Coronavirus Vaccine: अमेरिका में COVID-19 वैक्सीन का सबसे बड़ा ट्रायल, 30 हजार वालंटियर पर टेस्ट शुरू
दुनियाभर में करीब 150 वैक्सीन पर काम चल रहा है। इसमें से 140 से ज्यादा अभी शुरुआती स्टेज पर हैं। जबकि कुछ तीसरे स्टेज के ट्रायल तक पहुंच गई हैं।
वाशिंगटन, एजेंसियां। कोरोना महामारी के प्रकोप को रोकने क् लिए दुनिया के कई देश वैक्सीन बनाने में जुटे हैं। अमेरिका की फार्मा कंपनी मॉडर्ना (Moderna Inc) की वैक्सीन परीक्षण के आखिरी चरण की ओर बढ़ गई है। कंपनी ने 30,000 वयस्कों के साथ परीक्षण की शुरुआत की है। इसमें ऐसे लोगों को शामिल किया गया है, जिन्हें सांस से जुड़ी कोई परेशानी नहीं रही है। अमेरिका सरकार ने इस वैक्सीन प्रोजेक्ट को करीब एक अरब डॉलर का सहयोग दिया है। कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि साल के आखिर तक टीका बाजार में आ सकता है।
दुनियाभर में इस समय 150 से ज्यादा वैक्सीन परीक्षण के अलग-अलग चरणों में हैं। दो दर्जन वैक्सीन का मानव परीक्षण चल रहा है। इस बीच मॉडर्ना और एस्ट्राजेनेका के टीके आखिरी चरण के परीक्षण की ओर बढ़ चुके हैं। कंपनियां इस साल के आखिर तक बाजार में टीका लाने के प्रयास में हैं। परीक्षण के आखिरी चरण में यह देखा जाएगा कि टीका कितना सुरक्षित है और वायरस के संक्रमण से बचाने में कितना कारगर है। इसमें यह भी देखा जाएगा कि टीका किसी मरीज को कोविड-19 के कारण होने वाली मौत से बचाने में किस हद तक सक्षम है। मॉडर्ना ने कहा है कि वह साल में 50 करोड़ खुराक तैयार करने के लिए तैयार है। इस क्षमता को बढ़ाकर एक अरब खुराक सालाना करने की कोशिश है।
भारत में 5 जगहों पर वैक्सीन का ट्रायल
वहीं, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की कोरोना वैक्सीन एस्ट्राजेनेका इंसानों पर परीक्षण में सफल रही है। यह वैक्सीन सुरक्षित होने के साथ ही साथ शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाने का काम करती है। इसे जिन लोगों को दिया गया था, उनके शरीर में वायरस से लड़ने वाले एंटीबॉडी के साथ-साथ व्हाइट ब्लड सेल्स भी पाए गए जो ज्यादा समय तक के लिए शरीर को प्रतिरोधक क्षमता देते हैं। व्हाइट ब्लड सेल्स को किलर टी-सेल्स भी कहा जाता है। एस्ट्राजेनेका के तीसरे और अंतिम मानव परीक्षण के लिए देश में पांच स्थानों को सुनिश्चित किया गया है। परीक्षण की पूरी तैयारी कर ली गई है। इस चरण में हजारों लोगों पर इस वैक्सीन का परीक्षण होगा।
150 से अधिक वैक्सीन पर काम
आमतौर पर किसी वैक्सीन पर ट्रायल लंबे समय तक चलता है और इसके विकसित होने में वर्षो लग सकते हैं। पूर्व में कई महामारियों के ऐसे उदाहरण मौजूद हैं, जब वैक्सीन बनने में सालों का वक्त लगा। हालांकि कोरोना महामारी से बचाव के लिए बहुत जल्द वैक्सीन के विकसित होने की उम्मीद की जा रही है। प्रमुख रूप से दुनिया में 150 से अधिक वैक्सीन पर काम चल रहा है। इनमें से अधिकतर वैक्सीन अभी प्री-क्लिनिकल टेस्टिंग तक ही पहुंची है। बहुत कम वैक्सीन ऐसी हैं, जो दूसरे या तीसरे चरण में हैं।