ज्यादा चिंता करने वाले लोगों को सांस लेने में दिक्कत का होता है भ्रम, और बढ़ जाता है तनाव
ओटागो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने अपने नए अध्ययन में पाया है कि जो लोग बहुत अधिक चिंता करते हैं उन्हें अपनी सांस लेने में दिक्कत का भ्रम होता है। इससे उनका तनाव और अधिक बढ़ जाता है ।
वाशिंगटन,एएनआइ। ओटागो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने अपने नए अध्ययन में पाया है कि जो लोग बहुत अधिक चिंता करते हैं उन्हें अपनी सांस लेने में दिक्कत का भ्रम होता है। इससे उनका तनाव और अधिक बढ़ जाता है। रूदरफोर्ड डिस्कवरी रीसर्च के मनोविज्ञान विभाग के प्रमुख शोधकर्ता डा.ओलीविया हैरिसन ने कहा कि दुनिया भर में तनाव से कमोबेश सभी प्रभावित होते हैं। इसका सबसे ज्यादा असर मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। यह स्थिति और भी अधिक बढ़ गई है जब लोग मौजूदा समय में वैश्विक महामारी के दौर से गुजर रहे हैं।
इस शोधपत्र को न्यूरान नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। तनाव के लक्षणों को बताते हुए कहा गया कि ऐसा होने पर शरीर में हृदयगति बढ़ जाती है। हथेलियां पसीने से तर-बतर हो जाती हैं। सांस तेज चलने लगती है और लगातार बुरे ख्याल आने लगते हैं। इससे तनाव और भी अधिक बढ़ जाता है। डा. हैरिसन ने बताया कि ज्यूरिख विश्वविद्यालय में कम तनाव वाले करीब तीस स्वस्थ लोगों पर यह रिसर्च की गई है। इसके अलावा, अधिक तनाव वाले तीस अन्य लोगों पर भी तुलनात्मक अध्ययन किया गया।
सांस लेने के एक टास्क के दौरान ब्रेन इमेजिंग की गई
प्रतिभागियों से प्रश्नावली भरवाई गई और दो तरह से सांस लेने को कहा गया। सांस लेने के एक टास्क के दौरान उनकी ब्रेन इमेजिंग की गई। साथ में रक्त में आक्सीजन और बहाव पर नजर रखी गई। इसके बाद शोध में पाया गया कि अधिक तनाव वाले लोगों को लगता है कि उनकी सांस ठीक नहीं चल रही, जबकि कम तनाव वाले लोगों को ऐसा कुछ महसूस नहीं होता है। अधिक तनावग्रस्त लोगों के दिमाग की गतिविधियां भी बढ़ जाती हैं। हालांकि, अध्ययन से इस बात का जवाब नहीं मिला कि चिंता का प्रभावी ढंग से इलाज कैसे किया जाए, लेकिन इससे यह पता चला है कि ज्यादा चिंता करने से शरीर कैसे प्रभावित होता है।