दिल की धड़कन अनियमित कर सकती है क्लोरोक्विन, पढ़ें अध्ययन में सामने आईं बातें
कोरोना के इलाज में इन दवाओं के प्रभाव का अभी तक कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिला है।
वॉशिंगटन, प्रेट्र। एक नए अध्ययन में कहा गया है कि कोरोना वायरस (कोविड-19) के इलाज में कारगर बताई जा रही क्लोरोक्विन, हाइड्रोक्सी क्लोरोक्विन और एजिथ्रोमाइसिन दवाओं का मरीजों पर दुष्प्रभाव भी पड़ सकता है। इससे दिल की अनियमित धड़कन और ब्लड शुगर लेवल कम होने का खतरा हो सकता है। कोरोना के इलाज में इन दवाओं के प्रभाव का अभी तक कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिला है। इसके बावजूद इनका इस्तेमाल किया जा रहा है।
कनाडियन मेडिकल एसोसिएशन जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में इन दवाओं से होने वाले संभावित नुकसान की जानकारी दी गई है। कनाडा के सनीब्रुक हेल्थ साइंसेज सेंटर के शोधकर्ता डेविड जुरलिंक ने कहा, 'चिकित्सकों और रोगियों को जीवन के लिहाज से क्लोरोक्विन और हाइड्रोक्सी क्लोरोक्विन के संभावित प्रतिकूल प्रभावों के बारे में अवगत होना चाहिए।'
शोधकर्ताओं के अनुसार, इन दवाओं के दुष्प्रभाव तंत्रिका तंत्र संबंधी मनोविकारों मसलन घबराहट, भ्रम और मतिभ्रम के रूप में भी सामने आ सकते हैं। उन्होंने कहा, कुछ रोगियों में मलेरिया रोधी क्लोरोक्विन और हाइड्रोक्सी क्लोरोक्विन दवाओं की प्रक्रिया सही नहीं होती। इसके चलते उपचार को लेकर प्रतिक्रिया प्रभावित होती है। क्लोरोक्विन और हाइड्रोक्सी क्लोरोक्विन की ज्यादा खुराक विषाक्त होती है और मिर्गी, कोमा व कार्डिक अरेस्ट तक का खतरा हो सकता है।
शोधकर्ताओं ने आगाह किया कि बिना सोच-विचार के हाइड्रोक्सी क्लोरोक्विन का इस्तेमाल करने से रोगियों को गठिया जैसे ऑटोइम्यून विकारों का भी सामना करना पड़ सकता है। अध्ययन के मुताबिक, इन दवाओं से कोरोना पीडि़तों को लाभ होने के साक्ष्य खराब गुणवत्ता के हैं। लेकिन इनके उपयोग से बीमारी के गंभीर होने का भी खतरा हो सकता है। जुरलिंक ने कहा, 'इसलिए यह जरूरी है कि कोरोना रोगियों के उपचार में इन दवाओं के इस्तेमाल से पहले बेहतर साक्ष्यों और परीक्षणों की जरूरत है।'