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अब कुशल और मेधावी आप्रवासियों को एच-1बी वीजा देने से इन्कार कर रहा है अमेरिका

अमेरिका में वैसे तो एच-1बी वीजा पाना हमेशा से मुश्किल रहा है। हर साल अमेरिका सिर्फ 85000 एच-1बी वीजा ही जारी करता है वह भी लॉटरी सिस्टम से।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 27 Feb 2019 01:13 AM (IST)Updated: Wed, 27 Feb 2019 01:13 AM (IST)
अब कुशल और मेधावी आप्रवासियों को एच-1बी वीजा देने से इन्कार कर रहा है अमेरिका

न्यूयॉर्क, एपी। अमेरिका अब मेधावी और विशिष्ट कौशल वाले विदेशियों को वर्क वीजा देने से मना कर रहा है। इसे एच-1बी वीजा के नाम से भी जाना जाता है। अगर वीजा देने से साफ-साफ इन्कार नहीं किया जा रहा है तो उसे सरकारी प्रक्रियाओं में उलझा दिया जा रहा है, जबकि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कुशल और मेधावी आप्रवासियों को हर सुविधा देने का वादा किया था। भारतीय आइटी कंपनियों पर इसका सबसे ज्यादा बुरा प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि उसके ज्यादातर पेशेवर इसी वीजा पर वहां जाते हैं।

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अमेरिका में वैसे तो एच-1बी वीजा पाना हमेशा से मुश्किल रहा है। हर साल अमेरिका सिर्फ 85,000 एच-1बी वीजा ही जारी करता है, वह भी लॉटरी सिस्टम से। लेकिन इमिग्रेशन अटॉर्नी और आप्रवासियों को नौकरी पर रखने वाली कंपनियों का कहना है कि 2017 में ट्रंप के सत्ता में आने के बाद से एच-1बी वीजा हासिल करना बहुत मुश्किल हो गया है। सरकारी विभागों की तरफ से इसमें जानबूझ कर बाधा पैदा की जा रही है।

मिशिगन, के एन्न आर्बर में इमिग्रेशन अटॉर्नी जॉन गोसलोव का कहना है कि श्रेष्ठ और प्रतिभावान आप्रवासियों को आने देने की सिर्फ बाते ही हो रही हैं। असम में सभी मेधा के विदेशियों को आने से रोकने के उपाय किए जा रहे हैं। अमेरिकी कारोबार के लिए यह अच्छा नहीं है।

मिनेसोटा के ब्लूमिंगटन में ऑर्किटेक फर्म के सह संस्थापक लिंक विल्सन का कहना है कि अमेरिका में योग्य ऑर्किटेक की कमी तो वर्षो से है। जब हम योग्य और अनुभवी आप्रवासी ऑर्किटेक को नौकरी पर रखना चाहते हैं तो भारी भरकम कानूनी शुल्क भरना पड़ता है और वीजा के लिए लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता है। इससे कंपनी के विस्तार और आय पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

सत्ता में आने के तीन महीने बाद ही ट्रंप ने एच-1बी वीजा के मानक को बढ़ा दिया था। ट्रंप सरकार ने अत्यधिक कुशल और मोटी तनख्वाह पाने वाले कर्मचारियों को ही इसे जारी करने का नियम बना दिया था।

ह्यूस्टन में आप्रवासी मामलों की वकील दक्षिणी सेन का कहना है कि सरकारी अधिकारी कंपनियों की कमाई में बाधा डाल रहे हैं, जिससे कि वो परेशान होकर विदेशी कर्मचारियों को रखने का विचार छोड़ दें। उनका कहना है कि एच-1बी वीजा के लिए वो लोग ब्योरा देते-देते थक जाती हैं, लेकिन सरकारी विभागों की पूछताछ खत्म नहीं होती।


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