सावधान! इंसानों जैसा व्यवहार करने लगे हैं बॉट्स, खतरे में पड़ सकती है आपकी निजता
शोधकर्ताओं ने चेताया है कि एआइ आधारित बॉट्स अब इंसानों जैसा व्यवहार कर रहे हैं। ये इंटरनेट में कहीं भी पहुंच सकते हैं और आपकी निजता को भी प्रभावित कर सकते हैं...
न्यूयॉर्क, आइएएनएस। शोधकर्ताओं ने बताया है कि सोशल मीडिया पर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) आधारित बॉट्स या फेक अकाउंट इतने विकसित हो गए हैं कि वे अब इंसानों जैसा व्यवहार कर रहे हैं। शोध करने वाली टीम में एक भारतीय मूल के शोधकर्ता भी शामिल हैं। ‘फस्र्ट मंडे’ जनरल में प्रकाशित अध्ययन में सदर्न कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 2018 और उसके पहले के चुनावों में बॉट के व्यवहार की तुलना की है।
शोधकर्ताओं ने बताया कि हमारा विचार इस बात को और पुष्ट करता है कि बॉट्स और डिटेक्शन एल्गोरिद्म के बीच कोई दौड़ चल रही है। डिटेक्शन एल्गोरिद्म उसे कहते हैं जो किसी बॉट्स या फेक अकाउंट को इंटरनेट में एक्सेस करने से रोकती है। जैसे कि कैप्चा कोड। जैसे-जैसे सोशल मीडिया कंपनियां अपनी वेबसाइट को अनधिकृत प्रवेश से बचाने के लिए तकनीकें लाती रही हैं वैसे ही बॉट्स मनुष्यों की और बेहतर नकल करने के लिए विकसित होते रहे हैं।
अध्ययन के लेखक एमिलियो फेरारा ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस बॉट्स को सेंध लगाने के लिए और अधिक विकसित बना रहा है। अपने अध्ययन में शोधकर्ताओं ने सोशल मीडिया के 250,000 ऐसे उपयोगकर्ताओं का अध्ययन किया, जिन्होंने 2016-18 में अमेरिकी चुनावों पर चर्चा की। इस दौरान शोधकर्ताओं ने 30,000 से अधिक बॉट्स का पता लगाया। ये बॉट्स ट्वीट और रीट्वीट भी करते हैं। उनका कहना है कि भविष्य में आने वाले चुनावों में ये बॉट्स नई चुनौती पेश करेंगे। इनसे निपटना जरूरी भी है और बहुत मुश्किल भी।
क्या होते हैं बॉट्स
यह एक सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन होती है। जो इंटरनेट पर स्वचालित कार्यो को करती है। उदाहरण के लिए अगर आप चाहते हैं कि आपके जन्मदिन पर सोशल मीडिया में बधाई देने वालों के पास आपकी तरफ से अपने आप धन्यवाद का संदेश पहुंच जाए तो इसको विशेष सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन बनाकर किया जा सकता है। यह एप्लीकेशन बधाई का मैसेज देखते ही धन्यवाद का मैसेज दे देता। इन बॉट्स को जब आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से लैस किया जाता है तो यह इंटरनेट की दुनिया में मनुष्यों की तरह ही व्यवहार करते हैं।