'मेरा परिवार, मेरा संसार' कार्यशाला का आयोजन
्र-कट़ शब्दों को जो सहन कर ले वह पूजनीय होता है डॉ. पीयूष प्रभा -आपसी संवाद से हा
्र-कट़ शब्दों को जो सहन कर ले, वह पूजनीय होता है : डॉ. पीयूष प्रभा
-आपसी संवाद से हो सकता है, हर समस्या का हल : साध्वी भावना
संवाद सूत्र, दालखोला : दालखोला अखिल भारतीय महिला मंडल द्वारा निर्देशित स्वस्थ परिवार कार्यशाला के अंतर्गत मेरा परिवार,मेरा संसार कार्यशाला का आयोजन महिला मंडल द्वारा आचार्य श्री महाश्रमणजी की विदुषी शिष्या साध्वी श्री. डॉ पीयूष प्रभाजी ठाणा चार के सानिध्य में आयोजित किया गया। कार्यशाला की शुरुआत साध्वी श्री डॉ पीयूष प्रभाजी के द्वारा नमस्कार महामंत्र से की गई। युवती बहनों के द्वारा प्रेरणा गीत का संगान किया गया। महिला मंडल की अध्यक्षा संजु बैद ने सभी आगंतुकों का स्वागत किया,अपने विचारों को व्यक्त करते हुए कहा कि परिवार उसे कहते हैं जहा बड़े-बुजुगरें की छत्र छाया में हम अपने बच्चों के साथ रहते हैं। परिवार के सभी सदस्य प्यार से रहते हैं तो वह घर स्वर्ग के समान है। एक दूसरे को समझें तभी घर का माहौल खुशनुमा रहा सकता है।
साध्वी डॉ.पीयूष प्रभाजी ने कहा कि जो जागरूक है वह समय पर मोतियों को प्राप्त कर लेता है, उसके लिए श्रम और चिंतन आवश्यक है। स्वस्थ परिवार का सूत्र है सहनशीलता। जो सामने से आने वाले कटु शब्दों को सहन कर लेता है वो पूजनीय है। परिवार में शात सहवास के लिए अपना दृष्टिकोण को उदार बनाना होगा। अपने स्वार्थ को त्याग कर परमार्थ के भाव रखने की प्रेरणा दी। जीवन में श्रम करना सीखें । परिवार वट वृक्ष के समान है, जिसमें हर छोटे-बड़े इसके फल-फूल है। ईष्र्या परिवार की जड़ को खोखला कर देती है। महाप्रज्ञ जी का सूत्र है श्रम करो आगे बढ़ो। साध्वी भावना ने परिवार शब्द की व्याख्या करते हुए कहा कि पति-पत्नी रिश्ते नाते वाद विवाद में न उलझो, रहेंगे सभी साथ में। परिवार की मजबूती के लिए अपना बलिदान करना सीखें।अहम को त्यागे। सहनशक्ति व सुनने का क्रम जीवन में डालें। हमें काच का बर्तन नहीं बनना है। सोने का बर्तन बनने की प्रेरणा दी।
साध्वी दिप्तीयशा जी ने फ़रमाया कि स्व से शिखर तक पहुंचने के लिए परिवार का सहयोग अत्यंत आवश्यक है। बाहरी दुनिया को छोड़ अगर आस पास के लोगों के साथ अच्छे संबंध हैं तो बाहर भी अच्छे संबंध रह सकते हैं। अच्छे वाक्य बनाने के लिए भाषा का व्याकरण आवश्यक है वैसे ही जीवन का व्याकरण भी सरल बनाया जा सकता है। सबसे पहले आप दूसरों के प्रति अच्छी भावना रखें, दूसरा अपने में हीन भावना न पनपने दें और तीसरा आपसी संवाद बनाए रखें। बात को आई-गई करना सीखें। कार्यशाला के अंत में महिला मंडल की मंत्री चंदना सेठिया ने साध्वी जी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की। वहीं सभी आगंतुकों के प्रति आभार व्यक्त किया। इस कार्यशाला में सभा परिवार,युवक परिषद व छात्र शामिल थे।
कैप्शन : कार्यशाला में साध्वी व महिला मंडल की सदस्या