वायु प्रदूषण दे रहा इन खतरनाक बीमारियों को न्योता, e-cigarette भी नुकसानदायक
कनाडा और अमेरिका में किए गए इस शोध में सामने आया कि जीवन के शुरआती वर्षो में प्रदूषित इलाकों में रहने वालों में ऐसी मानसिक बीमारियों का खतरा ज्यादा रहता है।
वॉशिंगटन, एजेंसी। ज्यादा समय तक प्रदूषित वायु में रहने से बाइपोलर डिसऑर्डर और अवसाद जैसी दिमागी समस्याओं का खतरा ब़़ढ जाता है। अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के शोध में यह बात सामने आई है। बाइपोलर डिसऑर्डर के शिकार व्यक्ति का मन तेजी से बदलता है। वह कभी बहुत अधिक उत्साह से भर जाता है, तो कभी हतोत्साहित होकर अवसाद में चला जाता है।
कनाडा और अमेरिका में किए गए इस शोध में सामने आया कि जीवन के शुरआती वर्षो में प्रदूषित इलाकों में रहने वालों में ऐसी मानसिक बीमारियों का खतरा ज्यादा रहता है। सर्वश्रेष्ठ गुणवत्ता वाली वायु में रहने वालों की तुलना में सबसे खराब वायु में रहने वालों में बाइपोलर डिसऑर्डर का खतरा 27 फीसद ज्यादा पाया गया। वहीं अवसाद का खतरा छह फीसदी अधिक रहा। जो लोग कम उम्र में प्रदूषित वाले क्षेत्रों में ज्यादा रहते हैं, उनमें आगे चलकर यह खतरा और ज्यादा ब़़ढ जाता है।
बिना निकोटिन वाली ई-सिगरेट भी नुकसानदायक
बिना निकोटिन वाली ई-सिगरेट पीना भी सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। विज्ञान पत्रिका रेडियोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन में यह बात सामने आई है। अध्ययन के दौरान 31 ऐसे लोगों को शामिल किया गया जो पूरी तरह स्वस्थ थे और धूम्रपान नहीं करते थे। उन्हें बिना निकोटिन वाली ई-सिगरेट पीने को कहा गया था।
अध्ययन में पाया गया कि एक बार ई--सिगरेट पीने से रक्त प्रवाह पर असर पड़ता है। अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिल्वेनिया के प्रोफेसर फेलिक्स डब्ल्यू वर्ली ने कहा, 'ई--सिगरेट में इस्तेमाल होने वाला रसायन अगर नुकसानदायक नहीं भी होता है, तो धूम्रपान की प्रक्रिया से नुकसान पहुंचता है।'
वैज्ञानिकों का कहना है कि निकोटिन के दुष्प्रभावों के अलावा धूम्रपान की प्रक्रिया से भी आगे चलकर ब़़डी मुश्किलों का सामना करना प़़ड सकता है। अध्ययन में यह भी सामने आया कि धूम्रपान करने से रक्त वाहिकाओं की अंदरूनी सतह को नुकसान पहुंचता है।