खेलों में भी नारी ने बाजी है मारी
आठ मार्च, यानी अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस। अगर इस विशेष दिन भारतीय महिला खिलाड़ियों का जिक्र न किया जाए तो बिलकुल बेमानी होगी। जिस देश में क्रिकेट की तूती बोलती है, उस देश में कुछ भारतीय महिला खिलाड़ी ऐसी भी हैं, जो बेहतर प्रदर्शन से लोगों के दिलों में अपनी खास जगह बनाने में कामयाब रही हैं। साल-दर-सा
नई दिल्ली। आठ मार्च, यानी अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस। अगर इस विशेष दिन भारतीय महिला खिलाड़ियों का जिक्र न किया जाए तो बिलकुल बेमानी होगी। जिस देश में क्रिकेट की तूती बोलती है, उस देश में कुछ भारतीय महिला खिलाड़ी ऐसी भी हैं, जो बेहतर प्रदर्शन से लोगों के दिलों में अपनी खास जगह बनाने में कामयाब रही हैं। साल-दर-साल ऐसी महिला खिलाड़ियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। आइए जानते हैं ऐसी ही 10 महिला खिलाड़ियों के बारे में जिन्होंने अपने शानदार खेल से भारत देश का नाम पूरी दुनिया में ऊंचा किया है :
1. सानिया मिर्जा :
भारत की नंबर 1 टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा ने बेहतरीन ोल का प्रदर्शन कर अपनी एक पहचान स्थापित की और दुनिया को यह बताया कि भारतीय महिलाएं भी इस खेल में अपना परचम लहरा सकती हैं। 15 नवंबर, 1986 को मुंबई में जन्मीं सानिया ने दुनिया की विख्यात और सर्वश्रेष्ठ टेनिस रैंकिंग खिलाड़ी मार्टिना हिंगिस, दिनारा सफीना और विक्टोरिया अजारेनका को पस्त कर दुनिया को चौंका चुकी हैं। टेनिस में सानिया की सिंगल्स में बेहतरीन रैंकिंग 27 है, जबकि डबल्स में 7 है। सानिया किसी भी प्रकार की डब्ल्यूटीए टूर टाइटल जीतने वाली पहली भारतीय महिला हैं। इसके अलावा सानिया ऑस्ट्रेलियन ओपन - मिक्स्ड डबल्स, ग्रैंड स्लैम टाइटल, फ्रेंच ओपन - मिक्स्ड डबल्स जैसे टूर्नामेंट जीतने में कामयाब रही हैं। अक्टूबर, 2005 में टाइम पत्रिका ने सानिया को एशिया टॉप 50 हीराजे में ाी शामिल किया था।
2. दीपिका पल्लीकल
पहली भारतीय महिला स्क्वैश खिलाड़ी, जो डब्ल्यूएसए रैंकिंग में टॉप 10 में स्थान हासिल करने में सफल रहीं। 2011 में 3 बार डब्ल्यूआईएसपीए टूर टाइटल जीतकर दुनिया की नजरों में आने वाली दीपिका ने स्क्वैश में भी भारत का नाम बुलंद किया। 21 सितंबर, 1991 को चेन्नई में जन्मीं दीपिका 2012 के टूर्नामेंट ऑफ चैम्पियंस की रनर-अप थीं। साथ ही दीपिका ऑस्ट्रेलियन ओपन 2012 के सेमीफाइनल में ाी अपना स्थान पक्का किया था। दीपिका ने अपना छठा डब्ल्यूएसए टाइटल फरवरी, 2013 में जीता था। आपको जानकर यह हैरानी होगी कि दीपिका जब छठे क्लास में पढती थीं, तब उन्होंने लंदन में अपना पहला अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट खेला था।
3. प्रतिमा सिंह
भारतीय महिला बास्केटबॉल टीम की सदस्या प्रतिमा सिंह ने 2003 से इस खेल को खेलना शुरू किया और आज वे राष्ट्रीय टीम की एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी हैं। 6 फरवरी, 1990 को उत्तरप्रदेश के वाराणसी में जन्मीं प्रतिमा की प्रतिभा देखकर चयनकर्ताओं ने उन्हें 2006 में ही भारतीय महिला की जूनियर टीम में शामिल कर लिया। इसके बाद 2008 में उन्हें इसी टीम का कप्तान नियुक्त कर दिया गया। उन्होंने अपनी कप्तानी में टीम को कई मेडल्स दिलाई हैं। यूनिवर्सिटी लेवल पर प्रतिमा सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी रह चुकी हैं। इसके अलावा इन्हें मोस्ट ग्लैमरस स्पोर्ट्स वूमेन प्रतियोगिता में दूसरा स्थान भी मिला है। प्रतिमा के लिए एशियन गेम्स 2010, एशियन बास्केटबॉल चैम्पियशिप 2006, 2007 और 2009 सर्वश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट है। इसके अलावा इन्हें श्री प्रकाश ज्योति अवार्ड और स्पोर्ट्स वूमेन ऑफ द ईयर अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है।
4. शिखा टंडन
