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कोरोना ने बढ़ाया संकट, साल के अंत तक 13 करोड़ से अधिक लोग हो सकते हैं भुखमरी के शिकार

कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया को संकट में डाल रखा है। ऐसे में यूएन की भी समस्‍या बढ़ गई है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Fri, 03 Jul 2020 12:41 PM (IST)Updated: Fri, 03 Jul 2020 12:41 PM (IST)
कोरोना ने बढ़ाया संकट, साल के अंत तक 13 करोड़ से अधिक लोग हो सकते हैं भुखमरी के शिकार
कोरोना ने बढ़ाया संकट, साल के अंत तक 13 करोड़ से अधिक लोग हो सकते हैं भुखमरी के शिकार

न्‍यूयॉर्क (संयुक्‍त राष्‍ट्र)। कोविड-19 महामारी का विश्‍व शांति और और सुरक्षा पर गहरा असर पड़ा है। वर्तमान में समूचा विश्‍व अनेक मोर्चों पर संकट का सामना कर रहा है। ये कहना है कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश का जिन्‍होंने वर्तमान के संकट पर चिंता जाहिर की है। उन्‍होंने कोविड-19 से उपजे हालातों के बारे में सुरक्षा परिषद के समक्ष कहा कि मौजूदा समय में लोगों की जिंदगियां बचाना और भविष्य के लिए सुरक्षा सबसे बड़ी चुनौती है। उन्‍होंने आशंका जताई है कि महामारी के बीच इस वर्ष के अंत तक 13 करोड़ से ज्‍यादा लोगों के भुखमरी के कगार पर पहुंच जाएंगे। वर्तमान में महामारी की वजह से दुनिया के एक अरब से ज्‍यादा बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। इस महामारी की वजह से उपजे संकट और लॉकडाउन की वजह से वैक्‍सीनेशन प्रोग्राम में भी रुकावट आई है। इसकी वजह से खसरा और पोलियो जैसी बीमारियों के व्यापक स्तर पर फैलने का खतरा पैदा हो गया है।

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यूएन प्रमुख ने कहा है कि कोविड-19 महामारी के दुष्परिणाम उन देशों में भी देखे जा सकते हैं, जिन्हें आमतौर पर स्थायित्वपूर्ण माना जाता है, लेकिन पहले से ही हिंसक संघर्ष से पीड़ित या फिर उससे उबर रहे देशों में ये और भी गहरे हैं। इस महामारी की वजह से सामाजिक-आर्थिक चुनौतियां पैदा हो गई हैं और तनाव बढ़ गया है। इस समस्‍या के बाद विश्‍व में फैली ऐसी बीमारियां जिनकी रोकथाम के लिए लगातार काम किए जाने की जरूरत है उनकी रोकथाम में रुकावट आ गई है। ऐसे समय में शांति प्रक्रिया भी बाधित हुई है और ऐसे में विश्‍व समुदाय का ध्‍यान भी इस ओर से बंटा हुआ है। इस महामारी के दुनिया में फैले विभिन्‍न आतंकी और चरमपंथी गुट अपने लिए फायदे के तौर पर देख रहे हैं।

पूरी दुनिया में फैले कोरोना संकट के मद्देनजर कई देशों ने वर्ष 2020 में अपने चुनाव कार्यक्रम आगे बढ़ा दिए हैं। उनके मुताबिक, इस वर्ष मार्च से 18 चुनाव या जनमत संग्रह सम्पन्न हुए हैं, लेकिन 24 स्थगित किये गए हैं और 39 की तारीखों में फिलहाल कोई बदलाव नहीं हुआ है। यूएन प्रमुख के मुताबिक, इस महामारी से मानवाधिकारों के लिए पहले से ही मौजूद चुनौतिया और अधिक बढ़ गई हैं। उन्‍होंने इस बात पर भी दुख जताया है कि इस दौरान पाबंदियों को लागू करने के लिए कुछ जगहों पर काफी अधिक बल प्रयोग हुआ है, वहीं कुछ जगहों मीडिया पर भी अघोषित बंदी लागू की गई है, जिसको सही नहीं कहा जा सकता है। उनके मुताबिक, इस महामारी को कुछ लोग अपना फायदा बनाने के लिए इस्‍तेमाल कर रहे हैं। वेनेज़ुएला में इस महामारी की वजह से हालात काफी खराब हैं। लोगों के बीच दायरा बढ़ गया है। इसकी वजह से अस्थिरता और हिंसा का जोखिम भी बढ़ गया है। इसमें महिलाएं भी प्रभावित हुई हैं और उनके खिलाफ लिंग आधारित व घरेलू हिंसा के मामलों में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। गलत सूचनाओं का फैलाव और नफरत भरे शब्‍द भी इस दौरान बढ़ गए हैं।

उन्‍होंने कहा कि महामारी को लेकर फैलाई जा रही अफवाहों को रोकने के लिए यूएन ने वेरिफाइड प्रोग्राम चलाया है। इसका मकसद गलत जानकारी को फॉरवर्ड करने वालों को इसके प्रति जागरूक करना है। उन्‍होंने कहा कि सही जानकारी लोगों तक पहुंचाकर भी इस महामारी को रोका जा सकता है। आपको बता दें यूएन की तरफ से इस संकटकाल में वैश्विक शांति बनाए रखने के अलावा वैश्विक युद्धबंदी की भी अपील की गई है, जिसको कई देशों का समर्थन मिला है। यूएन की तरफ से कहा गया है कि कम से कम तीन माह के लिए पूरी दुनिया में युद्ध विराम लगाना चाहिए, जिससे लोगों तक मदद पहुंचाई जा सके।

यूएन प्रमुख ने बताया कि उनकी अपील के सकारात्मक नतीजे देखने को मिले हैं, लेकिन कुछ मामलों में यह प्रभावी नहीं रहा है। यूएन शांतिरक्षा और राजनीतिक मिशनों और कर्मचारियों की सुरक्षा के लिये और वायरस के फैलाव की रोकथाम के लिए अनेक कदम उठाए गए हैं। 63 देशों में तत्काल स्वास्थ्य और मानवीय आवश्यकताओं को पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन इस योजना के लिए जरूरी धनराशि का 21 फ़ीसदी हिस्सा ही उपलब्ध हो पाया है। जरूरततमंद देशों तक मेडिकल और राहत सामग्री भेजने के साथ-साथ आर्थिक व वित्तीय राहत पैकेज की भी मदद दी गई है और इमरजेंसी जैसे हालात में समस्या के विभिन्न आयामों से निपटने के लिए नीतिगत विश्लेषण प्रदान किया गया है।


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