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There Will There Way : बिना तस्वीर व पता-ठिकाने के 40 साल पहले बिछड़ी अपनी बचपन की सहेली को ढूंढ निकाला

हैम रेडियो ने की मदद। अगरतला में एएआइ के क्वार्टर में रहती थीं दोनों सहेलियां। चंदना मित्रा (बोस) बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के बैरकपुर की रहने वाली है जबकि सबीता राय का त्रिपुरा के गोमती जिले के जगन्नाथ दिघी (वेस्ट साइड) में पता चला।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 09 Nov 2020 02:32 PM (IST)Updated: Mon, 09 Nov 2020 06:19 PM (IST)
चंदना मित्रा (बाएं), सबीता राय (दाएं) और अंबरीश नाग विश्वास (नीचे)।

विशाल श्रेष्ठ, कोलकाता : किसी ने सच कहा है-'जहां चाह, वहां राह।' यह चंदना की दृढ़ इच्छाशक्ति थी, जिसके बूते उसने चार दशक पहले बिछड़ी अपनी बचपन की सहेली सबीता को ढूंढ निकाला। उसके पास न तो सबीता की कोई तस्वीर थी और न ही उसका वर्तमान पता-ठिकाना ही मालूम था। दोनों सहेलियां सोशल मीडिया पर भी एक्टिव नहीं हैं इसलिए यह माध्यम भी काम नहीं आ रहा था। 

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आखिरकार बचपन की सहेली का पता लगा ही लिया

चंदना ने आखिरकार हैम रेडियो की मदद ली और अपनी बचपन की सहेली का पता लगा ही लिया। चंदना मित्रा (बोस) बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के बैरकपुर की रहने वाली है जबकि सबीता राय का त्रिपुरा के गोमती जिले के जगन्नाथ दिघी (वेस्ट साइड) में पता चला। 

चंदना ने हैम रेडियो से पता लगाने को संपर्क किया

चंदना आम गृहिणी है और सबीता त्रिपुरा सरकार में ग्रामीण विकास विभाग के प्रधान सचिव की निजी सचिव हैं।हैम रेडियो के वेस्ट बंगाल रेडियो क्लब के महासचिव अंबरीश नाग विश्वास ने बताया-'चंदना ने हमसे सबीता का पता लगाने के लिए संपर्क किया था। 

न कोई तस्वीर थी और न ही पता-ठिकाना मालूम था

उनके पास न तो सबीता की कोई तस्वीर थी और न ही उनका वर्तमान पता-ठिकाना मालूम था। उन्होंने बस यही बताया था कि दोनों के पिता एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआइ) के कर्मचारी थे और अगरतला में साथ काम करते थे। 

न तो मोबाइल फोन था और न ही इंटरनेट मीडिया

दोनों अगरतला में ही एएआइ के क्वार्टर में रहते थे। बाद में ट्रांसफर के कारण दोनों बिछड़ गए थे। उस जमाने में न तो मोबाइल फोन था और न ही इंटरनेट मीडिया, इसलिए ज्यादा समय तक दोनों संपर्क में नहीं  रह पाए। 

एएआइ प्रशासन ने गोपनीयता पर जानकारी नहीं दी

चंदना ने सबीता का पता लगाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय तक के पास आवेदन किया था, जिसे एएआइ को अग्रसारित किया गया लेकिन एएआइ प्रशासन ने गोपनीयता का हवाला देते हुए सबीता के पिता के बारे में कोई जानकारी नहीं दी। 

40 साल पुरानी बात बताने वाला कोई नहीं मिला

विश्वास ने आगे कहा-'हमने त्रिपुरा हैम रेडियो क्लब से संपर्क किया। उसके सचिव विश्वजीत साहा व सदस्य पार्थसारथी सरकार इसमें जुट गए। उनकी टीम एएआइ के उस क्वार्टर में गई, जहां दोनों सहेलियां बचपन में रहती थीं। वहां 40 साल पुरानी बात बताने वाला कोई नहीं मिला। 

आखिरकार बहन का पता चला और मोबाइल मिला

बहुत जगह पता करने के बाद आखिरकार सबीता की बहन का पता चला और उनसे सबीता का मोबाइल नंबर मिला। सबीता से संपर्क कर उनसे मिलकर जब चंदना की तस्वीर दिखाई गई तो उन्होंने झट से अपनी बचपन की सहेली को पहचान लिया। 

अब नियमित रूप से फोन पर एक-दूसरे के संपर्क में 

इसके बाद वीडियो कॉलिंग कर दोनों की बातचीत कराई गई। चंदना और सबीता अब नियमित रूप से फोन पर एक-दूसरे के संपर्क में हैं और कोरोना महामारी की स्थिति सामान्य होने के बाद मिलने की तैयारी कर रही हैं।


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