भारतीय महिला तैराकी की बात की जाए तो आज सबसे पहले बेंगलूर की शिखा टंडन का नाम सामने आता है। 146 राष्ट्रीय मेडल और 36 अंतरराष्ट्रीय मेडल विजेता शिखा टंडन की जितनी तारीफ की जाए वो कम है। शिखा जब 12 वर्ष की थीं तब उन्होंने एक स्टेट इवेंट में हिस्सा लिया। इसके बाद उनकी प्रतिभा को देखकर दो राष्ट्रीय टूर्नामेंट में बतौर प्रतियोगी शामिल किया गया। महज 13 साल की उम्र में शि ा को एशियन गे स के लिए चयनित किया गया और 16 साल की उम्र में ही वे पहला विश्व चैम्पियशिप मुकाबला ोलने में कामयाब रहीं। शिखा 2004 के एथेंस ओलंपिक में तैराकी के दो इवेंट्स में क्वालिफाई करने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। इससे पहले ऐसा कारनामा किसी ने नहीं किया था।
5. तानिया सचदेवा
20 अगस्त, 1986 को दिल्ली में जन्मीं तानिया सचदेवा का बचपन से सपना था कि वे चेस में अपना नाम रौशन करें और वे ऐसा करने में कामयाब रहीं। इंटरनेशनल मास्टर और वूमेन ग्रांडमास्टर का खिताब जीतने वाली तानिया सचदेवा विश्वनाथन आनंद की बहुत बड़ी प्रशंसक हैं। जब वे आठवीं क्लास में थीं, तब उन्होंने अपना पहला अंतरराष्ट्रीय खिताब जीता था। 2009 में ये और खास तब बन गई, जब इन्हें अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया।
6. साइना नेहवाल
साइना नेहवाल, यह नाम है 22 वर्षीय उस भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी का जो आज देश में हर युवा के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। विश्व बैडमिंटन रैंकिंग में आज दो नंबर पर कायम साइना ने कई बार देश का नाम अंतरराष्ट्रीय मंच पर रोशन किया है। राजीव गांधी खेल रत्न से सम्मानित हो चुकी इस खिलाड़ी ने कम उम्र में सफलता की सीढ़ी चढ़ी और लगातार मेहनत के दम पर उसको कायम रखे हैं। बैडमिंटन से लेकर रैंप और एड वर्ल्ड में भी इस खिलाड़ी का आज जलवा है। 2012 ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर साइना इतिहास रच चुकी हैं और आए दिन बड़े खिताब उनकी झोली में आते रहते हैं।
7. शर्मीला निकोलेट
21 वर्षीय शर्मीला गोल्फ की दुनिया में भारत की महारानी हैं। कम उम्र में उन्होंने उस खेल को चुना जिससे भारतीय महिलाएं जैसे शुरू से कतराती आई हैं और उसकी लोकप्रियता भी ना के बराबर है। गोल्फ की दुनिया में निकोलेट ने साबित किया कि किसी भी चीज को लोकप्रिय बनाना पड़ता है ना कि वह खुद लोकप्रिय जाता है। हवा के विपरीत उन्होंने जमकर अभ्यास किया और पिछले सीजन में वह हीरो होंडा का प्रतिष्ठित गोल्फ टूर ऑफ इंडिया में विजयी बनीं और 2010-11 के अंत में इसी टूर्नामेंट उन्होंने अपने 14 शॉट्स से सभी के होश उड़ा दिए थे।
8. सोनिका कालीरमण
एशियन गेम्स की महिलाओं की कुश्ती में भारत की तरफ से हिस्सा लेने वालों में सोनिका भारत की एकमात्र पहलवान थीं। महान पहलवान मास्टर चंदगीराम की इस बेटी ने अपने पिता से कदम मिलाने की ठानी और एक भारतीय महिला होने के बावजूद उन्होंने कुश्ती जैसे खेल में विश्व स्तर पर अपनी एक छाप छोड़ी। कुश्ती के साथ-साथ यह खूबसूरत पहलवान फैशन और टीवी की दुनिया में भी काम करती आई हैं। कभी बिग बॉस जैसे रिएल्टी शो में उन्होंने लोगों का दिल जीता तो कभी खतरों के खिलाड़ी जैसे रोमांचक रिएल्टी शो का वह हिस्सा बनीं।
9. ज्वाला गुंट्टा
ज्वाला गुंट्टा भारतीय बैडमिंटन जगत में साइना नेहवाल के बाद एक ऐसी महिला खिलाड़ी हैं जिन्होंने विश्व स्तर पर भारत का नाम रोशन करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सात बार राष्ट्रीय चैंपियनशिप के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी डबल्स मुकाबलों की इस स्पेशलिस्ट ने कई खिताब जीते हैं। बैडमिंटन के करियर के साथ-साथ वह अपनी खूबसूरती व टैलेंट के दम पर एड वर्ल्ड में भी जलवा बिखेरने में भी सफल रहीं और अब वह जल्द फिल्मों में भी दिखाई देने वाली हैं।
10. शिखा ओबरॉय
भारतीय-अमेरिकी मूल की इस टेनिस खिलाड़ी ने अपने पास अमेरिका की नागरिकता होने के बावजूद भारत के लिए खेलने का फैसला किया। छह साल की उम्र में टेनिस खेलना शुरू करने वाली इस खिलाड़ी ने 2004 में यूएस ओपन के साथ ग्रैंड स्लैम सर्किट में पहली बार एंट्री हासिल की थी, इसके अलावा उनके नाम महिलाओं के तीन एकल सर्किट खिताब दर्ज हैं।
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