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BRI से हिंद महासागर में बढ़ेगी चीन की उपस्थिति: US अधिकारी

US के जनरल का कहना, ग्वादर बंदरगाह तक चीन की पहुंच हिंद महासागर में बीजिंग की रणनीतिक उपस्थिति को बढ़ाने की क्षमता रखता है।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Wed, 28 Feb 2018 02:58 PM (IST)Updated: Wed, 28 Feb 2018 03:00 PM (IST)
BRI से हिंद महासागर में बढ़ेगी चीन की उपस्थिति: US अधिकारी
BRI से हिंद महासागर में बढ़ेगी चीन की उपस्थिति: US अधिकारी

 वॉशिंगटन (पीटीआइ)। अमेरिका के एक शीर्ष अधिकारी का कहना है कि पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह तक चीन की पहुंच हिंद महासागर में बीजिंग की रणनीतिक उपस्थिति को बढ़ाने की क्षमता रखता है। यूएस सेंट्रल कमांड के कमांडर जनरल जोसेफ वोटेल ने कहा कि चीन दीर्घकालिक और स्थिर आर्थिक विकास का पीछा कर रहा है जो कि उसके अंतरराष्ट्रीय प्रभाव और ऊर्जा संसाधनों तक पहुंच को मजबूत करता है।

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उन्होंने सीनेट विदेश सचिव समिति के सदस्यों को बताया, 'चीन बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआइ) के अंतर्गत आने वाला चीन पाकिस्तान-आर्थिक कॉरिडोर (सीपीईसी) इस क्षेत्र में मुनाफा पैदा करने वाली परियोजना है, लेकिन इससे चीन के सैन्य आसन में भी सुधार आ सकते हैं।' वोटेल ने कहा कि इस परियोजना के तरह चीन का पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह तक पहुंच का रास्ता साफ हो जाएंगे, जिससे हिंद महासागर में चीन की सामरिक उपस्थिति बढ़ाने की क्षमता है। पाकिस्तान में भी हिंद महासागर में अपनी सामरिक उपस्थिति बढ़ाने की क्षमता है।

वोटेल ने कहा, 'चीन ने हाल ही में जिबूती में बाब अल मन्देब (बीएएम) के निकट अपने पहले विदेशी सैन्य अड्डे की स्थापना की है। जबकि चीन यह दावा करता आया है कि वह दोनों जगहों पर शांति और मानवतावादी कार्यों का समर्थन करते है। नया सैन्य अड्डा और बंदरगाह चीन को इस क्षेत्र के भीतर स्थायी रूप से मजबूती प्रदान करता है और रणनीतिक रूप से मूल्यवान व्यापार जलमार्गों को प्रभावित करने की अनुमति देता है।'

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की महत्वाकांक्षी बेल्ट और रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) एशियाई देशों- अफ्रीका, चीन और यूरोप के बीच कनेक्टिविटी और सहयोग को बेहतर बनाने पर केंद्रित है। भारत बीआरआइ के विरोध में है, क्योंकि इसमें सीपीइसी शामिल है जो पाकिस्तान-कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से होकर गुजरेगी।


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