अमेरिका ने तालिबान के ठिकानों पर किए कई हवाई हमले, फिर से हालात हो रहे खराब
अमेरिकी सेना ने हेलमंद प्रांत में तालिबानी ठिकानों पर कई हवाई हमले किए हैं। अमेरिका के प्रवक्ता ने यह जानकारी देते हुए कहा कि इन हमलों से अमेरिका-तालिबान के बीच फरवरी माह में हुए समझौते का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है।
लश्करगाह, (अफगानिस्तान), एपी। अमेरिकी सेना ने हेलमंद प्रांत में तालिबानी ठिकानों पर कई हवाई हमले किए हैं। अमेरिका के प्रवक्ता ने यह जानकारी देते हुए कहा कि इन हमलों से अमेरिका-तालिबान के बीच फरवरी माह में हुए समझौते का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है। इससे समझौते पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। तालिबान तत्काल आक्रामक रवैया रोके और देश भर में हो रही हिंसा की वारदातों को बंद करे। यदि ऐसा नहीं किया गया तो अमेरिकी सेना अफगानी सेना की इसी तरह मदद करती रहेगी।
अमेरिकी हवाई हमले हेलमंद की राजधानी लश्करगाह में गोलीबारी की वारदातों के बाद किए गए। प्रवक्ता के अनुसार तालिबानी लड़ाकों ने पिछले एक सप्ताह में कई हमले किए हैं और सप्ताहांत तक इनमें तेजी आई है। मुख्य मार्ग पर कई पुलों को नष्ट कर दिया है। इसलिए राजमार्ग अभी बंद है। तालिबान प्रतिनिधि कतर स्थित अपने राजनीतिक कार्यालय में अफगान सरकार के प्रतिनिधियों के साथ वार्ता कर रहे हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कुछ दिन पहले बयान दिया था कि वो जल्द ही तालिबान और अफगानिस्तान के इलाकों से अमेरिकी सेना को वापस बुला लेंगे। उन्होंने क्रिसमस से पहले सभी अमेरिकी सैनिकों को वापस बुला लेने का वायदा भी किया है। अब इस बीच अमेरिकी सेना और तालिबानी सैनिकों के बीच हमले ने एक नए विवाद को जन्म दे दिया है। हालांकि अमेरिकी सेना के प्रवक्ता की ओर से इस हमले के बारे में सफाई दी गई है।
अमेरिकी ये भी कह रहे हैं कि अब जब चुनाव नजदीक है तो ट्रंप सैनिकों की वापसी की बात कह रहे हैं इससे पहले उन्होंने कभी ऐसा नहीं कहा साथ ही दूसरे देशों से लौटने वाले किसी आखिरी सैनिक का स्वागत भी नहीं किया। इससे साफ पता चलता है कि ये सब चुनावी स्टंट है। इससे पहले ट्रंप ने कहा था कि अफगानिस्तान में अंतहीन युद्ध चल रहा है। साल 2016 में जब ट्रंप चुनाव जीतकर आए थे तभी उन्होंने सैनिकों की वापसी की बात कही थी मगर उस पर अब तक पूरी तरह से अमल नहीं हो पाया।
उन्होंने अफगानिस्तान, इराक और सीरिया से हजारों सैनिकों को वापस बुलाया है, हजारों लोग अभी भी वहां अपनी जान जोखिम में डालकर तैनात हैं। ट्रंप ने ईरान के साथ बढ़ते तनाव के जवाब में फारस की खाड़ी में हजारों अतिरिक्त सैनिकों को तैनात किया है, जिन्हें कुछ लोगों ने चेतावनी दी है कि वहां पर फिर से युद्ध हो सकता है। उन्होंने कतर और बहरीन जैसी जगहों पर प्रमुख अमेरिकी सैन्य ठिकानों को कम करने के लिए भी कुछ नहीं किया है।