वायु प्रदूषण से बदल सकती है बच्चों के मस्तिष्क की संरचना- अध्ययन
एक नए अध्ययन में पाया गया है कि लंग (फेफड़े) कैंसर के पहले लक्षण के तौर पर सांसों की तकलीफ और खांसी आम होती जा रही है।
वॉशिंगटन, एजेंसी। वायु प्रदूषण स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं का कारण बनता जा रहा है। एक नए अध्ययन में पाया गया है कि जिन बच्चों का बचपन यातायात संबंधी वायु प्रदूषण के बीच गुजरता है, 12 साल की उम्र तक उनके मस्तिष्क की संरचना बदल सकती है।
अमेरिका के सिनसिनाटी चिल्ड्रंस हॉस्पिटल मेडिकल सेंटर के शोधकर्ताओं के अनुसार, जन्म से इस तरह के उच्च वायु प्रदूषण के बीच रहने वाले बच्चों में 12 साल की अवस्था तक मस्तिष्क के खास हिस्सों में ग्रे मैटर और कॉर्टिकल में कमी पाई गई। इन हिस्सों का संबंध चलने-फिरने के साथ ही देखने और सुनने जैसी गतिविधियों से होता है। इस अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता ट्रेविक बेकविथ ने कहा, 'इस नतीजे से जाहिर होता है कि जिस तरह की आबोहवा में आप रहते हैं और सांस लेते हैं, उसका असर आपके मस्तिष्क के विकास पर पड़ सकता है।' (एएनआइ)
खांसी और सांस लेने में तकलीफ लंग कैंसर के प्रारंभिक लक्षण
एक नए अध्ययन में पाया गया है कि लंग (फेफड़े) कैंसर के पहले लक्षण के तौर पर सांसों की तकलीफ और खांसी आम होती जा रही है। इसलिए चिकित्सकों को इस घातक बीमारी की प्रारंभिक निशानी के तौर पर इन लक्षणों पर गौर करना चाहिए।
ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सेटर मेडिकल सेंटर के शोधकर्ताओं के अनुसार, इन लक्षणों के जरिये लंग कैंसर की प्रारंभिक अवस्था में ही पहचान कर पीड़ितों की जान बचाने के तौर-तरीकों को बेहतर किया जा सकता है। यह निष्कर्ष करीब 28 हजार रोगियों पर किए गए अध्ययन के आधार पर निकाला गया है। करीब 17 साल की अवधि के दौरान किए गए इस अध्ययन में लंग कैंसर की पहचान होने से पहले पीडि़तों में खांसी और सांस की समस्या में बढ़ोतरी पाई गई। (एएनआइ)