चीन ने इन मोर्चे पर बढ़ाई अमेरिका की चिंता, जानिए क्या है कारण
एक रेडियो कार्यक्रम में पोंपियो ने कहा, चीन के साथ अमेरिका का कारोबार बहुत असंतुलित है।
वाशिंगटन, प्रेट्र। कारोबार से लेकर बौद्धिक संपदा के अधिकार तक हर मोर्चे पर अमेरिका के लिए चीन चिंता का कारण बना हुआ है। अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने कहा कि चीन के साथ अमेरिका पारदर्शी व पारस्परिक कारोबार चाहता है और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इसके लिए प्रतिबद्ध हैं।
एक रेडियो कार्यक्रम में पोंपियो ने कहा, 'चीन के साथ अमेरिका का कारोबार बहुत असंतुलित है। राष्ट्रपति ट्रंप ने इससे निपटने की दिशा में कदम बढ़ाया है। दक्षिण चीन सागर में चीन की गतिविधियां भी बड़ी चुनौती हैं।' पोंपियो ने बौद्धिक संपदा चोरी के मामलों पर भी चिंता जताई। उन्होंने बताया, 'इसी हफ्ते 10 चीनी लोगों को बौद्धिक संपदा चोरी के मामले में दोषी पाया गया। इन्होंने विमानन क्षेत्र से जुड़ी जानकारियों की चोरी की थी। वैश्विक समुदाय का हिस्सा बनने की इच्छा रखने वाला कोई देश ऐसी गतिविधियों को अंजाम नहीं दे सकता। हम चीन को इस तरह के हर मोर्चे पर पीछे धकेल रहे हैं। हम अमेरिकी लोगों की तरफ से हरसंभव प्रयास कर रहे हैं।' पोंपियो ने रूस से जुड़ी चिंताओं पर भी विचार रखा।
उन्होंने कहा, 'तुलनात्मक रूप से रूस बहुत छोटी अर्थव्यवस्था है, लेकिन उसके पास परमाणु हथियारों का बड़ा जखीरा है। यह अमेरिका के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए खतरा है। राष्ट्रपति ट्रंप इस पर सख्त हैं। हमने रूस और व्लादिमीर पुतिन पर दबाव बनाने के लिए जैसे कदम उठाए हैं, वैसे कदम पिछली किसी सरकार ने नहीं उठाए।'
चीन के हिरासती शिविरों पर जताई चिंता
चीन के शिनजियांग प्रांत में हिरासती शिविरों पर अमेरिका ने चिंता जताई है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रॉबर्ट पलाडिनो ने कहा, 'हम चिंतित हैं कि चीन की सरकार ने 10 लाख उइगर, कजाख और अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के अन्य लोगों को हिरासती शिविरों में रखा है। हम चीन से तत्काल शिविरों में हिरासत में रखे गए लोगों को मुक्त करने की अपील करते हैं।' चीन का कहना है कि ये शिविर मानवीय व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र हैं। अमेरिका ने इस तर्क को बेहूदा बताया है।