रीयल-टाइम में भूजल के प्रदूषण का पता लगाने का तरीका ईजाद
वैज्ञानिकों ने एक ऐसा किफायती तरीका विकसित कर लिया है, जिसकी मदद से रीयल-टाइम में भूजल के प्रदूषण का पता लगाया जा सकेगा।
वाशिंगटन [प्रेट्र]। वैज्ञानिकों ने एक ऐसा किफायती तरीका विकसित कर लिया है, जिसकी मदद से रीयल-टाइम में भूजल के प्रदूषण का पता लगाया जा सकेगा। वैज्ञानिकों का मानना है कि इससे स्वास्थ्य खतरों को कम करने में मदद मिलेगी। अमेरिका स्थित लॉरेंस बर्कले नेशनल लैबोरेटरी के शोधकर्ताओं के मुताबिक, भूजल प्रदूषण को एक व्यापक पर्यावरणीय समस्या के रूप में देखा जा रहा है। दुनिया भर में यह समस्या तेजी से बढ़ रही है। इसमें सबसे बड़ी परेशानी प्रदूषण की जांच में लगने वाला बहुत अधिक समय है। बर्कले लैब में शोधकर्ता हरुको वाइनराइट ने कहा, निगरानी के पारंपरिक तरीकों के तहत पानी के नमूने हर साल या हर तिमाही में लिए जाते हैं और उन्हें जांच के लिए प्रयोगशाला में भेजा जाता है।
अगर पानी बहुत अधिक प्रदूषित होता है तो भी इसका पता लगाने में समय लग जाता है। इसके चलते इसका उपभोग जारी रहता है, जो स्वास्थ्य के लिए खतरा बनता है। एनवायरमेंटल साइंस एंड टेक्नोलॉजी नामक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने इस समस्या के समाधान के लिए नई विधि ईजाद की है।
जांच में मिली सफलता
शोधकर्ताओं ने अमेरिका में दक्षिण कैरोलिना में एक पूर्व परमाणु हथियार उत्पादन स्थल, सवाना नदी साइट पर भूजल में ट्रिटियम और यूरेनियम -238 के स्तर को ट्रैक किया। उन्होंने अम्लता (पीएच) को मापा। शोधकर्ताओं ने पाया कि इस विधि के जरिये रीयल-टाइम में पानी में पीएच स्तर का पता लगाया जा सकता है।
यह मिलेगा लाभ
शोधकर्ताओं के मुताबिक, इस विधि के जरिये लैब से रिपोर्ट आने के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा। पानी में प्रदूषण बढ़ने पर समय रहते उचित कदम उठाए जा सकेंगे। यदि किसी स्थान का पानी पीने योग्य नहीं है तो इसका पता तुरंत चलने पर स्वास्थ्य को नुकसान से बचाया जा सकेगा। गौरतलब है कि कई बीमारियां प्रदूषित पानी से होती हैं। इस विधि से इससे बचा जा सकेगा।
चेतावनी सिस्टम के रूप में करेगा काम
वाइनराइट कहती हैं, हमारी पद्धति प्रॉक्सी माप का उपयोग करती है। इसके परिणामस्वरूप हम रीयल-टाइम में पानी में परिवर्तन का पता लगा सकते हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक, यह एक चेतावनी सिस्टम के रूप में काम कर सकता है। इसके जरिये पानी में जैसे ही परिवर्तन होगा हमें पता चल सकेगा। वाइनराइट के मुताबिक, हमें अक्सर तब पता चलता है जब पानी बहुत अधिक प्रदूषित हो चुका होता है। यदि इस प्रणाली के जरिये समय रहते पता चल जाएगा कि पानी प्रदूषित हो रहा है तो हम उचित कदम उठा सकेंगे।