्राचीन मंगल पर भी ऐसी ही कोई चीज घटी थी।
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