चंद्रमा के ऐसे हिस्से 'डार्क साइड' में उतरा चीन का अंतरिक्षयान, जहां हैं जीवन के संकेत
चीन की ओर से जारी बयान में बताया गया था कि अंतरिक्षयान चांगी 4 रविवार को चंद्रमा की कक्षा में पहुंच गया। चांग इ-4 और चंद्रयान-2 दोनों ही सबसे पहले चंद्रमा की धरती पर उतरना चाहते थे।
वाशिंगटन, एएनआइ। चीन का अंतरिक्षयान चांग इ-4 चंद्रमा पर उतर गया है। अमेरिकी मीडिया की खबर के मुताबिक, चीन के स्पेसक्राफ्ट ने चंद्रमा के उस हिस्से में लैंड किया है, जिसकी अभी तक कोई पड़ताल नहीं हो पाई है। इससे पहले चीन की ओर से जारी बयान में बताया गया था कि अंतरिक्षयान चांग इ-4 रविवार को चंद्रमा की कक्षा में पहुंच गया। चांग इ-4 और चंद्रयान-2 दोनों ही 'सबसे पहले' चंद्रमा की धरती पर उतरना चाहते थे। चांद के इस हिस्से के बारे में अभी तक कोई पुख्ता जानकारी नहीं है।
बता दें कि चांद अपनी धुरी पर इस तरह से घूमता है कि हमेशा उसका एक हिस्सा ही धरती से दिखाई देता है। उसके अनदेखे हिस्से का अध्ययन करने के लिए पहली बार कोई मिशन लांच किया गया है। नका यान 'चांग इ-4' का लक्ष्य दक्षिणी ध्रुव-ऐटकन घाटी स्थित एक गड्ढा है, जिसका प्रभाव सौर मंडल में सबसे ज्यादा है। यह चंद्रमा पर लगभग 1,600 मील आर-पार और आठ मील गहरी सबसे बड़ी, सबसे पुरानी और सबसे गहरी घाटी है।
लांग मार्च-3बी रॉकेट के जरिये रवाना हुआ चांग इ-4 यान 12 दिसंबर को चांद की कक्षा में पहुंचा था। यह यान चांद के अनदेखे हिस्से में दक्षिणी ध्रुव के पास उतरेगा। इसकी मदद से उस हिस्से के रहस्यों का पता लग सकेगा। इस मिशन के तहत वहां की भू-संरचनाओं व घाटियों का अध्ययन किया जाएगा। इसके अतिरिक्त चांद पर मौजूद खनिजों और उसकी सतह की संरचना का भी पता लगाया जाएगा।
इस यान के साथ चार विशेष वैज्ञानिक उपकरण भी भेजे गए हैं जिनका इस्तेमाल मिशन के दौरान किया जाएगा। पृथ्वी से ना दिखाई देने के कारण चांद के उस हिस्से से सीधे संचार स्थापित करना लगभग नामुमकिन है। इसी कारण चांग ई-4 से संपर्क स्थापित करने के लिए एक सेटेलाइट भी लांच किया गया है। क्यूकिआओ नाम का यह सेटेलाइट मई में भी लॉन्च कर दिया गया था।
क्यों रहता है चांद की एक ओर अंधेरा
चांद का हमेशा एक ही हिस्सा हमें इसलिए दिखता है, क्योंकि जिस गति से वह पृथ्वी के चक्कर लगाता है, उसी गति से अपनी धुरी पर भी चक्कर लगाता है। यही कारण है कि चांद का एक हिस्सा हमें नहीं दिखाई देता है। बताया जाता है कि चंद्रमा का अनदेखा हिस्सा मानव के बसने के लिए आदर्श है, क्योंकि यहां पानी बर्फ के रूप में रहता है। यान से बंधे लैंडर से बंधे जर्मन विकिरण डिटेक्टर यह परीक्षण करेंगे कि लोगों के लिए यहां लंबे समय तक जीवित रहना कितना खतरनाक होगा। रोवर सौर पैनलों द्वारा संचालित होता है और उसके ऊपर एक कैमरा होता है जो लगातार छवियों को कैद करता है और दृश्यमान व अवरक्त प्रकाश को मापकर चंद्रमा के चट्टान के रासायनिक मिश्रण का विश्लेषण करेगा।