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अफगानिस्तान के मुद्दे पर अमेरिका को धोखा दे रहा है पाकिस्तान : पूर्व US कर्नल

यूएस आर्मी में कर्नल रहे लॉरेंस सेलिन का कहना है कि अफगानिस्तान के मुद्दे पर पाकिस्तान अमेरिका को धोखा दे रहा है।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Fri, 24 Aug 2018 09:49 AM (IST)Updated: Fri, 24 Aug 2018 11:14 AM (IST)
अफगानिस्तान के मुद्दे पर अमेरिका को धोखा दे रहा है पाकिस्तान : पूर्व US कर्नल
अफगानिस्तान के मुद्दे पर अमेरिका को धोखा दे रहा है पाकिस्तान : पूर्व US कर्नल

वॉशिंगटन (एएनआइ)। अफगानिस्तान के मुद्दे पर पाकिस्तान अमेरिका को धोखा दे रहा है। यह कहना है यूएस आर्मी में कर्नल रहे लॉरेंस सेलिन का। उन्होंने कहा कि तालिबान और अन्य आतंकी संगठनों से निपटने के नाम पर पाकिस्तान अफगानिस्तान में संदिग्ध भूमिका निभा रहा है। सेलिन ने द डेली कॉलर में लिखा है कि पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आइएसआइ) ने अफगानिस्तान पर अमेरिकी बम विस्फोट के ठीक बाद अक्टूबर 2001 में तालिबानी आतंकियों को हथियार और गोला बारूद मुहैया कराया था। बता दें कि सेलिन अफगानिस्तान, उत्तरी इराक और पश्चिम अफ्रीका के मानवीय मिशन में अपने सेवाएं दे चुके हैं।

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तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ ने आइएसआइ के निदेशक लेफ्टिनेंट जनरल महमूद अहमद और सेना के अन्य शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक की थी, जिन्होंने तर्क दिया कि पाकिस्तान को तालिबान और अलकायदा के खिलाफ युद्ध में संयुक्त राज्य अमेरिका की मदद नहीं करनी चाहिए। रिटायर्ड कर्नल सेलिन ने कहा, '17 सालों तक पाकिस्तान का दोहरा रवैया जारी रहा। अमेरिका से अरबों डॉलर की सैन्य और आर्थिक मदद मिलने के बावजूद पाकिस्तान उसे अनसुना करता रहा है और तालिबान, हक्कानी नेटवर्ट जैसे आतंकी समूहों पर उसने कोई कार्रवाई नहीं की।

साल 2015 में अपनी मृत्यु से पहले आइएसआइ के पूर्व प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल हामिद गुल ने उर्दू टेलीविजन को दिए साक्षात्कार में अफगानिस्तान में पाकिस्तान की रणनीति को समझाया था। हामिद एक प्रतिबद्ध इस्लामी और 'तालिबान के गॉडफादर' के रूप में जाने जाते थे। तक उन्होंने कहा था, 'एक दिन, इतिहास कहेगा कि आइएसआइ ने सोवियत संघ को संयुक्त राज्य अमेरिका की मदद से अफगानिस्तान से बाहर कर दिया और एक और वाक्य दर्ज किया जाएगा जिसमें कहा जाएगा कि आइएसआइ ने अमेरिका की मदद से अमेरिका को ही अफगानिस्तान से बाहर कर दिया।' तक पाकिस्तानी दर्शकों ने हंसी के साथ उनके अनुमोदन को सराहते हुए दिखे थे।

सेलिन ने कहा, '2001 के विपरीत तालिबान अफगानिस्तान में उजागर नहीं हुआ था बल्कि पाकिस्तान में इसे आश्रय मिला हुआ था। पाकिस्तान में इसकी शिक्षा, भर्ती, प्रशिक्षण, वित्तीय और कमांड व नियंत्रण केंद्रों का पूरा ख्याल रखा गया। यह भी छिपा हुआ नहीं है कि आइएसआइ कैसे तालिबानी आतंकी के आंदोलन को बढ़ावा दे रही थी और उसे सीमा पार भेज रही थी। हाल ही में गजनी की अफगान प्रांतीय राजधानी पर तालिबानी हमले में बड़ी संख्या में पाकिस्तानी नागरिक मारे गए। वे शायद तालिबान के खिलाफ लड़ रहे थे। बाद में उनके शवों को पाकिस्तान लौटा दिया गया।

अनुभवी अमेरिकी सेना के पूर्व कर्नल सेलिन ने इस क्षेत्र की सामरिक गतिशीलता को बदलने के लिए बीजिंग (चीन) को दोषी ठहराया ताकि बड़े पैमाने पर अमेरिकी अफगानिस्तान नीति को अप्रचलित किया जा सके। उन्होंने लिखा, 'चीन न केवल आर्थिक रूप से और सैन्य रूप से पाकिस्तान पर भारी लाभ उठाता है, बल्कि वह एक साल से अधिक समय से तालिबान के साथ अपनी गुप्त बातचीत जारी रखे हुए है।' जुलाई में पाकिस्तान ने चीन, रूस, ईरान और अपने खुद के खुफिया प्रमुखों की एक अभूतपूर्व बैठक की मेजबानी की। माना गया कि यह बैठक अफनागिस्तान के सुरक्षा रणनीति का पता लगाने के लिए की गई थी।


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