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3डी प्रिंटर के उत्सजर्न से भी खराब हो सकते हैं फेफड़े, जानें कैसे पहुंचाता है नुकसान

3डी प्रिंटरों से उत्सर्जित होने वाले सूक्ष्म कण इंडोर एयर क्वालिटी (भीतरी हवा की गुणवत्ता) को खराब करते हैं जिससे लोग श्वसन संबंधी विकारों से ग्रसित हो सकते हैं।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 09 Oct 2019 09:22 AM (IST)Updated: Wed, 09 Oct 2019 09:27 AM (IST)
3डी प्रिंटर के उत्सजर्न से भी खराब हो सकते हैं फेफड़े, जानें कैसे पहुंचाता है नुकसान
3डी प्रिंटर के उत्सजर्न से भी खराब हो सकते हैं फेफड़े, जानें कैसे पहुंचाता है नुकसान

न्यूयॉर्क, आइएएनएस। 3डी प्रिंटर हमारे स्वास्थ्य के लिए घातक सिद्ध हो सकते हैं। एक नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि इनसे उत्सर्जित होने वाले सूक्ष्म कण इंडोर एयर क्वालिटी (भीतरी हवा की गुणवत्ता) को खराब करते हैं, जिससे लोग श्वसन संबंधी विकारों से ग्रसित हो सकते हैं। जार्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और यूएल केमिकल सेफ्टी रिसर्च ग्रुप के शोधकर्ताओं ने 3डी प्रिंटर से निकलने वाले सूक्ष्म कणों को एकत्र किया और अध्ययन कर यह पता लगाया कि ये कण कैसे हमारे श्वसन तंत्र को नुकसान पहुंचाते हैं।

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इस अध्ययन के नेतृत्वकर्ता और जॉर्जिया टेक स्कूल ऑफ अर्थ एंड एटमॉफियरिक साइंस के प्रोफेसर रोडनी वेबर ने कहा, ‘अध्ययन के दौरान हमने पाया कि 3डी प्रिंटर से निकलने वाले सूक्ष्म कण हमारे शरीर के लिए बेहद घातक होते हैं। हमें इसके उत्सर्जन से बचने के पुख्ता उपाय खोजने के बाद ही इन्हें प्रयोग में लाना चाहिए।’

आमतौर पर 3डी प्रिंटर का प्रयोग प्लास्टिक को गलाकर विभिन्न प्रकार की कलाकृतियां बनाने के लिए किया जाता है। प्लास्टिक को गलाने के दौरान कई तरह की विषाक्त गैसों का उत्सर्जन भी होता है। इसमें विभिन्न प्रकार के सूक्ष्म कण होते हैं जो वायुमंडल में घुल कर उसे जहरीला बना देते हैं। बता दें कि वर्तमान में 3डी प्रिंटर की बाजार लगभग 990 करोड़ रुपये का है।

पिछले अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया था कि सामान्यत: प्लास्टिक को गलाने के लिए ज्यादा गर्म तापमान की जरूरत होती है। इससे और ज्यादा उत्सर्जन होता है, जबकि कम तापमान में प्लास्टिक को गलाने से पॉलीलेक्टिक एसिड बनना शुरू हो जाता है। शोधकर्ताओं ने कहा कि इन दोनों के यौगिकों का अध्ययन करने पर यह देखा गया है कि हमारे श्वसन तंत्र के लिए यह बेहद घातक हैं। 


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