होगा ईमानदारी से प्रयास, तो पूरी होगी आस
40 से अधिक की उम्र वालों में दिल की बीमारियों तेजी से बढ़ रही है, ऐसे में इस तरह की स्वास्थ्य बीमा योजना आम नागरिकों के लिए वरदान साबित होगी।
कोलकाता,विशाल श्रेष्ठ। केंद्र सरकार द्वारा इस साल के आम बजट में घोषित राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा बीमा योजना को मूर्त रूप देने के लिए ईमानदारी से प्रयास करने की जरुरत है। सरकार को इसे सफलतापूर्वक लागू करने के लिए तत्पर होना पड़ेगा।
योजना के क्रियान्यवन की जिम्मेदारी पाने वाली एजेंसियों को सक्रिय भूमिका अदा करनी होगी। भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआइसी) के हावड़ा सिटी2 शाखा में विकास अधिकारी विवेक सिन्हा ने सोमवार को दैनिक जागरण के कोलकाता कार्यालय में ‘स्वास्थ्य बीमा योजना को साकार करने के उपाय’ विषय पर आयोजित परिचर्चा में ये विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा-‘योजनाएं तैयार करना और उन्हें क्रियान्वित करना अलग-अलग चीजें हैं। इसके लिए ऊपर से नीचे तक संबंधित सभी लोगों को ईमानदारी से कोशिश करनी होगी।
सबसे पहले स्वास्थ्य बीमा को लेकर जन जागरुकता पैदा करनी होगी। भारत में स्वास्थ्य बीमा को नजरंदाज किया जाता है। इसे अतिरिक्त खर्च के तौर पर देखा जाता है जबकि यह एक मौलिक जरुरत और अनिवार्यता है।’ सिन्हा ने स्वास्थ्य बीमा और मेडिक्लेम के अंतर को भी समझाया। उन्होंने कहा-‘लोगों को मेडिक्लेम के बारे में जितनी जानकारी है, स्वास्थ्य बीमा के बारे में उतनी नहीं है। दोनों के अंतर को जानना जरुरी है।स्वास्थ्य बीमा के तहत विभिन्न बीमारियों के लिए फंड पहले से आवंटित होता है। बीमारी होने पर बीमाकर्ता को इलाज के लिए फंड आवंटित किया जाता है जबकि मेडिक्लेम में इलाज कराने के बाद बिल जमा कराना पड़ता है यानी स्वास्थ्य बीमा
में कमान अपने हाथों में होती है जबकि मेडिक्लेम में दूसरे के हाथों में।’
सिन्हा ने आगे कहा-‘ स्वास्थ्य बीमा योजना इस साल के केंद्रीय बजट का सबसे बड़ा बुलेट प्वाइंट है। इसके तहत 10 करोड़ परिवार 5 लाख रुपये के मेडिकल इंश्योरेंस के दायरे में आएंगे। हालांकि मेरा निजी तौर पर मानना है कि इसका लाभ देश के हरेक नागरिक को मिलना चाहिए। केंद्र सरकार की यह योजना स्वाभिमान पॉलिसी जैसी है। किसी को मेडिकल सपोर्ट प्रदान करना उसके स्वाभिमान की रक्षा करने जैसा है। उस व्यक्ति को अपने इलाज कराने को लेकर वित्तीय परेशानी नहीं होगी। किसी के आगे हाथ नहीं फैलाना पड़ेगा। जब परिवार का मुखिया
बीमार पड़ जाता है तो बाकी सदस्य भी परेशान हो जाते हैं।
सिन्हा ने घोषित स्वास्थ्य बीमा योजना के और भी फायदे गिनाए। उन्होंने कहा‘इससे देश के स्वास्थ्य क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा। इस योजना की बदौलत देश में अस्पताल व चिकित्सा केंद्र खुलेंगे। चिकित्सा संबंधी आधारभूत संरचना बेहतर होगी। लोगों के चिकित्सा संबंधी खर्च कम होंगे। स्वास्थ्य बीमा क्षेत्र के लिए भी ये काफी फायदेमंद साबित होगा। यह योजना अभी नए जन्मे शिशु की तरह है इसलिए शुरू होते ही टॉप गियर में तो
नहीं आएगी लेकिन यह एक बेहतरीन शुरुआत है।
सिन्हा ने कहा-‘सप्ताह में काम करने का समय 40 घंटे से ज्यादा नहीं होना चाहिए जबकि भारत में मानव जीवन की गुणवत्ता अच्छी नहीं है। यहां सप्ताह के सातों दिन लोग 10 घंटे से ज्यादा काम करते हैं। काफी तनाव में भी काम करना पड़ता है। भारत मधुमेह की राजधानी बनता जा रहा है। 40 से अधिक की उम्र वालों में दिल की बीमारियों तेजी से बढ़ रही है, ऐसे में इस तरह की स्वास्थ्य बीमा योजना आम नागरिकों के लिए वरदान
साबित होगी।