चीन की बढ़ती सैन्य ताकत से चिंतित अमेरिका, कहा- घातक हथियारों के मामले में बहुत आगे निकला ड्रैगन
अमेरिका के एक शीर्ष खुफिया अधिकारी ने मंगलवार को कहा कि चीन तेजी से अपनी सैन्य ताकत बढ़ा रहा है, ताकि दुनिया पर अपना वर्चस्व बना सके।
वाशिंगटन, प्रेट्र। चीन की बढ़ती सैन्य ताकत, प्रभाव बढ़ाने वाली साजिशों और रणनीतिक महत्व वाले स्थानों पर कब्जा जमाने की कोशिश से अमेरिका चिंतित है। अमेरिका का मानना है कि चीन की वन बेल्ट वन रोड (ओबीओआर) परियोजना देशों की संप्रभुता को खत्म करने वाली है। इसके जरिये चीन देशों को आर्थिक रूप से मजबूर बना रहा है और उनका सैन्य फायदा उठा रहा है। अमेरिका ने इस सिलसिले में पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट और श्रीलंका के हंबनटोटा पोर्ट पर कब्जे का उदाहरण दिया है।
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने चीन के विश्व में बढ़ रहे प्रभाव और उससे अमेरिका के लिए पैदा हो रही सैन्य चुनौतियों पर एक रिपोर्ट तैयार की है। रिपोर्ट में चीन सरकार के अंतरराष्ट्रीय मान्यताओं को खत्म करने और अन्य देशों की संप्रभुता खत्म करने वाले कदमों का जिक्र किया गया है। साथ ही अमेरिका और उसके सहयोगी देशों की सुरक्षा को खतरा पैदा किया जा रहा है। ओबीओआर परियोजना के तहत चीन सैन्य फायदा पाने के लिए कई बंदरगाहों और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण देशों में निवेश कर रहा है। वह हिंद महासागर, भूमध्य सागर और अटलांटिक महासागर में अपनी नौसैनिक मौजूदगी बढ़ाता जा रहा है। चीन के बढ़ते खतरे पर पेंटागन की ओर से 24 घंटे के भीतर आई यह दूसरी रिपोर्ट है।
पेंटागन रिपोर्ट में चीनी निवेश के 17 मामलों में पाया कि उनमें कारोबार के सभी मानदंडों का उल्लंघन किया गया और संबंधित देशों पर नकारात्मक आर्थिक असर डाला गया। ऐसे कदमों के जरिये चीन ने कई देशों में निर्णयों को प्रभावित करने वाली ताकत हासिल की और अमेरिका व उसके सहयोगी देशों के लिए चुनौती देने वाली स्थितियां पैदा कीं। यह स्थिति अमेरिका के प्रभाव को चुनौती देने वाली है।
पेंटागन की रिपोर्ट में अमेरिकी संस्थाओं का उल्लेख कर बताया गया है कि सन 2006 से 2017 के बीच चीन ने उत्तरी अमेरिका में 223 अरब डॉलर, दक्षिणी अमेरिका में 98 अरब डॉलर और यूरोप में 299 अरब डॉलर का निवेश इन्हीं मकसदों को ध्यान में रखते हुए किया है। इसी प्रकार से पश्चिम एशिया में 85 अरब डॉलर, अफ्रीका में 77 अरब डॉलर, मध्य-पूर्व देशों में 31 अरब डॉलर, पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी एशिया में 120 अरब डॉलर तथा ऑस्ट्रेलिया में 91 अरब डॉलर का निवेश किया है। इनमें ज्यादातर निवेश 2013 में शुरू हुए ओबीओआर के तहत किया गया है।