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हिंदी सिनेमा को महिलाओं ने दी अलग पहचान

फूलों की खुशबू जैसे महकती है नारी, तारों की धीमी रोशनी जैसे चमकती है नारी। नारी की खूबसूरती को लेखकों ने कई रंग में ढाला है। हिंदी सिनेमा ने भी महिलाओं को एक अलग पहचान दी है। कुछ अभिनेत्रियों ऐसी हैं जिन्होंने हिंदी फिल्मों में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। 50-60 के दशक में अधिकतर फिल्में पुरुष किरदार पर निर्भर होती थी

By Edited By: Published: Thu, 07 Mar 2013 02:39 PM (IST)Updated: Thu, 07 Mar 2013 03:01 PM (IST)
हिंदी सिनेमा को महिलाओं ने दी अलग पहचान

नई दिल्ली। फूलों की खुशबू जैसे महकती है नारी, तारों की धीमी रोशनी जैसे चमकती है नारी। नारी की खूबसूरती को लेखकों ने कई रंग में ढाला है। हिंदी सिनेमा ने भी महिलाओं को अलग पहचान दी है। कुछ अभिनेत्रियां ऐसी हैं जिन्होंने हिंदी फिल्मों में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। 50-60 के दशक में अधिकतर फिल्मों में पुरुष का किरदार ज्यादा मजबूत होता था, लेकिन मधुबाला और मीना कुमारी जैसी अभिनेत्रियों ने ये साबित कर दिया कि फिल्मों में महिलाओं की भूमिका कितनी सशक्त है। वैसे तो समाज के हर क्षेत्र में ही महिलाओं ने अपना योगदान दिया है लेकिन फिल्म इंडस्ट्रीज में नारी की खूबसूरती को कुछ अलग ही अंदाज में दिखाया गई है।

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50-60 के दशक की सशक्त अभिनेत्रियां

मधुबाला

'रंग' का रंग जमाने ने बहुत देखा है। हिंदी सिनेमा में बतौर क्लासिकल अभिनेत्री मधुबाला का नाम सबसे पहले लिया जाता है। मधुबाला की खूबसूरती और उनकी अदाएं सबसे जुदा है। उनके अभिनय में एक अलग ही कशिश है, उनके चेहरे से नजर ही नहीं हटती। इतने दशक के बाद भी मधुबाला का खुमार बरकरार है। हर दशक में मधुबाला अन्य अभिनेत्रियों की आदर्श हैं। उनके अभिनय में एक आदर्श भारतीय नारी को देखा जा सकता है। चेहरे द्वारा भावाभियक्ति तथा नजाकत उनकी प्रमुख विशेषता है। उनके अभिनय प्रतिभा,व्यक्तित्व और खूबसूरती को देख कर यही कहा जाता है कि वह भारतीय सिनेमा की अब तक की सबसे महान अभिनेत्री है।

क्लासिकल अभिनेत्री मीना कुमारी

फिल्म अभिनेत्री मीना कुमारी को तो सब जानते हैं और शायद ही कोई ऐसा दर्शक हो जिसके मन में मीना कुमारी के संजीदा अभिनय के प्रभाव से करूणा का सोता न फूट पड़ा हो। वे एक ऐसी सच्ची कलाकार थीं जो अपनी भूमिका में अपनी वास्तविक जिन्दगी की अनुभूति करती थीं इसलिए उनकी भूमिकाएं अपना अमिट प्रभाव छोड़ती थीं। उनके बाद उन जैसी दूसरी कोई अभिनेत्री हिन्दी सिनेमा में नहीं आईं और ना ही वैसी फिल्में ही बन सकीं।

संवेदनशील शायर मिजाज व्यक्ति के पास एक समय ऐसा भी आता है जब उसे मौत से भी मुहब्बत होने लगती है। दिल के और जमाने के दर्द को झेलती मीना कुमारी ने इस अहसास को खूब जिया है जो उनकी नच्मों में भी साफ साफ झलका है।

