Move to Jagran APP

भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी योजना, गरीबों के घर नहीं पहुंची रोशनी

गांव-गांव बिजली और घर-घर रोशनी देने की मंशा से शुरु की गई राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना भ्रष्टाचार व घपला घोटाले की भेंट चढ़ गई। नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (कैग) ने योजना की खामियों को गिनाते हुए सख्त नाराजगी जताई है। कैग की रिपोर्ट मंगलवार को संसद में पेश की गई। ग्रामीण विद्युतीकरण योजना खत्म हुए

By Edited By: Published: Wed, 12 Feb 2014 09:50 AM (IST)Updated: Wed, 12 Feb 2014 02:04 PM (IST)
भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी योजना, गरीबों के घर नहीं पहुंची रोशनी

नई दिल्ली। गांव-गांव बिजली और घर-घर रोशनी देने की मंशा से शुरु की गई राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना भ्रष्टाचार व घपला घोटाले की भेंट चढ़ गई। नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (कैग) ने योजना की खामियों को गिनाते हुए सख्त नाराजगी जताई है। कैग की रिपोर्ट मंगलवार को संसद में पेश की गई।

loksabha election banner

पढ़े : सस्ती बिजली के लिए खजाना खोलेगा केंद्र

ग्रामीण विद्युतीकरण योजना खत्म हुए चार साल हो गये, लेकिन हर गांव व हर घर को रोशन करने वाली योजना अपने लक्ष्य से बहुत पीछे रह गई। कैग ने राष्ट्रीय स्तर पर योजना की खामियां उजागर की है। कैग की रिपोर्ट के मुताबिक जिन गांवों में बिजली नहीं पहुंची है, उसके आंकड़ों को लेकर जबर्दस्त गफलत रही है। योजना में इसी के आधार पर घपले और घोटाले हुए हैं। कैग की रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान के उदयपुर जिले के 46 गांवों के पौने दो हजार घरों में विद्युतीकरण में तीन करोड़ रुपये की लागत दिखाई गई है। लेकिन जांच में पाया गया कि इनमें से 40 ग्राम पंचायतों में पहले ही बिजली पहुंच चुकी थी। यानी ठेकेदारों को फर्जी भुगतान किया गया है। उत्तर प्रदेश और इलाहाबाद समेत आधा दर्जन जिलों के सैकड़ों गांवों में बिजली के खंभे, तार, ट्रांसफारमर और मीटर लग गए हैं, लेकिन सिर्फ दस्तावेजों में। ठेकेदार को बिलों का भुगतान भी हो चुका है। लेकिन हकीकत में इन गांवों में आज भी अंधेरा है। उत्तर प्रदेश का एक और नायाब घोटाला कैग ने पकड़ा है। इसके मुताबिक राज्य के पौने दो सौ से अधिक गांवों की सात परियोजनाओं में कई हजार बीपीएल परिवारों को बिजली के कनेक्शन दिए जाने थे। ये गांव इलाहाबाद, बाराबंकी, इटावा, जालौन, कानपुर नगर, कौशांबी और ललितपुर के हैं। इन परियोजनाओं पर कुल 12.94 करोड़ रुपये की लागत आई। इस धन से वहां बिजली के खंभे, तार और ट्रांसफार्मर लगा दिए गए। लेकिन इससे जुड़े गांवों केकिसी भी उपभोक्ता को कनेक्शन नहीं दिया गया।

यही नहीं गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले (बीपीएल) परिवारों के साथ देशभर में 5.46 उन परिवारों को भी बिजली के कनेक्शन देना था, जो गरीबी रेखा से ऊपर वाले (एपीएल) थे। लेकिन 31 मार्च 2012 तक देश में 5.46 करोड़ एपीएल परिवारों में से केवल 1.83 करोड़ परिवारों को ही इसका लाभ मिल पाया। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में उपभोक्ताओं को या तो दोयम दर्जे का मीटर दे दिया गया अथवा जिन्हें मीटर की जरूरत ही नहीं थी, फिर भी मीटर लगा दिया गया। इससे सरकारी खजाने को करोड़ों रुपये की चपत लगी है।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.