एनआरसी मुद्दे पर एकजुट होकर आंदोलन की तैयारी में कांग्रेस व वामदल
- कांग्रेस ने अभी तक इस मुद्दे पर उनसे कोई चर्चा नहीं की सीपीएम जागरण संवाददाता उत्तर दिना
- कांग्रेस ने अभी तक इस मुद्दे पर उनसे कोई चर्चा नहीं की : सीपीएम
जागरण संवाददाता, उत्तर दिनाजपुर : पूरे भारत में इन दिनों एनआरसी का मुद्दा काफी गर्म है। वर्तमान में जिला कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर उत्तर दिनाजपुर जिले में वाम दलों के साथ एकजुट होकर आदोलन को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही है। काग्रेस सूत्रों के अनुसार एनआरसी के विरोध में वाम दलों के साथ गठबंधन के तहत जिले से लेकर प्रदेश तक आदोलन छेड़ने का आदेश दिया गया है। सीपीएम ने कहा कि काग्रेस ने अभी तक इस मुद्दे पर उनसे कोई चर्चा नहीं की है। केंद्र में भाजपा सरकार ने हाल ही में असम के बाद राज्य में एनआरसी को लागू करने के लिए एक मुहिम शुरू की है। इसके तुरंत बाद, सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल काग्रेस, काग्रेस एवं वाममोर्चा कड़ा विरोध करने के लिए मैदान में उतर गए है। इस बार काग्रेस आदोलन को मजबूत करने के लिए वाममोर्चा से सहयोग की मांग कर रही है। इसको लेकर उत्तर दिनाजपुर जिले के राजनीतिक महल में सरगर्मी तेज हो गया है।
काग्रेस उत्तर दिनाजपुर के जिला अध्यक्ष मोहित सेनगुप्ता ने कहा कि हम एनआरसी के विरोध में लगातार आदोलन की तैयारी कर रहे हैं। इस संबंध में वाम दलों के साथ मिलकर एक संयुक्त आदोलन की योजना है। प्रदेश ने संयुक्त कार्यक्रम का आह्वान किया है। जल्द ही हम उन्हें जिला स्तर पर लाने के लिए वाम दलों के साथ बातचीत करेंगे। वाम मोर्चा के उत्तर दिनाजपुर जिले के अध्यक्ष और सीपीएम के जिला सचिव अपूर्व पाल ने कहा कि इस मुद्दे पर काग्रेस के साथ कोई चर्चा नहीं हुई है। यहा तक कि हमारे वरिष्ठ नेतृत्व ने भी ऐसे निर्देश नहीं दिए। हालांकि इस मुद्दे पर कोई भी इंसान हमसे जुड़ सकता है। एनआरसी के खिलाफ हमारे नारे में सभी लोग एकजुट हुए। पश्चिम बंगाल ही नही किसी भी राज्य में हम जल्द ही एनआरसी के खिलाफ आदोलन तेज करेंगे ।
फारवार्ड ब्लॉक पार्टी के चाकुलिया विधायक जिला फॉरवर्ड ब्लॉक के सचिव मंडली के सदस्य अली इमरान रामज उर्फ विक्टर ने कहा, हम राज्य के लोगों को बचाने के लिए एनआरसी के खिलाफ हैं। काग्रेस और वाम दलों के साथ चर्चा हुई। काग्रेस और वामपंथी आदोलन में शामिल होंगे।
राजनीतिक क्षेत्र के कुछ तबको का कहना है कि पिछले कुछ चुनावों और पार्टी के कार्यकर्ता और नेता दल परिवर्तन के परिणाम से राज्य में वामपंथी और काग्रेस कमजोर हुए हैं। अतीत में, काग्रेस और सीपीएम गठबंधन ने अतीत में संघर्ष किया है, लेकिन सफल नहीं हुए हैं। पार्टी स्टाफ सदस्यों की संख्या कम हो गई है। नतीजतन, किसी भी बड़े कार्यक्रम में सफल होने के लिए किसी बड़े सभा को करना संभव नहीं है। वे एनआरसी और राज्य सरकार के खिलाफ विभिन्न मागों के विरोध में संयुक्त रूप से मैदान पर उतरे हैं। वे लोगों को प्रभावित करने में सक्षम होंगे। राजनीतिक स्पेक्ट्रम का एक अन्य हिस्सा कहता है कि विभिन्न राजनीतिक दलों ने 2021 के विधानसभा चुनावों के लिए लक्ष्य निर्धारित किए हैं। इस राज्य में एनआरसी को लागू करने में भाजपा भी पिछड़ रही है। इस बार लेफ्ट काग्रेस सेंटर में बीजेपी ने सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति बनाई है। यह एक तरह की वोट तैयारी है। राजनीतिक महल अगले विधानसभा चुनावों में वाम-काग्रेस गठबंधन के चुनाव लड़ने की संभावना नहीं छोड़ रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि एनआरसी पर लोगों की दहशत दूर नहीं हो रही है। इस स्थिति में, स्थानीय लोगों के साथ-साथ बीजेपी के मतदाता भी विभिन्न राजनीतिक दलों को एनआरसी के विरोध का समर्थन कर रहे हैं। इस मुद्दे पर उनसे कोई चर्चा नहीं की है। केंद्र में भाजपा सरकार ने हाल ही में असम के बाद राज्य में एनआरसी को लागू करने के लिए एक मुहिम शुरू की है। इसके तुरंत बाद, सत्तारूढ़ पार्टी, तृणमूल काग्रेस और काग्रेस एवं वामपंथी दल कड़ा विरोध पर उतर आए हैं। इस बार काग्रेस आदोलन को मजबूत करने के लिए वाम पक्ष की साथ माग कर रही है। इसको लेकर उत्तर दिनाजपुर जिले के राजनीतिक महल में चर्चा का बाजार गर्म हो गया है।