एक सेंसर रखेगा डायबिटीज सहित कई बीमारियों पर नजर, इस तरह काम करेगी यह डिवाइस
वैज्ञानिकों ने एक ऐसा पैच तैयार किया है जो पसीने का विश्लेषण कर शरीर में पानी की कमी से लेकर डायबिटीज और सिस्टिक फाइब्रोसिस जैसी बीमारियों तक का पता लगाने में सक्षम है।
वाशिंगटन [द न्यूयार्क टाइम्स]। बीमारी कोई भी हो, समय पर जांच और पर्याप्त निगरानी को ही बचाव का सर्वश्रेष्ठ तरीका माना जाता है। यही कारण है कि दुनियाभर के वैज्ञानिक ऐसे सेंसर और डिवाइस तैयार करने की दिशा में काम कर रहे हैं, जिनसे तेजी से बीमारी की जांच संभव हो। इस दिशा में अमेरिका स्थित नार्थ वेस्टर्न यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने बड़ी सफलता हासिल की है।
उन्होंने एक ऐसा पैच तैयार किया है जो पसीने का विश्लेषण कर शरीर में पानी की कमी से लेकर डायबिटीज और सिस्टिक फाइब्रोसिस जैसी बीमारियों तक का पता लगाने में सक्षम है। यह शरीर में मौजूद सोडियम, पोटैशियम, कार्बोनेट जैसे इलेक्ट्रोलाइट्स के स्तर की भी निगरानी करेगा। पैच का प्रयोग डायबिटीज के मरीजों में ब्लड शुगर की मात्रा पर नजर रखने के लिए भी किया जा सकता है।
यह पैच शरीर में मौजूद कई सारे रसायनों का एक साथ विश्लेषण कर व्यक्ति के स्वास्थ्य की निगरानी करेगा। मुलायम व लचीला होने के चलते यह आसानी से किसी पट्टी की तरह शरीर से चिपक जाता है। इस कारण नवजात बच्चे पर भी इसका इस्तेमाल सुरक्षित बताया जा रहा है। वाटर प्रूफ होने से तैराकी करने वाले भी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें खून निकालने या सुई चुभाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। वायरलेस होने के साथ ही इसे अन्य सेंसरों की तरह बैट्री की जरूरत नहीं है।
रॉजर्स की टीम द्वारा बनाई गई यह डिवाइस चिकित्सकीय परीक्षण के अंतिम चरण में है। फिलहाल शिकागो के लुरी चिल्ड्रेन अस्पताल में सिस्टिर फाइब्रोसिस से पीड़ित बच्चों पर इसका प्रयोग किया जा रहा है। सफल होने के बाद डिवाइस के प्रयोग के लिए फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन से मान्यता ली जाएगी।
इस तरह काम करती है यह डिवाइस
इस नई डिवाइस के निचले हिस्से में सूक्ष्म छिद्र बने हुए हैं, जहां आसानी से पसीने का प्रवाह हो सकता है। वहां से बाल जितने पतले माइक्रो चैनेल के जरिये पसीना डिवाइस में पहुंचाता है। इसके बाद डिवाइस में लगे सेंसर और पसीने में मौजूद रसायनों जैसे ग्लूकोज आदि में प्रतिक्रिया होती है। वैज्ञानिक जॉन राजर्स के अनुसार डिवाइस से जुटाई गई जानकारियों को फोन या किसी मॉनिटर पर देखा जा सकता है।
लंबी अवधि तक हो सकता है प्रयोग
काफी समय तक इस्तेमाल करने के बाद डिवाइस के पसीने से भर जाने की आशंका है। हालांकि, खास बात यह है कि डिवाइस में बने चैनलों को बदला जा सकता है। फलस्वरूप, लंबे समय तक इसका उपयोग किया जा सकेगा।
डायबिटीज एक ऐसा रोग है, जिस पर अगर नियंत्रण न किया गया, तो यह कई रोगों और स्वास्थ्य समस्याओं को बुलावा देता है। अनियंत्रित डायबिटीज के कारण कालांतर में हाई ब्लड प्रेशर, हृदय और किडनी आदि से संबंधित रोग होने का खतरा बढ़ जाता है, लेकिन कुछ सजगताएं बरतकर इस मर्ज को नियंत्रित किया जा सकता है...
जरूरी है जागरूकता
डायबिटीज वाले व्यक्ति के रक्त में ग्लूकोज की मात्रा आवश्यकता से अधिक हो जाती है। हम जो खाना खाते हैं, वह पेट में जाकर ऊर्जा में बदलता है। उस ऊर्जा को हम ग्लूकोज कहते हैं। खून इस ग्लूकोज को हमारे शरीर के सारे सेल्स (कोशिकाओं) तक पहुंचाता है, परंतु ग्लूकोज को हमारे शरीर में मौजूद लाखों सेल्स के अंदर पहुंचाना होता है। यह काम इंसुलिन का है। इंसुलिन हमारे शरीर में अग्नाशय (पैन्क्रियाज) में बनता है। इंसुलिन के बगैर ग्लूकोज सेल्स में प्रवेश नहीं कर सकता।
शुगर का स्तर
सामान्य स्वस्थ व्यक्ति में खाली पेट रहने पर रक्त में शुगर का स्तर 70 से 99 एम.जी. / डी.एल. रहता है। खाने के बाद यह स्तर 139 एम.जी. / डी.एल. से कम होता जाता है, पर डायबिटीज हो जाने पर यह स्तर सामान्य नहीं हो पाता। डायबिटीज के मुख्य रूप से दो प्रकार हैं- टाइप 1 और टाइप 2 ।
टाइप 1 डायबिटीज
टाइप 1 डायबिटीज के दौरान शरीर में इंसुलिन का निर्माण बंद हो जाता है या उत्पादन बहुत कम हो जाता है। ऐसे में मरीज को बाहर से इंसुलिन देनी पड़ती है। टाइप 1 डायबिटीज को नियंत्रित किया जा सकता है, परंतु पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सकता। यह बचपन में किसी भी समय हो सकता है। यहां तक कि शैशव अवस्था में भी हो सकता है। देश में 1 से 2 प्रतिशत लोगों में ही टाइप 1 डायबिटीज पाया जाता है। इस प्रकार की डायबिटीज से ग्रस्त लोगों के लिए इंसुलिन लेना अनिवार्य है, अन्यथा उनकी जान पर भी बन आ सकती है।
टाइप 2 डायबिटीज
टाइप 2 डायबिटीज होने पर आपका शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बनाता या फिर इंसुलिन का समुचित प्रयोग नहीं कर पाता। इस प्रकार के डायबिटीज से पीड़ित लोगों का इलाज संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और दवाएं देकर या फिर इंसुलिन देकर किया जा सकता है। टाइप 2 डायबिटीज का होना गलत जीवनशैली और जीन संबंधी कारकों से संबंधित है।
संभव है रोकथाम
बहरहाल, व्यवस्थित जीवनशैली से डायबिटीज को काफी हद तक रोका जा सकता है या इसके दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है। नियमित व्यायाम, योग, संतुलित आहार के साथ नियंत्रित वजन व दवाओं से इस मर्ज की रोकथाम संभव है।