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Coronavirus Impact : संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट, 9 में से एक व्यक्ति को रहना पड़ रहा भूखा

संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि पिछले साल भुखमरी के शिकार लोगों की संख्या में इस साल एक करोड़ लोगों का बढ़ावा होगा। इस साल करीब 13 करोड़ अतिरिक्त लोग इसका शिकार होंगे।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Tue, 14 Jul 2020 02:37 PM (IST)Updated: Tue, 14 Jul 2020 06:39 PM (IST)
Coronavirus Impact : संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट, 9 में से एक व्यक्ति को रहना पड़ रहा भूखा

नई दिल्ली, रॉयटर्स। कोरोनावायरस ने पूरी दुनिया को हर तरह से प्रभावित किया है। आर्थिक चोट के साथ-साथ खाद्य और कृषि जैसी चीजों पर भी बुरा प्रभाव डाला है। दुनियाभर के देशों को कोरोना से कितना नुकसान हुआ है इसका आंकलन लगाना मुश्किल है। लॉकडाउन के बाद से हालात बदतर होते जा रहे हैं।

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विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से लगातार कोरोनावायरस संक्रमण की मानीटरिंग की जा रही है, देशों को जानकारियां दी जा रही है जिससे वो अपने को इस महामारी से सुरक्षित रख सकें। इस बीच संयुक्त राष्ट्र की 5 एजेंसियों ने एक सर्वे किया है जिसमें ये बात निकलकर सामने आई है कि दुनिया में हर 9 में एक आदमी को भुखा रहना पड़ रहा है। इसके अलावा इस साल भुखमरी का शिकार होने वाले लोगों की संख्या में भी इजाफा होगा। 

एक करोड़ लोगों का हुआ इजाफा 

संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि पिछले साल भुखमरी के शिकार लोगों की संख्या में इस साल एक करोड़ लोगों का बढ़ावा होगा। चेतावनी दी है कि कोरोनावायरस महामारी इस साल करीब 13 करोड़ अतिरिक्त लोगों को भुखमरी की ओर धकेल सकती है। सोमवार को संयुक्त राष्ट्र की ताजा रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना वायरस महामारी के कारण हालात और खराब हो रहे हैं। रिपोर्ट कहती है कि करीब नौ में से एक व्यक्ति को भूखा रहना पड़ रहा है। 

पांच एजेंसियों ने तैयार की रिपोर्ट 

इस रिपोर्ट को यूएन की पांच एजेंसियां- खाद्य और कृषि संगठन, अंतरराष्ट्रीय कृषि विकास कोष, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष, विश्व खाद्य कार्यक्रम और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मिलकर तैयार किया है। रिपोर्ट कहती है कि बीते पांच सालों में भुखमरी और कुपोषण के अलग-अलग रूपों के शिकार लोगों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है और कोरोना वायरस महामारी के कारण समस्या और गंभीर रूप धारण कर सकती है।

महामारी और टिड्डी के कारण 13 करोड़ लोग करेंगे भुखमरी का सामना 

रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि इस साल महामारी के कारण लगाई पाबंदियां और आर्थिक मंदी से आठ करोड़ से 13 करोड़ लोग भुखमरी का सामना कर सकते हैं। इस रिपोर्ट के लेखकों ने पूर्वी अफ्रीका में "टिड्डी के प्रकोप" का भी जिक्र किया है। 

साल 2019 में 69 करोड़ लोग भुखमरी का थे शिकार 

यूएन की ताजा रिपोर्ट कहती है कि साल 2019 में 69 करोड़ लोग भुखमरी का शिकार थे और 2018 की तुलना में इस संख्या में एक करोड़ लोगों की बढ़ोतरी हुई थी। छह साल में यह संख्या छह करोड़ बढ़ी है। दशकों तक लगातार गिरावट के बाद साल 2014 से भुखमरी के आंकड़ों में धीरे-धीरे बढ़ोत्तरी होनी शुरू हुई जो कि अब तक जारी है। एशिया में सबसे बड़ी संख्या में लोग कुपोषित हैं जिनकी संख्या करीब 38 करोड़ है। इसके बाद लैतिन अमेरिका और कैरिबयाई क्षेत्र का नंबर आता है। रिपोर्ट के लेखकों का कहना है कि भुखमरी से लड़ाई महामारी के पहले ही रुक गई थी। 

तीन अरब लोगों के पास सेहतमंद आहार नहीं 

यूएन की एजेंसियों का कहना है कि करीब तीन अरब लोगों के पास सेहतमंद आहार सुनिश्चित करने के साधन नहीं है। रिपोर्ट कहती है कि इस दिशा में अधिक से अधिक कार्य करने की जरूरत है। उसके मुताबिक सभी लोगों की पहुंच ना केवल भोजन तक होनी चाहिए बल्कि पौष्टिक खाद्य पदार्थों तक भी होनी चाहिए जो एक स्वस्थ आहार बनाते हैं।

रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला गया कि कोरोना वायरस महामारी के परिणामस्वरूप खाद्य वितरण प्रणाली बाधित हुई, आजीविका को नुकसान हुआ और विदेशों में काम करने वाले अपने घर पैसे भेज नहीं पाए जिस वजह से गरीब परिवारों को स्वस्थ आहार तक पहुंच बनाने में मुश्किल पैदा हुई। 

जीवन पटरी पर आने में लगेगा समय 

फिलहाल ये चीजें इतनी जल्दी सुलझने वाली नहीं है। कोरोना के कहर से जीवन को वापस पुनः उसी तरह से पटरी पर आने में भी अभी समय लगेगा। हो सकता है कि साल 2021 जनवरी तक ही इसमें पूरी तरह से सुधार दिख पाएं, वरना ये समय आगे भी जा सकता है। इस बीच यदि कोई कंपनी कोरोना की वैक्सीन खोज भी लेती है तो उसे दुनिया के हर देश तक पहुंचाने में भी समय लगेगा।

यदि युद्ध स्तर पर इस वैक्सीन का उत्पादन किया गया तो सभी जगह पहुंचा पाना अपने आप में एक अलग युद्ध होगा। हो सकता है कि इस बीच इस तरह से कोई नई बीमारी हमारे सामने आ जाए तो हमें उससे भी निपटने में जोर लगाना होगा। फिर हमारे सामने दो संकट खड़े हो जाएंगे।  


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