यात्रा प्रतिबंध के दायरे को बढ़ाने पर विचार कर रहा अमेरिका, कई मुस्लिम देश हो सकते हैं प्रभावित
ट्रंप प्रशासन विवादास्पद यात्रा प्रतिबंध के दायरे को बढ़ाने पर विचार कर रहा है। इस बाबत तैयार किए गए दस्तावेज पर व्हाइट हाउस में चर्चा भी हो चुकी है।
वाशिंगटन, एपी। ट्रंप प्रशासन विवादास्पद यात्रा प्रतिबंध के दायरे को बढ़ाने पर विचार कर रहा है। इस बाबत तैयार किए गए दस्तावेज पर व्हाइट हाउस में चर्चा भी हो चुकी है। हालांकि अभी इस प्रस्ताव को अंतिम रूप नहीं दिया गया है, लेकिन जानकारों का मानना है कि अगर इसे मंजूरी मिलती है तो इससे कई मुस्लिम देश प्रभावित होंगे। उधर, व्हाइट हाउस के प्रवक्ता होगन गिडले ने इस प्रस्ताव की पुष्टि तो नहीं की है, लेकिन देश की सुरक्षा के लिए यात्रा प्रतिबंध को बेहतर बताया है।
2017 में लगाया गया था छह देशों पर प्रतिबंध
दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने पदभार ग्रहण करने के कुछ दिनों बाद 27 जनवरी, 2017 को कार्यकारी आदेश जारी कर छह मुस्लिम (ईरान, लीबिया, सोमालिया, सूडान, सीरिया और यमन) बहुल देशों के नागरिकों के अमेरिका आने पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसका बड़े पैमाने पर विरोध हुआ था। बाद में इस सूची में समय-समय पर परिवर्तन होता रहा।
सूची में शामिल होंगे नए देश
फिलहाल पांच मुस्लिम देशों ईरान, लीबिया, सोमालिया, सीरिया और यमन के साथ ही वेनेजुएला और उत्तर कोरिया पर प्रतिबंध लागू है। फिलहाल यह तो पता नहीं चला है कि सूची में किन देशों को शामिल किया जाएगा, लेकिन इस पूरी प्रक्रिया से जुड़े दो लोगों का कहना है कि सात देशों, जिनमें से अधिकांश मुस्लिम देश हैं उन्हें सूची में जोड़ा जाएगा। एक अन्य व्यक्ति ने कहा कि विस्तार में कई वह देश शामिल किए जा सकते हैं जो ट्रंप के शुरुआती आदेश में तो थे, लेकिन अदालती रोक के चलते उन्हें बाद में प्रतिबंध वाली सूची से हटा लिया गया था। दरअसल, शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ इराक, सूडान और चाड के लोगों पर ही यात्रा प्रतिबंध को 5-4 के बहुमत से मंजूरी दी थी।
ट्रंप के ट्रैवल बैन को सुप्रीम कोर्ट ने जायज ठहराया
जून, 2018 में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम बहुल देशों पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए यात्रा प्रतिबंधों को जायज ठहराया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि चुनौतीकर्ता यह साबित करने में असफल रहे कि यह प्रतिबंध या तो अमेरिकी आव्रजन कानून या एक धर्म पर दूसरे धर्म को सरकारी तरजीह देने संबंधी अमेरिकी संविधान के पहले संशोधन का उल्लंघन करता है। इस मामले में चीफ जस्टिस जॉन रॉबर्ट्स ने कहा कि सरकार ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर पर्याप्त रूप से न्यायोचित साबित किया।