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Supernova Explosion: पृथ्वी से 10 करोड़ प्रकाश वर्ष की दूरी पर अंतरिक्ष में हो रहे हैं असामान्य रूप से विस्फोट

Supernova Explosion सुपरनोवा किसी तारे में भयंकर विस्फोट को कहते हैं। जिस तारे में विस्फोट हो रहा है उसे ‘सुपरनोवा एलएसक्यू14एफएमजी’ के नाम से जाना जाता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 15 Sep 2020 12:09 PM (IST)Updated: Tue, 15 Sep 2020 12:49 PM (IST)
Supernova Explosion: पृथ्वी से 10 करोड़ प्रकाश वर्ष की दूरी पर अंतरिक्ष में हो रहे हैं असामान्य रूप से विस्फोट
Supernova Explosion: पृथ्वी से 10 करोड़ प्रकाश वर्ष की दूरी पर अंतरिक्ष में हो रहे हैं असामान्य रूप से विस्फोट

वाशिंगटन, एएनआइ। Supernova Explosion विज्ञानियों ने पृथ्वी से 10 करोड़ प्रकाश वर्ष की दूरी पर एक सुपरनोवा में असामान्य रूप से विस्फोट होने का पता लगाया है। सुपरनोवा किसी तारे में भयंकर विस्फोट को कहते हैं। जिस तारे में विस्फोट हो रहा है उसे ‘सुपरनोवा एलएसक्यू14एफएमजी’ के नाम से जाना जाता है। इसकी खासियत यह है कि यह धीरे-धीरे चमकता है और अपनी कक्षा में अन्य विस्फोटों की तुलना में इसका प्रकाश बहुत तीव्र है।

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अमेरिका की फ्लोरिडा स्टेट यूनिवर्सिटी में भौतिकी के प्रोफेसर एरिक हसियाओ ने नेतृत्व में 37 अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं ने सुदूर अंतरिक्ष में हो रही इस खगोलीय घटना का पता लगाया है। द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में प्रकाशित हुए इस शोध से ‘एलएसक्यू14एफएमजी’ के सुपरनोवा के समूह की उत्पत्ति के बारे में पता लगाने में मदद मिल सकती है।

अनुसंधानकर्ताओं के साथ शोध पत्र के मुख्य लेखक प्रो. एरिक। साभार : एफएसयू

इस शोध पत्र के मुख्य लेखक प्रोफेसर एरिक हसियाओ ने कहा, ‘सुपरनोवा में विस्फोट की यह घटना वास्तव में अनोखी और अजीब घटना है और इसके बारे में हमारा आकलन भी काफी दिलचस्प है।’ उन्होंने कहा कि जिस तारे में विस्फोट हो रहा है वह ‘टाइप ला सुपरनोवा’ के रूप में जाना जाता है और सबसे महत्वपूर्ण यह है कि यह ‘सुपर-चंद्रशेखर’ समूह का एक हिस्सा है।

‘टाइप ला सुपरनोवा’ बाइनरी सिस्टम में होता है जिसमें से एक तारा व्हाइट ड्वार्फ (सफेद बौना) होता है और दूसरा तारा किसी विशालकाय तारे से लेकर छोटा व्हाइट ड्वार्फ तक कुछ भी हो सकता है। इसके तारे एक ही तरह के जीवन चक्र से गुजरते हैं और इनका अंत कम द्रव्यमान वाले कुछ तारों के विस्फोट के साथ होता है। ये इतने शक्तिशाली होते हैं कि आकाशगंगाओं के विकास को आकार देते हैं। इनसे निकलने वाला प्रकाश इतना तीव्र होता है कि पृथ्वी से आधे ब्रrांड को देखा जा सकता है।

क्या होता है सुपरनोवा : अतंरिक्ष में किसी तारे के टूटने से जो ऊर्जा पैदा होती है, उसे सुपरनोवा कहते हैं। कई बार एक तारे से जितनी ऊर्जा निकलती है, वह हमारे सूर्य के पूरे जीवनकाल में निकलने वाली ऊर्जा से भी ज्यादा होती है। सुपरनोवा की ऊर्जा इतनी शक्तिशाली होती है कि उसके आगे हमारी धरती की आकाशगंगा कई हफ्तों तक फीकी पड़ सकती है। इनके निर्माण में व्हाइट ड्वार्फ की अहम भूमिका होती है। ज्यादातर व्हाइट ड्वार्फ गर्म होते होते अचानक गायब हो जाते हैं। लेकिन कुछ दूसरे तारों से मिल कर सुपरनोवा का निर्माण करते हैं।


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