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डायबिटीज से जुड़े जीन की हुई पहचान, बेहतर उपचार की राह होगी आसान

वैज्ञानिकों ने एक ऐसे नए जीन की पहचान कर ली है, जो इंसुलिन के नियमन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह एक बड़ी खोज है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 17 Jan 2018 01:05 PM (IST)Updated: Wed, 17 Jan 2018 01:29 PM (IST)
डायबिटीज से जुड़े जीन की हुई पहचान, बेहतर उपचार की राह होगी आसान

लंदन (प्रेट्र)। वैज्ञानिकों ने एक ऐसे नए जीन की पहचान कर ली है, जो इंसुलिन के नियमन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह एक बड़ी खोज है। इसके जरिए मधुमेह के नए और बेहतर उपचार की राह तलाशी जा सकती है।

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वैज्ञानिकों के मुताबिक, मधुमेह के सबसे सामान्य रूप (टाइप 1 या टाइम 2) से पीड़ित एक से दो फीसद लोगों को यह बीमारी आनुवंशिक विकार के कारण होती है। एक दोषपूर्ण जीन सामान्यतया इंसुलिन उत्पादन कोशिकाओं के कार्य को प्रभावित करता है, जिन्हें बीटा कोशिकाओं के रूप में जाना जाता है।



अमेरिका स्थित वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी, ब्रिटेन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन और यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सीटर के शोधकर्ताओं ने मधुमेह से जुड़े ऐसे मामलों का अध्ययन किया, जिसमें ये बीमारी आनुवंशिक रूप से मिली थी। इसमें उन्होंने देखा कि परिवार के किसी सदस्य को ये बीमारी होने पर वह किस तरह अगली पीढ़ी को प्रभावित करती है।

इसमें सामने आया कि परिवार के सदस्य के अग्नयाश्य में इंसुलिन प्रोड्यूसिंग ट्यूमर उत्पन्न हुए, जिसने अगली पीढ़ी के व्यक्ति को प्रभावित किया। इन ट्यूमर को इंसोलिनोमस के रूप में जाना जाता है। सामान्यत ये ब्लड शुगर का स्तर कम होने के कारण उत्पन्न होता है। यह मधुमेह के विपरीत था, जो ब्लड शुगर का स्तर बढ़ने के कारण होता है।

क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी के मार्टा कार्बोनिट्स के मुताबिक, हम ये देखकर हैरान थे कि एक ही परिवार के सदस्यों में दो विपरीत परिस्थितियों के कारण यानी शुगर का स्तर अधिक या कम होने के कारण व्यक्ति मधुमेह या ब्लड शुगर से ग्रसित हो जाता है। अध्ययन में सामने आया कि इन दोनों रोगों का कारण एक ही जीन था, जिसका असर इंसुलिन द्वारा उत्पन्न होने वाली बीटा कोशिकाओं पर पड़ता है।

पीएनएएस नामक जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने उस जीन की पहचान की और उसे एमएएफए नाम दिया। यह जीन ही इंसुलिन में बीटा कोशिकाओं को नियंत्रित करता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, इस जीन की पहचान होने से हम इसके उपचार का नया तरीका तलाश सकते हैं। 

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