डोनाल्ड ट्रंप बोले, भारत-चीन को सब्सिडी देना पागलपन, डब्ल्यूटीओ पर लगाया आरोप
अमेरिका को भी विकासशील देशों की श्रेणी में रखते हुए ट्रंप ने कहा, जहां तक मेरा मानना है, हम भी विकासशील देश हैं।
शिकागो, प्रेट्र। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत और अमेरिका जैसे उभरते देशों को मिलने वाली सब्सिडी रोकना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि विकासशील होने के नाम पर इन देशों को सब्सिडी देना पागलपन है। अमेरिका खुद विकासशील देश है और हम औरों से तेज विकास करना चाहते हैं।
नॉर्थ डकोटा के फार्गो शहर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ट्रंप ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) पर आरोप लगाया कि उसने जानबूझकर चीन को बड़ी आर्थिक शक्ति बनने का मौका दिया। ट्रंप ने कहा, 'कुछ देश हैं जिन्हें उभरती अर्थव्यवस्था माना जाता है।
कुछ देश जो पर्याप्त परिपक्व नहीं हुए हैं, हमें उन्हें सब्सिडी देनी पड़ती है। भारत, चीन जैसे देशों को हम कहते हैं कि ये विकास कर रहे हैं। ये देश खुद को विकासशील की श्रेणी में रखते हैं और सब्सिडी पाते हैं। यह पागलपन है कि हमें इन्हें पैसा देना पड़ता है। लेकिन हम इसे रोकने जा रहे हैं। हमने इसे रोका है।'
अमेरिका को भी विकासशील देशों की श्रेणी में रखते हुए ट्रंप ने कहा, 'जहां तक मेरा मानना है, हम भी विकासशील देश हैं। मैं चाहता हूं कि हमें भी उस श्रेणी में रखा जाए, क्योंकि हम भी उभर रहे हैं। हम बाकी सब की तुलना में तेजी से उभर रहे हैं।'
ट्रंप ने डब्ल्यूटीओ पर भी निशाना साधा। उन्होंने इसे सबसे बेकार अंतरराष्ट्रीय संगठन बताया। उन्होंने कहा, 'बहुत से लोग नहीं जानते कि यही है जिसने चीन को आर्थिक महाशक्ति बनने का मौका दिया।' अमेरिका-चीन में ट्रेड वार की स्थिति पर ट्रंप ने कहा, 'मैं चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग का बहुत बड़ा प्रशंसक हूं। लेकिन मैंने उनसे कह दिया है कि हमें व्यापार में संतुलित होना पड़ेगा। हम चीन को हर साल अमेरिका से 500 अरब डॉलर ले जाकर खुद को मजबूत करने की अनुमति नहीं दे सकते।'
ट्रंप ने कहा कि अमीर देशों को बाहरी खतरों से बचाने के लिए अमेरिका को मूल्य मिलना चाहिए। अमेरिका पूरी दुनिया का ख्याल रखता है और वो इसे हल्के में लेते हैं। उन्होंने कहा, 'कई वर्षो से हम इन देशों की सुरक्षा कर रहे हैं। वे अपनी संपत्ति बढ़ा रहे हैं। उनका सैन्य खर्च बहुत कम है। दुनियाभर में हमारा सैन्य खर्च सबसे ज्यादा है। इसमें ज्यादातर सेना बाहरी देशों को बचाने में लगती है। इनमें ऐसे देश भी शामिल हैं, जो हमें पसंद नहीं करते।'