West Bengal Politics: भाजपा विधायक बनने के बाद भी मजदूरी करती हैं चंदना बाउरी, पांचों सुरक्षा गार्ड को खुद खाना बना खिलातीं
आम तौर पर विधायक बनने पर नेताओं के तेवर ही बदल जाते हैं। परंतु बांकुड़ा जिले के सालतोड़ विधानसभा क्षेत्र की भाजपा विधायक चांदना बाउरी खुद ही खाना बनाकर अपनी सुरक्षा में तैनात पांच सुरक्षा बलों को भोजन करा रही हैं।
राज्य ब्यूरो, कोलकाताः आम तौर पर विधायक बनने पर नेताओं के तेवर ही बदल जाते हैं। आगे पीछे हर छोटे-बड़े काम करने वालों की लाइन लग जाती है। परंतु, बांकुड़ा जिले के सालतोड़ विधानसभा क्षेत्र की भाजपा विधायक चांदना बाउरी खुद ही खाना बनाकर अपनी सुरक्षा में तैनात पांच सुरक्षा बलों को भोजन करा रही हैं।दरअसल, चंदना झोपड़ी मेंं रहती हैं। उनके पति राजमिस्त्री हैं। विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी बनने से पहले वह परिवार चलाने के लिए कभी-कभी राजमिस्त्री पति के साथ मजदूरी भी किया करती थी। अब जबकि वह विधायक बन गई हैं फिर भी वह अपने घर का काम खुद ही कर रही हैं।
विधानसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार बनने के बाद राज्य पुलिस की ओर से एक सुरक्षा गार्ड दिया गया था। परंतु, जिस तरह से बंगाल में भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं पर हमले होने लगे तो पार्टी नेतृत्व के निर्देश पर चंदना ने भी अपनी सुरक्षा के लिए केंद्रीय गृह विभाग को आवेदन कर दिया। इसके बाद उनकी सुरक्षा के लिए केंद्रीय बल के और चार जवान पहुंच गए। ऐसे में एक गरीब के लिए पांच और लोगों का खाना तैयार करना आसान नहीं है। परंतु, चंदना को कोई पछतावा या तकलीफ नहीं है। वह खुद पांच सुरक्षा गार्डों को खाना बनाकर खिला रही हैं।
चंदना अपने परिवार के साथ मिट्टी के घर में रहती हैं। हालांकि,पक्के मकान के लिए उनके पति श्रवण बाउरी ने आवेदन किया था, लेकिन प्रधानमंत्री आवास योजना का पैसा नाम में गलती के कारण फंस गया। चंदना ने कहा कि हमारे पास जवानों को रखने के लिए घर नहीं है। इसलिए मैंने एक निर्माणाधीन मकान की व्यवस्था की है। जिसमें दरवाजे व खिड़कियां नहीं लगी थीं। मैंने उसमें गेट व खिड़कियां स्थापित करने के लिए चुनाव से पहले दो खिड़कियां और एक दरवाजा खरीदा था। मेरे पति ने उन्हें उस घर में लगा दिया और वे लोग उसी में रह रहे हैं। हमें सुरक्षा बलों के खाने और रहने की व्यवस्था करनी है।
नियमों के मुताबिक जवानों को खानेे और रहने की व्यवस्था उन्हें ही करनी होती है जिनकी सुरक्षा में वे तैनात होते हैं। लेकिन चंदना अभी तक वह सारे इंतजाम नहीं कर पाई हैं। इसलिए वह खुद खाना बना रही हैं और खिला रही हैं। उनका कहना है कि मेरी सास और मैं मिलकर खाना बनाती हूं। हम जो खाते हैं वही वे भी खाते हैं। मैं समझती हूं कि वे कठिन समय बिता रहे हैं। उन्हें रोटी पसंद है। लेकिन हम चावल और लइया(मुरी) खाते हैं तो वह भी यही खा रहे हैं।