West Bengal Politics : राजनीतिक हिंसा चरम पर, ममता स्वयं चाहती है बंगाल में लगे राष्ट्रपति शासन : भाजपा
West Bengal Politics भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा विक्टिम कार्ड खेल कर आगामी विधानसभा चुनाव जीतने का है प्रयास। गौरतलब है कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के काफिले पर उत्तर बंगाल में हमला हुआ है। ऐसे में घोष ने यह दावा कर सभी को चौंका दिया हैं।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : बंगाल में हो रही राजनीतिक हिंसा को लेकर भाजपा और तृणमूल आमने सामने है। लगभग हर दिन कार्यकर्ताओं पर हमले और हत्या का आऱोप तृणमूल पर लग रहा है। यहां तक कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष के काफिले पर भी उत्तर बंगाल में हमला हुआ। इसके बाद अब राज्य में राष्ट्रपति शासन की मांग बढ़ गई है। यहां तक कि भाजपा के कई नेता बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की बात कर रहे हैं और यह बात वह काफी पहले से करते रहे हैं।
...ताकि खुद को पीड़ित बता फायदा मिले
ऐसे में भाजपा की बंगाल इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष ने यह दावा कर सभी को चौंका दिया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुद ही सूबे में राष्ट्रपति शासन चाहती हैं, ताकि खुद को पीड़ित बताकर चुनावी फायदा लिया जा सके।
...ताकि चुनाव में विक्टिम कार्ड खेल सकें
एक टीवी चैनल से बातचीत में दिलीप घोष ने कहा कि ममता बनर्जी खुद चाहती हैं कि राज्य में 356 लागू हो जाए। वह केंद्र सरकार को इसके लिए मजबूर कर रही हैं, ताकि चुनाव के दौरान विक्टिम कार्ड खेल सकें। तृणमूल कांग्रेस में माफिया और गुंडे लोगों को डराने के लिए हिंसा का सहारा लेते हैं।
...तो तबतक निष्पक्ष चुनाव संभव नहीं
इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि बंगाल के लोग भी कह रहे हैं कि जब तक ममता सरकार रहेगी, तब तक निष्पक्ष चुनाव नहीं हो सकेंगे। इसलिए राष्ट्रपति शासन जरूरी है।
...तो आम लोगों की सहानुभूति मिलेगी
इसी के साथ घोष ने यह भी कहा कि अगर बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगता है, तो इससे ममता बनर्जी को आम लोगों की सहानुभूति मिलेगी और इसका फायदा उन्हें विधानसभा चुनाव में होगा।
एंटी इनकंबेंसी फैक्टर का भी फर्क नहीं
फिलहाल बंगाल में भाजपा के सामने बड़ी चुनौती है। आगे उन्होंने यह भी कहा कि लोगों की सहानुभूति मिलने पर एंटी इनकंबेंसी फैक्टर का भी ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा।
शाह का दावा-सरकार अपने अंत की ओर
हालांकि, कोलकाता दौरे के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने साफ कहा था कि कुछ माह में खुद ही तृणमूल सरकार का अंत हो जाएगा, फिर राष्ट्रपति शासन की क्या आवश्यकता है।