West Bengal: भ्रष्टाचार- आरटीआइ को हथियार बना किया गया भर्ती घोटाला
चुनिंदा उम्मीदवारों से आरटीआइ कराकर बढ़ा दिए ओएमआर शीट में नंबर ग्रुप डीसी और शिक्षकों की भर्ती में हुई है धांधली घोटाला और अनियमितता करने के लिए आरटीआइ को हथियार बना लिया गया। बंगाल में एसएसी के माध्यम से हुई भर्ती की सीबीआइ जांच चल रही है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। आमतौर पर किसी सरकारी विभाग या योजनाओं में गड़बड़ी व भ्रष्टाचार को सामने लाने के लिए सूचना के अधिकार यानी आरटीआइ का इस्तेमाल किया जाता है। परंतु, बंगाल में घोटाला और अनियमितता करने के लिए आरटीआइ को हथियार बना लिया गया। इस समय बंगाल में स्कूल सेवा आयोग(एसएसी) के माध्यम से हुई भर्ती की सीबीआइ जांच चल रही है। ममता सरकार के दो मंत्री इस मामले में फंसे हुए हैं और दोनों से सीबीआइ पूछताछ कर रही है। यहां तक कि राज्य के शिक्षा राज्यमंत्री परेश चंद्र अधिकारी और उनकी बेटी के खिलाफ सीबीआइ ने प्राथमिकी भी दर्ज कर ली है।
अब तक की जांच में सामने आया है कि स्कूल सेवा आयोग के अधिकारियों ने चुनिंदा उम्मीदवारों को अपनी ओएमआर उत्तर पुस्तिकाओं के लिए आरटीआइ आवेदन दाखिल करने और पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन करने को कहा। उन्होंने ऐसा ही किया। अधिकारियों ने तब कथित तौर पर कुछ उम्मीदवारों के अंक बढ़ाकर उन्हें उच्च रैंक देने के लिए ओएमआर शीट में हेरफेर की। उन्होंने असफल उम्मीदवारों को नियुक्ति सूची में लाने के लिए कथित तौर पर जाली अंक भी बनाए। अंक बदलने के बाद ओएमआर शीट को कथित तौर पर नष्ट कर दिया गया। समिति के सदस्य और वकील अरुणव बनर्जी ने कहा कि मूल रूप से, कुछ उम्मीदवारों के स्कोर को बढ़ाने के लिए आरटीआइ का इस्तेमाल एक हथियार के रूप में किया गया।
77 वाले का नहीं, मंत्री की बेटी को 61 नंबर पर मिल गई थी नियुक्ति
इस घोटाले का सबसे बड़ा उदाहरण शिक्षा राज्यमंत्री परेश चंद्र अधिकारी की बेटी अंकिता की नियुक्ति है। 77 वाले का नहीं, मंत्री की बेटी को 61 नंबर पर नियुक्ति दे गई। अदालत ने अगले आदेश तक अंकिता के स्कूल परिसर में प्रवेश पर भी रोक लगा दी है। अंकिता को वेतन की पहली किस्त सात जून तक और दूसरी किस्त सात जुलाई तक देनी है। हाई कोर्ट एक अभ्यर्थी की ओर से दायर उस याचिका की सुनवाई कर रहा था, जिसमें दावा किया गया था कि भर्ती परीक्षा में अधिकारी की बेटी के मुकाबले ज्यादा अंक लाने के बावजूद उसे नौकरी नहीं दी गई।
याचिकाकर्ता का दावा है कि एक अन्य लड़की को 77 अंक मिले थे उसे नौकरी नहीं मिली लेकिन 61 अंक पाने वाली अंकिता को नौकरी मिल गई। हाई कोर्ट ने भी बंगाल के शिक्षा राज्य मंत्री परेश चन्द्र अधिकारी की बेटी की सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल में बतौर शिक्षक नियुक्ति को शुक्रवार को रद कर दिया और उनसे 41 महीने की नौकरी के दौरान प्राप्त सारा वेतन लौटाने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति अभिजीत गांगुली ने अंकिता अधिकारी को निर्देश दिया कि वह नवंबर 2018 से अभी तक प्राप्त वेतन की पूरी राशि दो किस्तों में रजिस्ट्रार के पास जमा कराएं।
स्कूल शिक्षा विभाग की पूरी भर्ती प्रक्रिया 2016 में शुरू हुई थी। ग्रुप सी में सभी लिपिक पद शामिल हैं, जिसमें प्रति माह 22,700 रुपये के शुरुआती वेतन है। परिचारकों को 17,000 रुपये के मासिक वेतन के लिए ग्रुप डी स्टाफ के रूप में काम पर रखा जाता है। इसके लिए पद निकाले गए और परीक्षा हुई।