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West Bengal Coronavirus Lockdown Effect: कोरोना की वजह से सब्जी बेचने को मजबूर हैं पुजारी

कोरोना महामारी के कारण शादियों और धार्मिक कार्यक्रमों के टलने से कोलकाता और आसपास के क्षेत्रों में पुजारियों की आमदनी का जरिया हो गया है खत्म

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 24 Jul 2020 07:58 AM (IST)Updated: Fri, 24 Jul 2020 12:22 PM (IST)
West Bengal Coronavirus Lockdown Effect: कोरोना की वजह से सब्जी बेचने को मजबूर हैं पुजारी
West Bengal Coronavirus Lockdown Effect: कोरोना की वजह से सब्जी बेचने को मजबूर हैं पुजारी

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। कोरोना महामारी के कारण शादियों और धार्मिक कार्यक्रमों के टलने से कोलकाता और आसपास के क्षेत्रों में पुजारियों की आमदनी का जरिया खत्म हो गया और उनमें से कई जीवन-यापन के लिए दूसरे विकल्पों का सहारा ले रहे हैं। महानगर से सटे आगरपाड़ा में एक पुजारी सुशांत चक्रवर्ती अपने क्षेत्र में सब्जियां बेच रहे हैं। उन्होंने कहा कि कभी ऐसा नहीं सोचा था कि ऐसे दिन भी आएंगे। इसी तरह के गोराबाजार में शिव मंदिर के पुजारी राम तिवारी मास्क, सैनिटाइजर, दस्ताना और अन्य सामान बेच रहे हैं।

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पुजारियों का कहना है कि पिछले कुछ दशकों से मैं जिन घरों में पूजा-पाठ के लिए जाता था, अब वे बुलाते नहीं है। मार्च से ही मैं बेकार बैठा हूं। चक्रवर्ती का कहना है कि घर में चार लोग हैं। आखिरकार मैंने ठेले पर सब्जी बेचने का फैसला किया। चक्रवर्ती ने कहा कि मार्च के पहले हर महीने 35,000 से 40,000 रुपये के बीच आमदनी हो जाती थी। अब मुश्किल से रोज सौ रुपए रुपये कमा पाता हूं। शहर के केष्टोपुर इलाके में पुरोहित विजय उपाध्याय ने फेसबुक पर लोगों से गुहार लगायी कि घर में अनुष्ठान आने के लिए उन्हें बुलाएं।

उन्होंने बताया कि कई घरों में बिना पुजारी के ही नारायण पूजा हो रही है। मैं आप सबसे अपील करता हूं कि पुजारी को भी अनुष्ठान के लिए बुलाएं।कमरहाटी में हनुमान मंदिर के कमेटी सदस्य विनोद झा ने कहा कि प्रबंधन ने तीन में से केवल एक पुजारी को रखने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि भक्तों की संख्या कम हो रही है और आमदनी भी घट रही है ।

हमने दो पुजारियों को हटाने और केवल एक पुजारी को रखने का फैसला किया है। दक्षिण कोलकाता के चक्रबेरिया इलाके में पुजारी मोंटू चक्रवर्ती का मानना है कि दुर्गा पूजा के दौरान स्थिति बेहतर हो जाएगी। उन्होंने कहा कि कुछ दुर्गा समितियों ने मुझे आश्वस्त किया कि वे मुझे आमंत्रित करेंगे। अब उन्हीं से आस है। मेरी आमदनी घटकर 6,000 रुपए प्रतिमाह रह गई है। लेकिन मैं जानता हूं कि मां (दुर्गा) सब सही कर देंगी। 


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