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50 साल बाद नासा खोलेगा चंद्रमा के गहरे राज, चांद से लाई गई मिट्टी-पत्थरों के नमूनों पर होगा शोध

नासा के अपोलो मिशन के दौरान चंद्रमा से सैंपल के रूप में लाई गई मिट्टी और चट्टानों के टुकड़ों का भार 382 किलोग्राम है। इसबार 20 जुलाई को नासा के अपोलो मिशन को 50 साल पूरे हो जाएंगे।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Thu, 27 Jun 2019 10:36 AM (IST)Updated: Thu, 27 Jun 2019 10:49 AM (IST)
50 साल बाद नासा खोलेगा चंद्रमा के गहरे राज, चांद से लाई गई मिट्टी-पत्थरों के नमूनों पर होगा शोध

ह्यूस्टन, एपी। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा अपने अपोलो मिशन द्वारा चंद्रमा की सतह से जुटाए गए कई नमूनों को 50 सालों के बाद पहली बार खोलने जा रहा है। जानसन स्पेस सेंटर की लेबोरेटरी में सैंपल के रूप में नासा का यह खजाना रखा गया है। जिसमें से कुछ सैंपल को पहले छुआ गया है और कुछ अभी तक अनछुए हैं। प्रतिबंधित प्रयोगशाला अमेरिकी अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा चंद्रमा से इकट्ठा किए गए उन सैकड़ों पाउंड की चट्टानों का घर है, जिन्हें लगभग आधी सदी पहले यहां बंद कर दिया गया था। नासा अब उन प्राचीन नमूनों में से कई पर शोध करने जा रहा है। नासा का कहना है कि भू-वैज्ञानिक 21वीं की नई तकनीक से उन नमूनों का परीक्षण कर अंतरिक्ष के नए रहस्य खोलेंगे। बता दें कि 20 जुलाई को अपोलो मिशन को पूरे 50 साल हो रहे हैं। नासा के अपोलो मिशन के सैंपल क्यूरेटर रेयान जिगलर ने बताया कि यह एक संयोग ही है कि हम सैंपलों को अपोलो मिशन की पचासवीं वर्षगांठ के मौके पर खोल रहे हैं।

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उन्होंने बताया कि हमें बहुत सतर्कता बरतनी होगी क्योंकि हम फिर से चांद पर जा रहे हैं। बता दें कि नासा का लक्ष्य है कि 2024 तक चंद्रमा की धरती पर फिर से अंतरिक्ष यात्रियों को उतारा जाए। जबकि, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का जोर है कि नासा अपना ध्यान चंद्रमा के बजाए मंगल पर लगाए। वहीं, आम सहमति यह है चंद्रमा पृथ्वी से करीब है और यहां ज्यादा ध्यान दिए जाने की जरूरत है।चंद्रमा से पृथ्वी की दूरी 3,86,000 किलोमीटर है। यानी पृथ्वी से चंद्रमा का रास्ता दो या तीन दिन का है। 

नई तकनीक से पता चलेंगे रहस्य
नासा के जानसन स्पेस सेंटर में 1969 से 1972 तक चंद्रमा से इकट्ठा किए गए सैंपल को रखा गया है। इनका भार 842 पाउंड (382 किग्रा) है। मिट्टी और चट्टानों के कुछ सैंपल वैक्यूम पैक रखे गए हैं जो अभी तक पृथ्वी के वायुमंडल में खोले तक नहीं गए हैं। शोधकर्ताओं ने बताया कि ओपोलो के युग में तकनीक इतनी सक्षम नहीं थी जितनी आज है। पिछले समय में जिस परीक्षण को हम एक ग्राम सैंपल के साथ करते वह अब एक मिलीग्राम के साथ कर सकते हैं। साथ ही नई तकनीक से कई सारे रहस्य सुलझाए जा सकते हैं।

20 जुलाई को नासा के अपोलो मिशन के 50 साल पूरे हो जाएंगे। अब नासा अपने नए मिशन आर्टिमस की तैयारी में जुटा है।चंद्रमा से सैंपल के रूप में लाए गए मिट्टी और चट्टानों के टुकड़ों का भार 382 किलोग्राम है। ये सैंपल नासा के जॉनसन स्पेस सेंटर में सुरक्षित रखे गए हैं, जिनमें अधिकतर सैंपल वैक्यूम में रखे गए हैं।

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