70-80 में आईं रेखा

फिल्मों में कच्ची ऊम्र में काम शुरू किया। सावन-भादो में नवीन निस्चल के साथ बड़े पर्दे पर सशक्त अभिनय किया तो दर्शकों ने उन्हें सांवले रंग की होते हुए भी सराहा। हमेशा ही कांजीवरम सिल्क की साड़ी में नजर आने वाली रेखा जी जब गुलजार साहब का कोई शेर दोहराती हैं तब सच्चे दिल से बोली हुई उनकी बात दर्शकों के दिल को भी छू जाती है! मनमोहक हंसी, खूबसूरती और कला का संगम है रेखा। फिल्मों में इनके योगदान का मुकाबला नहीं होता।

हेमा मालिनी

प्रसिद्ध अभिनेत्री और नृत्यांगना हेमा मालिनी बॉलीवुड की उन गिनी-चुनी अभिनेत्रियों में शामिल हैं, जिनमें सौंदर्य और अभिनय का अनूठा संगम देखने को मिलता है। ये आज भी बॉलीवुड में ड्रीमगर्ल के नाम से जानी जाती हैं। लगभग चार दशक के करियर में उन्होंने कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया लेकिन करियर के शुरुआती दौर में उन्हें वह दिन भी देखना पड़ा था। बाद में सत्तर के दशक में इसी निर्माता-निर्देशक ने उनकी लोकप्रियता को भुनाने के लिए उन्हें लेकर 1973 में (गहरी चाल) फिल्म का निर्माण किया।

हेमा मालिनी को पहली सफलता वर्ष 1970 में प्रदर्शित फिल्म (जॉनी मेरा नाम)से हासिल हुई। इसमें उनके साथ अभिनेता देवानंद मुख्य भूमिका में थे। फिल्म में हेमा और देवानंद की जोड़ी को दर्शकों ने सिर आंखों पर लिया और फिल्म सुपरहिट रही। हेमा मालिनी को प्रारंभिक सफलता दिलाने में निर्माता-निर्देशक रमेश सिप्पी की फिल्मों का बड़ा योगदान रहा।

80-90 की माधुरी दीक्षित

सादगी और प्रतिभा की धनी माधुरी दीक्षित बॉलीवुड इंडस्ट्रीज में अपनी मनमोहक मुस्कान के लिए जानी जाती हैं। बॉलीवुड में खुबसूरती और प्रतिभा की कोई कमी नहीं है लेकिन फिर भी माधुरी की झलक किसी में नहीं है। माधुरी का हुस्न और उनकी अदाकारी सबसे अगल है। माधुरी ने अपने लंबे फिल्मी करियर में हर तरह के रोल निभाएं हैं। माधुरी दीक्षित को आज भी हिंदी फिल्म की नई अभिनेत्रियां अपना आदर्श मानती हैं। सिर्फ अभिनय में ही नहीं बल्कि क्लासिकल डांस में भी माधुरी का जवाब नहीं। 80 और 90 के दशक में माधुरी ने अपनी हिट फिल्मों की बारिश कर दी थी। 15 मई 1965 में मुंबई के मराठी परिवार में जन्मी माधुरी ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्रीज में अपनी एक अलग पहचान बनाई है।

फिल्मी करियर के साथ-साथ माधुरी अपने निजी जीवन में भी काफी सफल रही हैं। माधुरी को पद्म श्री सम्मान से नवाजा गया है। माधुरी को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए फिल्मफेयर जैसे कई सम्मानीय पुरस्कारों से नवाजा गया है। फिलहाल माधुरी टीवी पर कई सारे रियालिटी शो की जज बनती नजर आती हैं।

2000 से अब तक डर्टी गर्ल

हिंदी फिल्मों में अलग-अलग किरदार निभाने वाली विद्या का फिल्मी करियर ज्यादा लंबा नहीं है। लेकिन अपने इस छोटे से करियर में विद्या ने अपने अभिनय से लोगों के दिल में एक अलग जगह बनाई हैं। आज की फिल्मों में कहानी कम और मशाला ज्यादा होता है, ऐसे में भी विद्या ने लीक से हटकर फिल्में बनाईं हैं। विद्या की फिल्मों में कहीं न कहीं महिलाओं की संघर्ष की कहानी झलकती है। कहानी, डर्टी पिक्चर परिणीता में विद्या ने अपने किरदार की मिशाल कायम की है।

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