कोरोना से मौत में हो सकती है वायु प्रदूषण की भी भूमिका, पढ़ें अध्ययन में सामने आई बातें
साइंस ऑफ द टोटल एनवायर्नमेंट जर्नल में छपे अध्ययन के अनुसार कोरोना संबंधी मौतों को वायु प्रदूषण और वायु प्रवाहों पर सेटेलाइट डाटा से जोड़ा गया है।
वॉशिंगटन, प्रेट्र। शोधकर्ताओं ने कोरोना वायरस (कोविड-19) से हो रही मौतों में वायु प्रदूषण की भी भूमिका होने का अंदेशा जताया है। एक नए अध्ययन में यह पाया गया है कि कोरोना से बढ़ती मौतों का संबंध हवा में मौजूद नाइट्रोजन डाईऑक्साइड नामक प्रदूषक के उच्च स्तर से हो सकता है। यह प्रदूषक श्वसन तंत्र को नुकसान पहुंचाता है।
साइंस ऑफ द टोटल एनवायर्नमेंट जर्नल में छपे अध्ययन के अनुसार, कोरोना संबंधी मौतों को वायु प्रदूषण और वायु प्रवाहों पर सेटेलाइट डाटा से जोड़ा गया है। जर्मनी की मार्टिन लूथर यूनिवर्सिटी (एमएलयू) के शोधकर्ताओं ने कहा, इससे यह जाहिर होता है कि उन क्षेत्रों में उल्लेखनीय तौर पर ज्यादा मौतें हो रही हैं, जहां स्थायी तौर पर प्रदूषण उच्च स्तर पर रहता है। कई वर्षो से यह ज्ञात है कि नाइट्रोजन डाईऑक्साइड कई तरह की श्वसन समस्याओं और हृदय रोग का कारक बनता है। एमएलयू के शोधकर्ता यारों ओगेन ने कहा, 'कोरोना वायरस भी श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है। इसलिए यह मानना उचित है कि वायु प्रदूषण और कोरोना से हो रही मौतों के बीच परस्पर संबंध हो सकता है।'
शोधकर्ताओं ने अध्ययन के लिए यूरोपीय स्पेस एजेंसी के सेंटनल 5पी सेटेलाइट की मदद से नाइट्रोजन डाईऑक्साइड के स्तरों के डाटा को एकत्र किया। ओगेन ने बताया, 'हमने यूरोप में महामारी के प्रारंभ होने से पहले यानी जनवरी और फरवरी के डाटा पर गौर किया। इसमें ज्यादा मौत वाले क्षेत्रों में नाइट्रोजन डाईऑक्साइड का उच्च स्तर पाया गया। उदाहरण के तौर पर उत्तरी इटली, मैड्रिड के आसपास के इलाकों और मध्य चीन के हुबेई प्रांत में सामान हालात पाए गए। ये क्षेत्र पहाड़ों से घिरे हैं। इसी कारण से वहां वायु स्थिर और वायु प्रदूषण का स्तर उच्च हो सकता है।' कोरोना महामारी से ये तीनों क्षेत्र ज्यादा प्रभावित पाए गए हैं।