West Bengal: 'द डायरी आफ वेस्ट बंगाल' के मेकर्स को कोलकाता पुलिस ने भेजा नोटिस
ट्रेलर में बंगाल के हालात को बताया था कश्मीर से बदतर निर्माता ने प्रधानमंत्री से किया साथ देने का निवेदन। फिल्म के खिलाफ पहले एक एफआइआर दर्ज हुई थी और अब कोलकाता पुलिस ने मेकर्स को 30 मई को एमहर्स्ट पुलिस स्टेशन में पेश होने को कहा है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। The Diary of West Bengal 'द केरल स्टोरी' के बाद अब बंगाल में एक और फिल्म को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। 'द डायरी आफ वेस्ट बंगाल' के निर्माता और निर्देशक को कोलकाता पुलिस ने नोटिस भेजा है। कथित रूप से, इससे पहले फिल्म के खिलाफ एक एफआइआर दर्ज हुई थी। बताया जा रहा है कि इस मामले में आगे पूछताछ करने के लिए कोलकाता पुलिस ने मेकर्स को 30 मई को एमहर्स्ट पुलिस स्टेशन में हाजिर होने के लिए कहा है।
'द डायरी आफ वेस्ट बंगाल' का ट्रेलर सात अप्रैल को रिलीज हुआ था। ट्रेलर में दावा किया गया था कि बंगाल के हालात 'कश्मीर से भी बदतर' हैं। ट्रेलर में दिखाई गई कहानी में यह भी दावा था कि बंगाल में हिंदुओं के साथ 'नरसंहार' और 'सामूहिक दुष्कर्म' की घटनाएं हो रही हैं और उनका पलायन चल रहा है। फिल्म के ट्रेलर में यह भी दावा किया गया है कि 'संगठित रोहिंग्या और कट्टरपंथी बांग्लादेशी समूहों को सरकारी सहयोग देकर' बंगाल में बसाया जा रहा है।
'द डायरी आफ वेस्ट बंगाल' के निर्देशक सनोज मिश्रा का कहना है कि उन्होंने अपनी फिल्म तथ्यों के आधार पर बनाई है। मैंने प्रधानमंत्री, गृह मंत्री से इस मामले में हस्तक्षेप करने की गुजारिश करता हूं। बंगाल में हिंदुओं का नरसंहार, दुष्कर्म और पलायन हो रहा है। इतनी फाइल्स और एप्लीकेशन लगाईं जा रही हैं जो किसी को पता भी नहीं हैं। मैंने बहुत रिसर्च की है और फिल्म तथ्यों पर आधारित है।'
भाजपा ने साधा ममता सरकार पर निशाना
भाजपा आइटी सेल के प्रमुख व बंगाल इकाई के सह प्रभारी अमित मालवीय ने नोटिस को लेकर ममता सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने फिल्म के ट्रेलर का वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा कि द केरल स्टोरी पर प्रतिबंध लगाने के विफल प्रयास के बाद (फिल्म अभी भी सिनेमाघरों में नहीं है क्योंकि मालिकों को दंडात्मक कार्रवाई की धमकी दी जा रही है), ममता बनर्जी का प्रशासन अब एक और फिल्म द डायरी आफ वेस्ट बंगाल के निर्देशक और निर्माता को डरा रहा है।
राज्य में मौजूदा हालात पर सच्ची घटनाओं पर आधारित फिल्म है। फिल्म निर्माताओं को नोटिस अनावश्यक है क्योंकि ट्रेलर में कुछ भी तथ्यात्मक रूप से गलत नहीं लगता है। यह बंगाल में बहुतों का जीवंत अनुभव है। ममता बनर्जी को बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोंटना बंद करना चाहिए। वह एक नीच निकम्मी सरकार चलाती है और यह समय की बात है कि बंगाल के लोग उसके शासन को धूल में मिला देंगे।